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हाँ में बनियाँ हूँ

शैलेष कुमार कुचया
कटनी (मध्य प्रदेश)
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विरोधियो को तो छोड़ो
सरकारों ने भी बनियो को
गलत निगाह से देखा है
कहने को तो में सेठ हूँ
फिर क्यों इतना लाचार हूँ
आये दिन छापो से
घुट घुट के बनियो को जीते देखा है
चंदा के नाम पर नेताओ
को पैर पकड़ते देखा है
छोटा मोटा गुंडा भी धमकी दे जाता है
थाने जाओ तो वहां भी लूटा जाता है
आखिर कब मिलेगी बनियो को
अपनो से ही आजादी व्यापार कोई
खेल नही समझो हमारी परेशानी
बिन खाये दुकान जाते है
दिनभर दिमाग का दही करवाते है
मेहनत वाली इज्जत की रोटी खाते है
हमने ना गलत राह पकड़ी है
बच्चो को भी यही सिखाते है
फिर भी मुश्किल में हो मुल्क
तो सबसे पहले हाथ बढ़ाते है
हाँ में बनियाँ हूँ
गर्व से कहना आता है
जिसने स्कूल कॉलेज धर्मशाला
बनवाई है सबसे पहले टैक्स देकर
देश की अगवाई की है
एकता से जीना आ गया जिस दिन हमे
एक नया इतिहास लिख देंगे
सरकार सिर्फ साथ दे दे तो
भारत को व्यापार का विश्व गुरु बना देंगे।।

परिचय :-  शैलेष कुमार कुचया
मूलनिवासी : कटनी (म,प्र)
वर्तमान निवास : अम्बाह (मुरैना)
प्रकाशन : मेरी रचनाएँ गहोई दर्पण ई पेपर ग्वालियर से प्रकाशित हो चुकी है।
पद : टी, ए विधुत विभाग अम्बाह में पदस्थ
शिक्षा : स्नातक
भाषा : हिंदी, बुंदेली
विशेष : स्वरचित रचना, विचारो हेतु विभाग उत्तरदायी नही है, इनका संबंध स्वउपजित एवं व्यक्तिगत है।
घोषणा : में यह प्रमाणित करता हूं, कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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