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प्रतिमा – वार्णिक

मीना भट्ट “सिद्धार्थ”
जबलपुर (मध्य प्रदेश)
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प्रतिमा – (वार्णिक)
१४ वर्ण : चतुर्दशाक्षरावृत्ति
यति – ८, ६
गण संयोजन – सभतनगग
सगण भगण तगण नगण गुरु गुरु
(११२-२११-२२, १-१११-२२)
चार चरण, दो -दो चरण समतुकांत।

ममता मूरत न्यारी, सुमिरत माता।
करुणा सागर अम्बे, गुण जग गाता ।।
भव तारे अवतारी, नित शुभकारी।
जगदम्बे जननी हो, अतिशय प्यारी।।

चरणों शीश झुकाते, मनहर रूपा।
प्रिय हो वैभव शाली, नमन अनूपा।।
जयकारा करते हैं, हम दिन राता।
अब आशीष हमें दो, निरख सुजाता।।

पथ के कंटक सारे, विपद हटादो।
वसुधा आकुल माता, तिमिर मिटादो।।
बलिहारी हम जाते, सुन वरदानी।
महिमा भी नित गाते, जगत भवानी।।

तुम अम्बे तुम काली, कर रखवाली।
नवदुर्गा घर आओ, परम निराली।।
सजती थाल सुहानी, कुमकुम रोली।
अब तारो तुम दासी, मनहर भोली।।

परिचय :- मीना भट्ट “सिद्धार्थ”
निवासी : जबलपुर (मध्य प्रदेश)
पति : पुरुषोत्तम भट्ट
माता : स्व. सुमित्रा पाठक
पिता : स्व. हरि मोहन पाठक
पुत्र : सौरभ भट्ट
पुत्र वधू : डॉ. प्रीति भट्ट
पौत्री : निहिरा, नैनिका
सम्प्रति : सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश (मध्य प्रदेश), लोकायुक्त संभागीय सतर्कता समिति जबलपुर की भूतपूर्व चेयरपर्सन।
प्रकाशित पुस्तक : पंचतंत्र में नारी, काव्यमेध, आहुति, सवैया संग्रह, पंख पसारे पंछी
सम्मान : विक्रमशिला हिंदी विश्वविद्यालय द्वारा, विद्या सागर और साहित्य संगम संस्थान दिल्ली द्वारा, विद्या वाचस्पति की मानद उपाधि, गुंजन कला सदन द्वारा, महिला रत्न अलंकरण तथा कई अन्य साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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