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महिला दिवस का पाखंड

सुधीर श्रीवास्तव
बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश)
********************

आइए! एक बार फिर
महिला दिवस का
पाखंड करते हैं,
महिला दिवस के नाम पर
औपचारिकता का
प्रपंच करते हैं।
रोज रोज महिलाओं का
अपमान करते हैं,
नीचा दिखाने का एक भी
मौका नहीं गँवाते हैं,
उनकी हर राह में
कांटे बिछाते हैं।
महिलाओं को
बराबरी का दर्जा देते हैं
पर सच तो यह है
कि हम सब अपनी माँ
बहन बेटियों को
भी ठेंगा दिखाते हैं।
नारी तू नारायणी है का
जितना गान करते हैं,
उससे अधिक हम उनका
अपमान करते हैं।
नारी के प्रति श्रद्धा के
दिखावे खूब करते हैं
बड़े बड़े भाषण, गोष्ठियां,
दिखावा करते हैं
पत्र पत्रिकाओं में
असंख्य लेख
कविता, कहानियां
भी लिखते हैं,
परिचर्चा, वैचारिक चिंतन
महिला हितों के नाम पर
सिर्फ औपचारिकता निभाते हैं,
महिलाओं को साल में
इस एक दिन
महिला दिवस के नाम पर
सबसे ज्यादा बरगलाते हैं,
आज़ादी के पचहत्तर सालों में
हम महिलाओं को
सुरक्षा का भाव तो दे न सके,
फिर भी हमारी बेशर्मी तो देखिए
महिला दिवस के नाम पर भी
महिलाओं को बरगलाने
की कोशिशों में
आज भी ‌‌एक कदम
पीछे न हट सके।
सोचिए, विचारिए
कितने ईमानदार हैं हम
अपनी माँ बहन बेटियों के प्रति
वास्तव में कितने
ईमानदार हैं हम?
फिर महिला दिवस की
जरूरत नहीं होगी,
महिलाओं को भी बेचारगी
न महसूस होगी।
क्योंकि हम जानबूझकर
उन्हें कमजोर होने का
अहसास कराते हैं
क्योंकि कुछ भी हो जाय मगर
अपने बराबर उनके खड़े होने से
हम हीनता के भाव से डर जाते हैं।
माँ, बहन या बेटियों में भी हम पहले
महिला ही महिला को देखते हैं,
सिर्फ इसलिए महिला
दिवस के नाम पर
हम धूल झोंकने का
काम लगातार करते हैं,
अपनी जिम्मेदारियों की महज
औपचारिकता निभाते हैं
गर्व से फूले नहीं समाते हैं,
आठ मार्च को हम हर साल
हम मिलकर महिलाओं
को बेवकूफ बनाते
महिला दिवस के नाम पर
भरमाते हैं
और अंतरराष्ट्रीय
महिला दिवस मनाते हैं।

परिचय :- सुधीर श्रीवास्तव
जन्मतिथि : ०१/०७/१९६९
शिक्षा : स्नातक, आई.टी.आई., पत्रकारिता प्रशिक्षण (पत्राचार)
पिता : स्व.श्री ज्ञानप्रकाश श्रीवास्तव
माता : स्व.विमला देवी
धर्मपत्नी : अंजू श्रीवास्तव
पुत्री : संस्कृति, गरिमा
संप्रति : निजी कार्य
विशेष : अधीक्षक (दैनिक कार्यक्रम) साहित्य संगम संस्थान असम इकाई।
रा.उपाध्यक्ष : साहित्यिक आस्था मंच्, रा.मीडिया प्रभारी-हिंददेश परिवार
सलाहकार : हिंंददेश पत्रिका (पा.)
संयोजक : हिंददेश परिवार(एनजीओ) -हिंददेश लाइव -हिंददेश रक्तमंडली
संरक्षक : लफ्जों का कमाल (व्हाट्सएप पटल)
निवास : गोण्डा (उ.प्र.)
साहित्यिक गतिविधियाँ : १९८५ से विभिन्न विधाओं की रचनाएं कहानियां, लघुकथाएं, हाइकू, कविताएं, लेख, परिचर्चा, पुस्तक समीक्षा आदि १५० से अधिक स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर की पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित। दो दर्जन से अधिक कहानी, कविता, लघुकथा संकलनों में रचनाओं का प्रकाशन, कुछेक प्रकाश्य। अनेक पत्र पत्रिकाओं, काव्य संकलनों, ई-बुक काव्य संकलनों व पत्र पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल्स, ब्लॉगस, बेवसाइटस में रचनाओं का प्रकाशन जारी।अब तक ७५० से अधिक रचनाओं का प्रकाशन, सतत जारी। अनेक पटलों पर काव्य पाठ अनवरत जारी।
सम्मान : विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा ४५० से अधिक सम्मान पत्र। विभिन्न पटलों की काव्य गोष्ठियों में अध्यक्षता करने का अवसर भी मिला। साहित्य संगम संस्थान द्वारा ‘संगम शिरोमणि’सम्मान, जैन (संभाव्य) विश्वविद्यालय बेंगलुरु द्वारा बेवनार हेतु सम्मान पत्र।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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