Friday, May 10राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

राम नाम की मधुशाला (भाग- ४)

प्रेम नारायण मेहरोत्रा
जानकीपुरम (लखनऊ)
********************

इस पवित्र पावन गंगा में,
जो भी नित्य नहाता है।
उसके पाप नष्ट होते हैं,
मुक्ति धाम को पाता है।
मानव जीवन धन्य उसीका ,
जिसने पिया नाम प्याला।
जिसमे छलके नाम की मदिरा,
उसे कहेंगे मधुशाला।

ये कल्याणदायिनी गंगा,
मरुथल में बह सकती है।
वो अमोघ शक्ति है इसमें,
जो चाहे कर सकती है।
नाम जाप ने रत्नाकर डाकू,
को ऋषि बना डाला।
रामायण की रचना करके,
वो बन बैठा मधुशाला।

भक्त विभीषण दैत्य हो जन्मा,
पर फिर भी वो सात्विक था।
रावण का मंत्री था फिर भी,
सत्यनिष्ठ और धार्मिक था।
राम नाम की प्रीत ने उसको,
हनुमत से मिलवा डाला।
कर सहयोग प्रभु सेवक का,
वो बन बैठा मधुशाला।

राम नाम की मदिरा का कुछ,
स्वाद जिसे मिल जाता है।
वो उसमे ही डूब राम रस,
सबको खूब पिलाता है।
जिसको ये मदिरा चढ़ जाती,
हो जाता है मतवाला।
स्वांस स्वांस में राम बसाकर,
हो जाता है मधुशाला।

परिचय :- प्रेम नारायण मेहरोत्रा
निवास : जानकीपुरम (लखनऊ)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें….🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *