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गहन ज्ञान का लोक प्रदाता

मीना भट्ट “सिद्धार्थ”
जबलपुर (मध्य प्रदेश)
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गहन ज्ञान का लोक प्रदाता,
गुरु सर्जक कहलाता है।
शत-शत वंदन हम करते हैं,
शिक्षक भाग्य विधाता है।।

कच्ची माटी को मथता है,
शिल्पी है देख निराला ।
प्रतिभाओं को पंथ सुझाए,
आदर्शों की है शाला।।
सदाचार संयम से पावन,
शिक्षा अलख जगाता है।

लोक आचरण उत्तम अनुपम,
शुभ मंगल भी व्यवहारी।
आलोकित करता है जग को,
सत्कर्मी है उपकारी।।
मानवता की शिक्षा देता,
सत्य पंथ ले जाता है।

अनुशासन का पाठ पढ़ाता,
सच्चा योगी है न्यारा।
मार्ग -प्रणेता और समीक्षक,
संस्कृति-पोषक भी प्यारा।।
शिक्षा का उत्थान करे नित,
पारस सबको भाता है।

ज्ञान प्रभाकर है सुखसागर,
शिक्षा में भी गहराई।
दोष निवारक है शिष्यों का,
विनयशील है सुखदाई।।
ब्रह्म-ज्ञान का भव संवाहक,
यश वैभव दिलवाता है।।

शिष्यों का कल्याण करे नित,
धवल लोक की अभिलाषा।
दिव्य-दीप है समरसता का,
धर्म-कर्म की परिभाषा।।
नवयुग का लौकिक संरक्षक,
राष्ट्र धर्म सिखलाता है।

परिचय :- मीना भट्ट “सिद्धार्थ”
निवासी : जबलपुर (मध्य प्रदेश)
पति : पुरुषोत्तम भट्ट
माता : स्व. सुमित्रा पाठक
पिता : स्व. हरि मोहन पाठक
पुत्र : सौरभ भट्ट
पुत्र वधू : डॉ. प्रीति भट्ट
पौत्री : निहिरा, नैनिका
सम्प्रति : सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश (मध्य प्रदेश), लोकायुक्त संभागीय सतर्कता समिति जबलपुर की भूतपूर्व चेयरपर्सन।
प्रकाशित पुस्तक : पंचतंत्र में नारी, काव्यमेध, आहुति, सवैया संग्रह, पंख पसारे पंछी
सम्मान : विक्रमशिला हिंदी विश्वविद्यालय द्वारा, विद्या सागर और साहित्य संगम संस्थान दिल्ली द्वारा, विद्या वाचस्पति की मानद उपाधि, गुंजन कला सदन द्वारा, महिला रत्न अलंकरण तथा कई अन्य साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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