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परिवार का महत्व
कविता

परिवार का महत्व

सोनल सिंह "सोनू" कोलिहापुरी दुर्ग (छतीसगढ़) ******************** परिवार देता हमें पहचान है इसका जरूरतमंद हर इंसान है। परिवार में जब पलता है बच्चा दिन ब दिन निखरता है बच्चा। बच्चों में आते संस्कार है मिलता उसे अपनों का प्यार है। मिलजुल सब रहते हैं जहाँ मुश्किलें कहाँ टिक पाती वहाँ। बड़ी-बड़ी समस्या हो जाती धराशायी जब मिलकर रहते हैं भाई-भाई। बुजुर्गों का अनुभव और आशीर्वाद रखता है परिवार को आबाद। त्यौहारों में मजा आता है खूब होली दिवाली राखी या भाईदूज। टूटते हुए परिवार चिंता का विषय है संयुक्त परिवार में रिश्तों की खूबसूरती, आज भी मौजूद है। परिवार का महत्व हमें समझना होगा मतभेद भूल साथ-साथ चलना होगा। ईश्वर से गुज़ारिश सबको परिवार मिले माता-पिता व अपनों का प्यार मिले। परिचय - सोनल सिंह "सोनू" निवासी : कोलिहापुरी दुर्ग (छतीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमा...
मुझसे तुम प्यार करो
कविता

मुझसे तुम प्यार करो

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** बोल दो जो मन में है, प्यार का इजहार करो। सुन स्वर्ग की अप्सरा, मुझसे तुम प्यार करो।। तुम मुझे, मैं तुझे पसंद, क्यों खामोश बैठी हो। छीन ली मुस्कान मेरी, तुम बहुत ही हठी हो।। मेरे दिल को दुखा कर, आखिर क्या मिलेगा। मुझसे बात ना करके, मन बाग कैसे खिलेगा।। मैं जा रहा हूं दूर तुमसे, एक बार आवाज दो। लेकर यादों की परछाई, राह में मेरा साथ दो।। रखूंगा सदा पलकों में, दुःख को सुख में ढ़ाल। हमारा प्यार अमर रहेगा, प्रेमी जन देंगे मिसाल।। झलक पाकर मैं दीवाना, तुझे अपना मान बैठा। बंद आंखों के सपने, खुली आंखों में था झूठा।। बना गायक प्रेम का, गलियों में गीत गाने लगा। बैठ तुम्हारी द्वार पर, मधुर नाद से रिझाने लगा।। लाल गुलाब की कली, मधुकर को बुलाने लगी। आओ मीठा रसपान करो, बदन में आग लगी।। छू लो मुझे एक बार, सहला दो नर्म पं...
हम सब भारतीय हैं
कविता

हम सब भारतीय हैं

दीप्ता नीमा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** हमने जन्म लिया जिस धरती पर वो धरा परम पूजनीय है उस धरा का नाम है भारत हम सब भारतीय हैं। वंदना करते हम जिसकी वो धरा वंदनीय है उस धरा का नाम है भारत हम सब भारतीय हैं। सर्व धर्म समभाव है गौरव वो धरा गौरवमयी है उस धरा का नाम है भारत हम सब भारतीय हैं। विविधता में एकता जहां पर दिल से सब हिंदुस्तानी हैं उस धरा का नाम है भारत हम सब भारतीय हैं। किसान और जवान हैं शक्ति इनकी शहादत विस्मरणीय है उस धरा का नाम है भारत हम सब भारतीय हैं। हिंदुस्तान का नाम विश्व में गरिमा इसकी उदाहरणीय है उस धरा का नाम है भारत हम सब भारतीय हैं। गर्व है जन्मे हिन्दुस्तान में रग-रग हिन्दुस्तानी है उस धरा का नाम है भारत हम सब भारतीय हैं। परिचय :- दीप्ता नीमा निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाध...
आज़ाद भारत में गुलाम मानसिकता
कविता

आज़ाद भारत में गुलाम मानसिकता

रामेश्वर दास भांन करनाल (हरियाणा) ******************** एक गुरु ने ही शिष्य के प्राण हर लिये यहांँ, पढ़ा लिखा गुरु भी ऐसी मानसिकता रखता यहाँ, मटकों को रखता है स्कूलों में छिपाकर अपने, सामंतवादी सोच पर हर समय चलता है यहांँ, ख़ून की जरूरत हो, या हो जंग जीवन से, तब जाति का भेदभाव ना दिखता है यहाँ, पशु मुत्र पीकर पवित्र हो जाती आत्मा जिनकी, मटके को छूने से बालक के प्राण हरता है यहाँ, है आतंकियों से ख़तरनाक मानसिकता जिनकी, उनके बीच जी रहे जाति का दंश झेल कर यहाँ, ना जाने कितनी मौतें कर चुका और कितनी करनी है, बचपन को भी अब तो चैन से नहीं जीने दे रहा यहाँ, इन आतंकियों को कब सजा मिलेगी कहना मुश्किल है, हर जगह ठिकाने बनाए बैठा इनका समूह यहाँ परिचय :-  रामेश्वर दास भांन निवासी : करनाल (हरियाणा) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह...
तिरंगा
कविता

तिरंगा

सोनल सिंह "सोनू" कोलिहापुरी दुर्ग (छतीसगढ़) ******************** तीन रंगो से सजा तिरंगा, देश की शान बढ़ाता है। रंग केसरिया, श्वेत, हरा संदेश हमें दे जाता है। रंग केसरिया त्याग सिखाये, श्वेत रंग शांति गुण गाये। हरा रंग समृद्धि लाये, सब मिल देश का मान बढ़ाये। जब भी तिरंगा लहराये, हर भारतवासी हर्षाये। मन गर्व से भर जाये, आँखों में चमक आ जाये। तिरंगे का सम्मान करें, नहीं कभी अपमान करें। देश की आन बचाने को, अपना सर्वस्व कुर्बान करें। परिचय - सोनल सिंह "सोनू" निवासी : कोलिहापुरी दुर्ग (छतीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविता...
रक्षासूत्र
कविता

रक्षासूत्र

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** सुन मेरी प्यारी सहोदरा, राखी बांधने आना तुम। देखता रहूंगा राह तुम्हारी, मुझे भूल ना जाना तुम।। खरीदना बाजार से राखी, लाना लड्डू मीठी मिठाई। लगाना भाल विजय तिलक, पुकार रही है खाली कलाई।। भेंट करुंगा एक नया उपहार, खुशी से झूम कर नाचोगी। सुख, समृद्धि कामना करके, रक्षासूत्र जीवन का बांधोगी।। जब संकट में घिर जाओगी, मेरा नाम लेकर देना आवाज। कहना, अभी मेरा भाई जिंदा है, मेरे लिए लड़ेगा वो है जांबाज।। जब कोई मानव,अमानव बन, दुःख और दर्द तुझे पहुंचाएगा। उस दिन बनकर योद्धा रक्षक, तेरा ये भाई दौड़ा चला आएगा।। परिचय : अशोक कुमार यादव निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) संप्राप्ति : सहायक शिक्षक सम्मान : मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव अलंकरण 'शिक्षादूत' पुरस्कार से सम्मानित। घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिक...
लहराओ तिरंगा प्यारा
कविता

लहराओ तिरंगा प्यारा

रामेश्वर दास भांन करनाल (हरियाणा) ******************** घर गाँव शहर सब में, आजादी का जश्न मनाओ तुम, पायी थी कुर्बानियों से आज़ादी, शहीदों का मान बढ़ाओ तुम, चरखा, अनशन चले थे गांधी जी के, उसका ध्यान लगाओ तुम, सत्य अहिंसा का जीवन अपना, देश में यहाँ बिताओ तुम, लहराकर तिरंगा प्यारा देश का, भारत की शान बढ़ाओ तुम, हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई, आपस में मिल जाओ तुम, देखें जो देश को बुरी नियत से, उसको सबक सिखाओ तुम, है हिन्द की शान तिरंगा, तिरंगे की शान बढ़ाओ तुम, पढ़ लिख कर बनो शेर यहाँ, खुब दहाड़ लगाओ तुम, कर देश का नाम रोशन अपने, विश्व को दिखलाओ तुम, सीमा पर जो खड़े देश के प्रहरी, हथेली पर है प्राण लिए, लहराकर तिरंगा प्यारा, उनका स्वाभिमान बढ़ाओ तुम, बन जाओ सब देश के प्रहरी, अपना फर्ज निभाओ तुम, तिरंगा है जान से प्यारा, तिरंगे को लहराओ तुम, परिचय :-  रामेश्वर दास...
कौमी एकता
कविता

कौमी एकता

सोनल सिंह "सोनू" कोलिहापुरी दुर्ग (छतीसगढ़) ******************** ईश्वर की सुंदरतम कृति है मानव क्या मानव मेंशेष रहा है मानव? जाति-पाति मजहब में बंटा है मानव मजहब की बात पर डटा है मानव। जाने किसने ये कौमें बनाई चहुँ ओर वैमनस्यता फैलाई। मानव को मानव से लड़ाया देश को दावानल सा दहकाया। अधिकाधिक पाने की चाहत मानव को दानव सा बनाया। मजहब के नाम पर बहलाया फूट पड़ी तो तीसरे ने लाभ उठाया। कौमी एकता तो बनी जुमलेबाजी है आज कौन इसमें राजी है ? सभी तैयार खड़े पलटने को बाजी है आपस में ये कैसी नाराजी है? कौमी एकता तो दिवा स्वप्न सी लगती है। वास्तव में हर किसी को ये चुभती है। भाई को यहाँ चारा बनाते देर नहीं लगती। मानवता यहाँ दूर खड़ी तड़पती है। काश कोई ऐसी पाठशाला हो जो इंसान को इंसान बनाये। इंसानियत का पाठ पढ़ाये जाति धर्म के बंधन तोड़ जाये। सम्पूर्ण मानव जाति एक हो सबके ...
ज्ञानमणि
कविता

ज्ञानमणि

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** कोई बन सपेरा नचा रहा है मुझे? अपनी बीन के सुमधुर धुन पर। लहराकर, झूमकर नाच रहा हूं, जादुई आवाज को सुन-सुन कर।। मेरे चारों ओर फैलाया मंत्र जाल, मुझे कोड़ा से पीट रहा है प्रेत दूत। तू ही रास्ता दिखाता है विश्व को, निकालो मस्तक से जो है अद्भुत।। मेरे पास है दिव्यमान ज्ञानमणि, जन मन को करता है प्रकाशित। छीनकर मुझसे ले जाएगा वंचक, जिसे दिया था गुरुदेव कर्मातीत।। फिर क्या रह जाएगा जीवन में ? इसे खोने के बाद तमस-ही-तमस। बन अंधा टकराऊंगा शिलाओं पर, सिर पटक करूंगा आत्म सर्वनाश।। कोई छीन नहीं सकता मेरी प्रतिभा ? बदलूंगा अपना रूप,मैं हूं इच्छाधारी। कर्म करके प्रभु से मिला है वरदान, जय आशीष दिया है भोले भंडारी।। परिचय : अशोक कुमार यादव निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) संप्राप्ति : सहायक शिक्षक सम्मान : मुख्यमंत्र...
तू मेरा जहां…!
कविता

तू मेरा जहां…!

हरिदास बड़ोदे "हरिप्रेम" गंजबासौदा, विदिशा (मध्य प्रदेश) ******************** एक तू..., बस तू..., सिर्फ तू..., है मेरी जां..., एक तू..., बस तू..., सिर्फ तू..., है मेरी जां...। तू मेरी है धड़कन, तू मेरा जहां, तू मेरी है धड़कन, तू मेरा जहां। "एक तू मेरी जां..., बस तू धड़कन..., सिर्फ तू है जहां...।" तू मेरी है धड़कन, तू मेरा जहां, तू मेरी है धड़कन, तू मेरा जहां। तू मेरा जहां...।। दुआं मैं करूं, जुदां मेरी जां, सिर्फ तू है, जहां से, जी ना सकूं, बिन तेरे जहां, लग जा गले, प्यार से। जो तू नही, तो मैं नही, जो तू नही, तो मैं नही, आज तू कहां..., कल तू वहां..., दिल-ए-जवां..., तू मेरा जहां...। "एक तू..., बस तू..., सिर्फ तू..., है मेरी जां...।" तू मेरी है धड़कन, तू मेरा जहां, तू मेरी है धड़कन, तू मेरा जहां। तू मेरा जहां...।। सुना ऐ जहां, तू जानले, मेरे हमसफर, तू देर ना ...
काश पंख होते मेरे…
कविता

काश पंख होते मेरे…

हरिदास बड़ोदे "हरिप्रेम" गंजबासौदा, विदिशा (मध्य प्रदेश) ******************** काश पंख होते मेरे, उड़ जाता, काश पंख होते मेरे, उड़ जाता। मनचाही जगह पर मैं, चला जाता, काश पंख होते मेरे, उड़ जाता। काश पंख होते मेरे, उड़ जाता।। कोई अपना दूर सही, याद सताती है, जिस पल में याद करूं, याद आती है। दिल जितना याद करे, मुझको रुलाती है, मेरा दिल धड़के यूं, मिल जाता। मनचाही जगह पर मैं, चला जाता, काश पंख होते मेरे, उड़ जाता। काश पंख होते मेरे, उड़ जाता।। दिन याद करूं दूनी, रात चौगुनी आती है, आकर मेरे सपनों में, समां जाती है। एहसान किया ऐसा, सपनों में आकर सही, मेरा सपना चाहे यूं, मिल जाता। मनचाही जगह पर मैं, चला जाता, काश पंख होते मेरे, उड़ जाता। काश पंख होते मेरे, उड़ जाता।। हर पल मैं याद करूं, एहसास मुझे ऐसा, जुदाई भी क्या ऐसी, मुझे तड़पाती है। देखो छलके आंसू मेरे, क...
आज तू कहां…!
कविता

आज तू कहां…!

हरिदास बड़ोदे "हरिप्रेम" गंजबासौदा, विदिशा (मध्य प्रदेश) ******************** आज तू कहां..., आज तू कहां..., आज तू कहां..., कभी साथ थे..., हंसी थे..., जवां थे..., जिन्दगी के दो पल...। आज तू कहां...।। छोटी-छोटी बातें, ओ मुलाकातें, रूठना मनाना, फिर मुस्कुराना। ख्वाबों में मेरे, यूं चले आना, याद मैं करूं..., ना... जाने... तू... है... कहां...। आज तू कहां...।। सुना-सुना अंगना, है मेरे आना, आकर मुझको, फिर गले लगाना। गले लगाकर, यूं शर्माना, याद मैं करूं..., ना... जाने... तू... है... कहां...। आज तू कहां...।। बार-बार रहते, क्यों दूर हमसे, दूर होकर, क्यूं यादों में मेरे। आ जाए शर्म तो, फिर लौट आना, याद मैं करूं..., ना... जाने... तू... है...कहां...। आज तू कहां...।। सच-सच बोलूं, अब तेरे सहारे, सारी उमर हो, बस साथ हमारे। हर पल जीना, है संग तुम्हारे, याद मैं करूं.....
मेरा अस्तित्व है क्या…
गीत

मेरा अस्तित्व है क्या…

हरिदास बड़ोदे "हरिप्रेम" गंजबासौदा, विदिशा (मध्य प्रदेश) ******************** मैं क्या हूं, मैं क्यों रो पड़ा, मैं क्या हूं, मैं क्यों हस रहा। मैं कुछ नहीं, मेरा अस्तित्व है क्या, मैं कुछ नहीं, मेरा अस्तित्व है क्या। "मैं कैसे कहूं, किससे कहूं, कोई अपना पराया, लगने लगा।" मैं कुछ नहीं, मेरा अस्तित्व है क्या, मैं कुछ नहीं, मेरा अस्तित्व है क्या...।। मान भी जा, ऐ दिल ना हो दुखी, मेरा होना, ना होना एक जैसा। "मैं कैसे कहूं, किससे कहूं, कोई अपना पराया, लगने लगा।" मेरा दिल रोये, मेरा अस्तित्व है क्या, मैं कुछ नहीं मेरा अस्तित्व है क्या। मैं कुछ नहीं मेरा अस्तित्व है क्या...।। जाना अनजाना सा, सपना लगे, मैं अपना कहने, कहते चला। "मैं कैसे कहूं, किससे कहूं, कोई अपना पराया, लगने लगा।" मेरा मन तड़पे, मेरा अस्तित्व है क्या, मैं कुछ नहीं, मेरा अस्तित्व है क्या। मैं कुछ...
स्वर्णिम मध्यप्रदेश है
गीत

स्वर्णिम मध्यप्रदेश है

हरिदास बड़ोदे "हरिप्रेम" गंजबासौदा, विदिशा (मध्य प्रदेश) ******************** स्वर्णिम, मध्यप्रदेश है..., स्वर्णिम, मध्यप्रदेश है...। स्वर्णिम, मध्यप्रदेश है..., स्वर्णिम, मध्यप्रदेश है...। जन-जन गाहे यशगान..., भाग्यवान है यह राज्य, उज्जवल..., मध्यप्रदेश है। अतुल्य भारत करे गुणगान, स्वर्णिम, मध्यप्रदेश है। मेरा भारत है महान्, स्वर्णिम, मध्यप्रदेश है। स्वर्णिम, मध्यप्रदेश है...।। शान-ए-हिन्दुस्तान मेरा, सौंदर्य हृदयप्रदेश यह। अखंड भारत में विशेष यह, स्वराज्य सर्वश्रेष्ठ है। नवयुग का अनुपम सृजन, सर्वांगीन उत्थान यहां। रोशन मध्यप्रदेश यह, तारीफ-ए-हिन्दुस्तान है। जन-जन गाहे यशगान..., लोकप्रिय है यह राज्य, सुखद..., मध्यप्रदेश है। अतुल्य भारत करे गुणगान, स्वर्णिम, मध्यप्रदेश है। मेरा भारत है महान्, स्वर्णिम, मध्यप्रदेश है। स्वर्णिम, मध्यप्रदेश है...।। स्वास्थ्य-शिक...
तू… मेरी जां है…!
कविता

तू… मेरी जां है…!

हरिदास बड़ोदे "हरिप्रेम" गंजबासौदा, विदिशा (मध्य प्रदेश) ******************** तू..., मेरी जां है, जां है..., तू भूल गया..., मेरा..., तू जहां था, जहां था..., तू भूल गया...। तू भूल गया...।। तू..., मेरी जां है, जां है..., तू भूल गया..., मेरा..., तू जहां था, जहां था..., तू भूल गया...। तू भूल गया...।। तू सांचा था क्यूं, गैर हुआ, अपना रिश्ता क्यूं, गैर किया। दर्द भरी यादें, तू दे गया, सुना जहां मेरा, तू कर गया।। "दुआ मैं करूं..., तू खुश रहे सदा..., मुझे प्यार में..., धोखा मिल गया..., बेवफा तू..., क्यों हो गया.., बेवफा तू...।" तू भूल गया..., तू भूल गया...। तू..., मेरी जां है...।। खुला आसमां है, तू उड़ जा, संग मेरी यादें, सब भूल जा। सपने संवर गए, जो अब तेरे, कैसे बिखर गए, जो थे अपने।। "जिंदगी तुझपर मेरी..., कुर्बान हो जाए सदा..., मुझे प्यार में..., ...
मैं जो पुकारूं… दौड़ी चली आना
भजन, स्तुति

मैं जो पुकारूं… दौड़ी चली आना

हरिदास बड़ोदे "हरिप्रेम" गंजबासौदा, विदिशा (मध्य प्रदेश) ******************** "मैं जो पुकारूं, दौड़ी चली आना, मैं तेरा भक्त हूं, देर ना लगाना।" मैं जो पुकारूं, दौड़ी चली आना, मैं तेरा भक्त हूं, देर ना लगाना। सदा नमन करूं, मेरी मईया..., पखारूं तेरे पईया। ऐसी दया करो, ऐसी दया करो, ऐसी दया करो, मेरी मईया..., पखारूं तेरे पईया।। तू..., पर्वत विराजी कहीं, धरातल विराजी, तेरे..., सच्चे भक्तों के तू, मन में विराजी, मन मंदिर पूजो, सब मन मंदिर पूजो, श्रद्धा भाव भक्ति से, मन मंदिर पूजो। सदा नमन करूं, मेरी मईया..., पखारूं तेरे पईया। ऐसी दया करो, ऐसी दया करो, ऐसी दया करो, मेरी मईया..., पखारूं तेरे पईया।। तेरे..., द्वारपाल बजरंगी, पवनसुत बाला, तूने..., धन्य किया है प्यारे, अंजनी का लाला, पल-पल पुकारूं, तुझें हर-पल पुकारूं, श्रद्धा भाव भक्ति से, पल-पल पुकारूं...
लाडो खुश रहना
कविता

लाडो खुश रहना

हरिदास बड़ोदे "हरिप्रेम" गंजबासौदा, विदिशा (मध्य प्रदेश) ******************** लाडो खुश रहना, खुशहाल रखना परिवार, बाबुल मैया, ऐ चाहे हो...। बेटी खुश रहना, खुशहाल रखना परिवार, बाबुल मैया, ऐ चाहे हो...। बाबुल मैया, ऐ चाहे हो...।। सोने की थाली में, कंचन सा पानी, प्राणों से प्यारी, मेरी बिटिया रानी, लाडो कर देना..., बेटी कर देना, एक उपकार, बाबुल मैया, जो चाहे हो। बेटी कर देना, एक उपकार, बाबुल मैया, जो चाहे हो। "का चाहे, बाबुल मैया, का चाहे, बाबुल मैया, जो चाहे हो।" लाडो दे देना..., बेटी दे देना, खुशियां हजार, बाबुल मैया, ऐ चाहे हो। बेटी दे देना, खुशियां हजार, बाबुल मैया, ऐ चाहे हो। लाडो खुश रहना...। बाबुल मैया, ऐ चाहे हो...।। सोने सा अंगना में, महके बागवानी, फूलों से प्यारी, मेरी बिटिया रानी, लाडो कर देना..., बेटी कर देना, एक उपकार, बाबुल मैया, जो च...
मेरा साथी कौन
कविता

मेरा साथी कौन

दीप्ता नीमा इंदौर (मध्य प्रदेश) ********************  एक दिन मुझे भगवान् मिले मैंने उनसे पूछा कि भगवन् आप मुझे बताएं कि मेरा साथी कौन मैं राही मेरी मंजिल है कौन मैं पंछी मेरा घोसला है कौन मैं तूफान मेरा साहिल है कौन मैं हूँ नाव मेरा नाविक है कौन मैं इठलाती नदिया मेरा सागर है कौन मैं वनफूल मेरा वनमाली है कौन मैं मिट्टी मेरा कुम्हार है कौन मैं नश्वर शरीर मेरी आत्मा है कौन मैं लोभी मेरी तृप्ति है कौन मैं मोह का ताला मेरी कुंजी है कौन प्रभु मुस्कुराते हुए बोले हे मानव तेरा सच्चा साथी तेरा सारथी हूँ मैं तू राही तेरी मंजिल हूँ मैं तू पंछी तेरा घोसला हूँ मैं तू तूफान तेरा साहिल हूँ मैं तू चलती नाव तेरा नाविक हूँ मैं तू इठलाती नदिया तेरा सागर हूँ मैं तू वनफूल तेरा वनमाली हूँ मैं तू है मिट्टी तेरा कुम्हार हूँ मैं तू नश्वर शरीर तेरी अंतरात्मा हूँ मैं तू परमलोभी तेरी तृप्त...
जागो हे भोले…
भजन, स्तुति

जागो हे भोले…

हरिदास बड़ोदे "हरिप्रेम" गंजबासौदा, विदिशा (मध्य प्रदेश) ******************** "ईश्वर सत्य है, सत्य ही शिव है, शिव ही सुंदर है, सत्यम शिवम् सुंदरम...। सत्यम शिवम् सुंदरम..., सुंदरम..., सुंदरम..., सत्यम शिवम् सुंदरम...।। जागो हे भोले..., जागो..., जागो..., जागो..., जागो हे भोले, जागो प्यारे, मेरे भोले कि सूरत, है निराली। जागो हे भोले...।। गणेश-कार्तिक पूत तुम्हारे, आदिगौरी मां संगिनी तुम्हारी। मन पावन करो, कामना पूर्ण करो, सदा नमन करूं, ओमकार प्यारे। जागो हे भोले...।। हाथो में त्रिशूल डमरूं बाजे, माथे पर त्रिनेत्र चंद्र सांजे, जटा में रहे गंग, डाले गले में भुजंग, नीलकंठेश्वर, महाकाल प्यारे। जागो हे भोले...।। ज्योर्तिलिंग में शक्ति तुम्हारी, करे पूजन ऐ धरती सारी, भक्तों के भगवन्, करूं चरणों में सुमिरन, शिवशक्ति का रूप, भोलेनाथ प्यारे। जागो हे भोले...
भगवन् तेरी शरणम्…।
भजन, स्तुति

भगवन् तेरी शरणम्…।

हरिदास बड़ोदे "हरिप्रेम" गंजबासौदा, विदिशा (मध्य प्रदेश) ******************** भगवन् तेरी शरणम्, मैं आया कृपा करना, भगवन् तेरी शरणम्, मैं आया कृपा करना। जो तेरी इच्छा हो, तो मुझपर दया करना, जो तेरी इच्छा हो, तो मुझपर दया करना। भगवन् तेरी शरणम्...।। मेरे माता-पिता, गुरु की, छवि दिखे तुझमें, श्रीगणेश, शिव-शक्ति का, दिव्य रूप दिखे तुझमें। मेरी आत्मा का मालिक तू, श्रद्धा-नमन स्वीकार करना, एक आस ही मेरे पास, प्रभु मुझपर कृपा करना। भगवन् तेरी शरणम्...।। तेरी सूरत दीवानी है, मैं तेरा दीवाना हूं, मन मंदिर मेरे आजा, मैं तेरा पूजारी हूं। मेरे दिल की धड़कन तू, श्रद्धा-भक्ति स्वीकार करना, एक आस ही मेरे पास, प्रभु मुझपर कृपा करना। भगवन् तेरी शरणम्...।। धन दौलत नहीं चाहूं, मुझे तेरा सहारा हो, बस यही दुआ मांगू, निच्छल प्रेम मेरा हो। यह विनती मेरी सुनले, श्रद्धा-भाव स्व...
होली पर हुड़दंग
कविता, हास्य

होली पर हुड़दंग

अनुराधा प्रियदर्शिनी प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) ******************** मोदी चाचा आए हैं सतरंगी रंगों को लाए हैं योगी भैया देखो आए हैं केशरिया चटख रंग लाए हैं अखिलेश भैया ने बैंड बजाया मायावती जी चली हैं घर को सबने होली पर हुड़दंग मचाया एक दुजे को रंग लगाया मोदी चाचा आए हैं सतरंगी रंगों को लाए हैं होली के रंग बिरंगे रंग हैं भैया बुरा न मानो होली है आओ मिलकर हम सब होली खेलें जश्न मनाने का पल सुनहरा है स्नेह प्रेम का रंग लगाकर सबको गले लगाना है देखो होली की हुड़दंग मची है रंग बिरंगी होली है हंसी खुशी से होली मना लो एक दूजे को रंग लगा लो प्रेम से गले लगाकर भेदभाव को मिटा दो परिचय :- अनुराधा प्रियदर्शिनी निवासी : प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानिय...
स्वर की पुजारन
कविता

स्वर की पुजारन

अनुराधा प्रियदर्शिनी प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) ******************** स्वर की पुजारन चली स्वर की देवी से मिलने बहुत ही कठिन पल हमारे लिए यह बहुत है ममतामई मां को हम सबने ही अब खो दिया है स्वरों की मल्लिका के गीत से हम वंचित हुए हैं स्वर कोकिला भारत रत्न लता दीदी चली हैं माता सरस्वती के धाम वो उनके संग ही गयी हैं बसंत पंचमी का उत्सव एक ओर मनाया जा रहा दूसरी ओर लता जी अनंत यात्रा को जाने लगी है जन्म मृत्यु का चक्र बहुत ही अनोखा यहां हैं जन्म जिसने लिया उसकी मृत्यु निश्चित ही होती शीश झुका बस इतना ही कहना मैं चाहूं यात्रा तुम्हारी मां अपनी पूर्णता को पाए आत्मा का मिलन आज परमात्मा से होने चला है स्वं ब्रम्ह से आज उनका मिलन हैं परिचय :- अनुराधा प्रियदर्शिनी निवासी : प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह...
अपनी-अपनी बगिया
कविता

अपनी-अपनी बगिया

अनुराधा प्रियदर्शिनी प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) ******************** सबकी अपनी-अपनी बगिया मेरी भी बगिया है सुरभित कलियाँ चटकीं महकी बगिया रौनक से भर आई बगिया। रंग-बिरंगे पुष्प खिले हैं पुलकित मन से हिले-मिले हैं इन फूलों के रंगों से मिल चेहरे पर छाई है लाली। सूरज-चाँद-सितारे झाँकें यहाँ प्रेम की खुशबू छाई दिवस-रात तुम्हीं से होता सुबह-शाम दोनों सुखदाई। पूजा-अर्चन तुमसे होता सभी तीर्थ हैं तुमसे होते सारा उपवन तुमसे महके जीवन का हर कोना बिहँसे। मन मंदिर में पूजा तुमसे हरि पद में हिय दीपक चमके साथ तुम्हारा जबसे पाया जीवन का हर पल हर्षाया। परिचय :- अनुराधा प्रियदर्शिनी निवासी : प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्...
ॠतुराज बसंत
कविता

ॠतुराज बसंत

दीप्ता नीमा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** मौसम ने यूँ ली अंगड़ाई संग में इसके प्रकृति मुस्कायी खेतों पर हरियाली छाई डाल डाल पर नई कोपल आई सारी ॠतुओं को छोड़कर पीछे बारी ॠतुराज बसंत की आई। नवकुसुमों से सुसज्जित होकर नवपल्लवों से शोभित होकर कोयल की मधुर तान में खोकर सुगन्धित मस्त बयार को लेकर सारी ॠतुओं को छोड़कर पीछे बारी ॠतुराज बसंत की आई। भीनी सी आम की बौर महके सरसों के फूल और चिड़ियाँ चहके मदमस्त प्रकृति के यौवन में वसुंधरा प्रेमरस में बहके सारी ॠतुओं को छोड़कर पीछे बारी ॠतुराज बसंत की आई। परिचय :- दीप्ता नीमा निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित ...
जिंदगी धोखा है और मौत सच्चाई
कविता

जिंदगी धोखा है और मौत सच्चाई

दीप्ता नीमा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** ऐसा नहीं है कि मुझे कोई दर्द नहीं होता मुस्कुराती हूँ हरदम पर साथ हमदर्द नहीं होता जिंदगी के हर मोड़ पर लोगों ने कदम रोका है, काम निकल जाने पर छोड़ा और दिया धोखा है। हमने भी अब समझ ली है दुनिया की ये रस्म अपने अफसानों की ये बना ली नज्म वफ़ा के बदले हमको मिलती है बेवफाई। जिंदगी हसीन धोखा है और मौत है सच्चाई ।। परिचय :- दीप्ता नीमा निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके...