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Tag: माधवी तारे

मजबूरी
सत्यकथा

मजबूरी

माधवी तारे लंदन ******************** (सत्य घटना पर आधारित) “बेटा मेरी उम्र अब ८०-८२ साल के ऊपर हो गई है शरीर भी दिन-ब-दिन थकता जा रहा है... और तू है कि सवेरे शाम धंधे में लगा रहता है। तेरे बेटा और बेटी भी नौकरी पानी के लिए दूर रहते हैं, तुम्हारी बेटी तो ससुराल में अपनी नौकरी और घर के कामकाज में व्यस्त रहती है तू रोज़ नौकर के हाथों जमा पूंजी और कमाए हुए रकम बैंक में भेजता रहता है तुमने बैंक में नॉमिनेशन करके रखा है कि नहीं? सुबह से रात के ८-९ बजे तक दुकान पर ही बैठा रहता है एकाध दिन फुर्सत निकालकर बैंक का काम जरूर कर लेना” “हाँ माँ तू चिंता मत कर मेरा ध्यान है इस तरफ” “बेटा, समय बताकर नहीं आता है, समझ रहा है ना” “माँ मत घबरा मैं सब कर लूंगा” माँ का रोज-रोज कहना बेटे का हामी भरना ये सिलसिलेवार चलता रहा। एक दिन संध्या बेला थी, घर के पास धीरे-धीरे लोगों की भीड़ इकट्ठा होने लगी, आने ...
निर्णय
लघुकथा

निर्णय

माधवी तारे लंदन ******************** लग्न मंडप से अपने-अपने कमरों में चले गए दूल्हा और दुल्हन, थोड़े समय बाद पूरी रात भर सुनाई देने वाली दूल्हे के कमरे से चिल्पो सुन रही थी दुल्हन, सुबह वरमाला लेकर मंडप में तो गई, पर सबके सामने बोल पड़ी मैं ससुराल नहीं जाऊंगी डोली हटा लो कहारो.... परिचय :- माधवी तारे वर्तमान निवास : लंदन मूल निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु ...
आजादी की चाल
कविता

आजादी की चाल

माधवी तारे लंदन ******************** जागो! री सखी! दिनकर भी नभ में उन्नत है छाया छाने दो प्रियकर आज उसको कितना भी ऊपर चलूँगी मैं आज आजादी की "सेवाभावी चाल ॥ १ ॥ आज सारे विश्व में महिला का दिन है छाया चौका चूल्हा धंधा घर का है तुम्ही को ही संभाल चलूँगी में आज आजादी की सेवाभावी चाल ।।२।। मानव जगत से पीड़ा का संसार मिटाने दानव-मन में करुणा सागर फिर सँजाने पीना पड़ेगा मुझे आज गर विष-हलाहल फिर भी चलूँगी मैं आज आजादी की सेवा भावी चाल ॥३।। स्वार्थ-तुहिन हल जीवन बगियाँ की कलियों को हँसाने प्रणय सिंदूर से जन-मन का सँजाने भाल प्रदेश विशाल चलूँगी मैं आजादी की आज सेवा भावी चाल ॥४।। दुखियारी माताओं के आँचल में उल्लास भर देने नवजात शिशुओं को जीवन - मधुहास पिलाने सुरक्षा की बन के ढाल चलूँगी मैं आजादी की आज सेवाभावी चाल ।।५।। भूखे कंकाल में भरने दो दाने खेतों पर अमृ...
एक चिकित्सक की कहानी उनकी जुबानी
कविता

एक चिकित्सक की कहानी उनकी जुबानी

माधवी तारे इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** एक मामूली सा डॉक्टर हूं बेशक कोई भगवान नही डॉक्टर का डॉक्टर होना मगर इतना भी आसान नहीं इस दर्जे की खातिर मैने बचपन खोया हैं मैं वो हूं जो एक एक मार्क्स को रोया हूं सुकून की जिंदगी को कुर्बान करता हैं डॉक्टर कभी किताब तो कभी, इमरजेंसी टेबल पे सोया है जाने कब होली बीती, जाने कब दिवाली गई जाने कितने रक्षाबंधन, मेरी कलाई खाली गई परीक्षाओं की लड़ी ने, नही छोड़ा साथ अब तक मेरे हजारों दिन खा गई उतनी ही राते काली गई फिर भी तुम्हे हर वक्त जो खुश दिखे परेशान नहीं उस डॉक्टर का डॉक्टर होना इतना भी आसान नहीं मैंने क्रिकेट का बैट छोड़ा, टीवी का रिमोट छोड़ा सफेद एप्रन की खातिर मैंने जैकेट कोट छोड़ा स्कूल का टॉपर मेडिकल में आने पर फेल होने से डरा हैं जब भी कोई शॉर्ट नोट छोड़ा मेरी कोई संडे नही छुट्टी की गुजारिश ...
कवच समान है पिता
कविता

कवच समान है पिता

माधवी तारे इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** बच्चे की माता गर है प्रथम शिक्षिका तो कवच समान है पिता भी उसी का तभी तो नाम के आगे उसके जुड़ा ही रहता है नाम पिता का ll१ll माता होती गर धरती उसकी पिता होता आकाश उसी का संस्कार यद्यपि देती माता संघर्ष उसे पिता सिखाता ll२ll कभी आग का गोला बनता श्रीफल-सा कभी कोमल लगता संवेदनाओं के बंधन बांधे होता रिश्ता पिता-पुत्र का ll३ll उंगली पकड़कर उसे पिता बाहरी दुनिया परिचित कराता प्रसंग विशेषी सख्त और कठोर बनने की सीख ही देता ll४ll तपा-तपा कर कुंदन जैसा पिता स्वयं प्रकाशी उसे बनाता अपने से भी आगे निकलता पुत्र देखने की ख्वाहिश रखता ll५ll परिचय :- माधवी तारे निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकत...
मां तुझे सलाम नमन
स्मृति

मां तुझे सलाम नमन

माधवी तारे इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** जिनके हाथों में पालने की डोरी, उसकी महिमा जगन्नाथ से भी भारी।। मातृ दिवस का मर्म इन दो पंक्तियों में समाया है। अहिल्या सीरियल दूरदर्शन पर देखते-देखते मां से जुड़ी कई यादें दिमाग में पुनः ताजा हो गई हैं। कुछ बातें आपके साथ साझा करने का प्रयास कर रही हूं। स्वानुभूति के समंदर में गोते लगाते हुए मेरी मां ने कुछ उसूलों के मोती पाए थे और उनको अपने मन मंदिर में सजाकर आज की दृष्टि से विशाल परिवार को सभ्य, सुसंस्कृत, संस्कारित, आध्यात्मिक संबल से पालने का निश्चय किया था। बात पुराने जमाने की है अर्थात ३० के दशक से शूरू होती है.... शादी के समय मेरी मां की उम्र ९-१० साल की और पिताश्री की उम्र १९-२० साल की थी। गांव के मुखिया की बेटी थीं वे। खेत-खलिहान, बाग-बगीचे भव्य बाड़े, नौकर-चाकर तथा भरे-पूरे परिवार से थीं हमारी मां। मुखिया जी के घर...
मासूमियत
लघुकथा

मासूमियत

माधवी तारे इंदौर (मध्य प्रदेश) ********************   'वक्त की कैद में जिंदगियाँ हैं, मगर चंद घड़ियाँ हम सब सब्र करें, प्राण वायु की आपूर्ति के लिए तो कम से कम।' संपूर्ण विश्व की त्रासदी से हम सब वाकिफ हैं। एक अनाहत भय से हर शख्स परेशान सा है। बच्चें, बूढ़े एवं युवा सब-के-सब आज की स्थिति का गुनहगार स्वयं को मान रहे हैं। स्वार्थांध होकर मानव ने प्रकृति के साथ की हुई ज्यादतियां या खिलवाड़ का नतीजा वर्तमान स्थिति में कैसा भारी पड़ रहा है, सब देख रहे हैं, मान भी रहे हैं। 'वनराजी, वृक्षबेलियाँ हमारे सगे-संबंधियों जैसी है', यह हमारे देश की परंपरा युगों-युगों से चली आ रही है। ऐसे में एक घर की बुजुर्ग महिला सुबह-सुबह उठकर, नहा-धोकर, पुजा की थाल हाथ में लेकर जंगल की ओर निकल पड़ती है। दरवाजे की आहट सुनकर उसका छोटा पोता उठकर, "दादी माँ, रुको। मैं भी आपके साथ जंगल की और आता हूँ," कहकर जल्दी से ह...
एक वाक्या
हास्य

एक वाक्या

माधवी तारे इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** गंगाराम का बुड्ढा लोगों, यकायक गया और सारे गाँव में एक ही हल्ला हुआ ऐसा कैसे गया कल तो देखा था सिपहिया के डर से लोगों ने फटाफट बाँध-बूँध के शमशान घाट लाया वहाँ एक ने पूछा अरे टोकन लिया कि नहीं जाओ पहले टोकन ले आओ यह अंतिम संस्कार का मामला है ये राशन की दुकान है या वैक्सीन के लिए जैसे लगी लाईन हैं अरे देखो ना कितनी लंबी कतार लगी है आपके नाम की पुकार होगी तो लाश को अंदर ले आना जैसे ही गंगाराम की पुकार हुई उसने लाश अंदर लाई जैसे ही लकड़ी की आँच लगी लाश उठके बैठ गई भूत-भूत कहकर जनता भाग गई किसी की चप्पल निकल गई किसी की धोती काँटों में अटक गई भूत ने है पकड़ी समझ कर वो आदमी वैसे ही गाँव की तरफ आ गया बुड्ढा भी उसके पीछे-पीछे गाँव आ गया दूर एक पेड़ के नीचे बुढिया आँसू बहा रही थी बुड्ढा उसके पास आया बोला अब...
संयममय जीवन
कविता

संयममय जीवन

माधवी तारे इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** संयममय जीवन सुरक्षित वतन करोना तो हैं, बिन बुलाया मेहमान। बड़ा जिद्दी और जानलेवा इसका तूफान।। यमराज का कार्य हैं इसने बढ़ाया। बिन यात्रा दसवे-तेरहवे पहुंच जाता इंसान, सीधे वैकुण्ठधाम।। सम्पूर्ण जगत को चूभ रहा इसका आंतरिक शूल। अच्छे-अच्छे को चटा दी इसने प्राणांतिक धूल।। बिना ढोलबाजे डीजे और बिना पंगत। आ रही लाड़ी घर में लेकर नई रंगत।। जीवन जीने का इसने, बदल दिया दृष्टिकोण। मास्क ग्लव्ज़ सह दूर से ही करो सबका नमन।। जून का खुशनुमा पवन लॉकडाउन का थोड़ा परिवर्तन नित सेनिटाइजेशन, हस्तप्रक्षालन संयमित जीवन सुरक्षित वतन।। .परिचय :- माधवी तारे निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहान...