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विश्वास

विनय मोहन ‘खारवन’
जगाधरी (हरियाणा)

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सड़क पर भीड़ जमा थी। वो मदारी तमाशा दिखा कर मजमा लगाए हुए था। मैं भी टाइम पास के लिए वहाँ खड़ा होके तमाशे का व मदारी की मजाकिया लहजे में बात करने के अंदाज का आनंद लेने लगा। मदारी दो पोल के बीच रस्सी बांध कर उस पर बैलैंस बना कर चलने लगा। फिर अचानक रस्सी पर वो अपने छोटे से बच्चे को लेकर भी चलने लगा। सभी सांस रोके इस प्रदर्शन को देख रहे थे। वो जब ठीक ठाक नीचे उतर गया, तब सबकी जान में जान आई। नीचे उतर कर वो बोला की क्या ये सब वो दुबारा भी कर सकता है। सभी बोले बिलकुल कर सकते हो। हमें तुम पर पूरा विश्वास है। मदारी बोला ठीक है दोस्तों, अगर आपको मुझ पर इतना विश्वास है तो कोई भी भाई अपना छोटा बच्चा मुझे दे दे। मैं उसको लेकर रस्सी पर चलूंगा। सभी ने अपने छोटे बच्चों को अपने पीछे छुपाना शुरू कर दिया। कोई आवाज़ नही आई। मदारी बोला अरे दोस्तों आपको तो मुझ पर विश्वास है कि मैं ये कर सकता हूं। फिर ये डर कैसा।
मदारी फिर बोला, इसका जवाब भी मैं देता हूँ। वास्तव में आपको मुझ पर विश्वास तो है पर भरोसा नही है। आपको डर है कि कहीं आपके बच्चे को कुछ हो न जाये। दोस्तों भरोसा करना सीखिए, विश्वास तो हम पत्थर में भगवान होने पर भी करते हैं। बस यही अंतर है विश्वास और भरोसे में।
मदारी की दार्शनिक सोच ने सबकी आंखे खोल दी थी। अब मदारी दर्शक था व मजमे की भीड़ मदारी की तरह बच्चों के साथ सड़क पार कर रही थी।

परिचय :- विनय मोहन ‘खारवन’
निवासी : जगाधरी (हरियाणा)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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