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छप्पय छंद

रजनी गुप्ता ‘पूनम चंद्रिका’
लखनऊ
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छप्पय छंद
विधान – एक रोला छंद + एक उल्लाला छंद
रोला छंद – ११, १३ की यति से चार पंक्तियाँ, दो-दो पंक्ति तुकांत, विषम चरणान्त गुरु लघु से, सम चरण आरंभ त्रिकल (लघु गुरु हो तो अति उत्तम) से तथा अंत चौकल से
उल्लाला छंद – १३-१३ की यति से दो पंक्तियाँ, दोनों तुकांत, चार चरण प्रति चरण १३ मात्रा (दोहा का विषम चरण), ११ वीं मात्रा लघु अनिवार्य


चलूँ पकड़ कर बाँह, चपल हैं बेटे प्यारे।
ममता की है छाँव, नयन के मेरे तारे।।
बेटी पर अभिमान, जलातीं दो कुल बाती।
करूँ हृदय भर प्रेम, सहेजें मेरी थाती।।
माँ दुर्गा रक्षा करें, पूरा यह वरदान हो।
चाह रही रजनी यही, खिली सदा मुस्कान हो।।


प्रतिपल देना साथ, सदा तुम दुर्गा माता।
गणपति भी हों संग, रहें अनुकूल विधाता।।
व्यक्त करे आभार, कहाँ तक रजनी कितना।
सागर में है नीर, समझ लें सादर इतना।।
रहना विष्णु महेश सह, सूर्यदेव भी साथ में।
आओ शारद मात अब, लिए तूलिका हाथ में।।

परिचय : रजनी गुप्ता ‘पूनम चंद्रिका’
उपनाम :- ‘चंद्रिका’
पिता :- श्री रामचंद्र गुप्ता
माता – श्रीमती रामदुलारी गुप्ता
पति :- श्री संजय गुप्ता
जन्मतिथि व निवास स्थान :- १६ जुलाई १९६७, तहज़ीब व नवाबों का शहर लखनऊ की सरज़मीं
शिक्षा :- एम.ए.- (राजनीति शास्त्र) बीएड
व्यवसाय :- गृहणी
प्रकाशन :- राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर म.प्र. के  hindirakshak.com पर रचना प्रकाशन के साथ ही कतिपय पत्रिकाओं में कुछ रचनाओं का प्रकाशन हुआ है
सम्मान :- समूहों द्वारा विजेता घोषित किया जाता रहा है। दो बार नागरिक अभिनंदन पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। मंचों पर काव्य-पाठ व लघुकथा का पाठन करती रहती हूँ। सांस्कृतिक एवं सामाजिक योगदान हेतु सम्मान-पत्र प्रदान किया गया है। विद्यालय के समय भी अनेक पुरस्कार मिले हैं।
रचना की विधा :- अधिकतर दोहा सृजन, छंदमुक्त कविताएँ, मुक्तक, दोहा, गजल, छंद, हाइकु दोहा, गीत, गीतिका, लघुकथा, संस्मरण आदि….
घोषणा पत्र :- मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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