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करवा चौथ का व्रत

डॉ. सुभाष कुमार नौहवार
मोदीपुरम, मेरठ (उत्तर प्रदेश)
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आज करवा चौथ का व्रत था,
भुला दिया हो उसने सब कुछ,
पर मुझे वो क्षण याद था।
वो उसका फोन-
“हेलो ! कैसे हो तुम?
मैं बिलकुल ठीक हूँ।
मेरी आवाज को सुनकर
तुम दुखी मत होना,
याद करके मेरी,
अपने आप को मत खोना,
आज करवा चौथ का व्रत है!
तुम्हारी आवाज सुनानी थी,
माँग कर मन्नत माँ से,
अपनी तक़दीर बुननी थी।
किसी को कुछ नहीं पता !
सुबह से पानी भी नहीं पिया है।
तुम्हें पाने का सुरूर मेरी
आत्मा में घुल गया है।
अच्छा ! मम्मी आती है
फोन रखती हूँ,
बसाकर मनमंदिर में
तुम्हारे लिए दुआ करती हूँ।
पर अब!!!! फोन की घंटी नहीं बजती !!
और तुम्हारी कोई उम्मीद
अब मेरे लिए नहीं जगती।
लेकिन मेरे कानों ने
उम्मीद नहीं छोड़ी है,
तुमने न सही, मैंने
छलनी से चाँद देखा था।

कहीं नहीं था चाँद! छलनी के
हर छेड़ से तुम्हें देखा था।
और तुम भी देख रही थी
छलनी से चाँद को,
किसी दूसरे को देखने की
असफल कोशिश में,
तुम्हें मैं ही नज़र
आता था बार- बार।
तुमने झटक दिया था
अपने माथे को,
और हटा दी थी मेरी
परछाई अपनी आँखों से।
देखा, पिता द्वारा प्रस्तावित
उस पूंजीपति को,
डरती निगाहों से।
और कर ली व्रत की
औपचारिकता पूरी।
मन की अधमरी आस पर,
खड़ी कर दी एक आवश्यकता जरुरी।
तुमने बेशक किसी के
धोए हों पैर, किसी को देखा हो,
तुम्हें ही देखते रहे हम,
जिधर भी हमने देखा!!
जब था वो तुम्हारा
करवा चौथ का व्रत !!!!

परिचय :- डॉ. सुभाष कुमार नौहवार
जन्म : ५ फरवरी १९७३
जन्म स्थान : कौलाहर (मथुरा)
निवास : मोदीपुरम (मेरठ) उत्तर प्रदेश।
शिक्षा : एम.ए हिंदी, शिक्षा शास्त्र, इतिहास, बी.एड (पी.एच.डी- निरंतर)
वर्तमान निवास : दोहा क़तर (अरब की खाड़ी)
साहित्यिक परिचय : लेखक- नई स्वाति कक्षा १-८ सरस्वती हाउस पब्लिकेशन, (एस. चाँद पब्लिकेशन) नई दिल्ली। कवि, विचारक, साहित्यकार (ब्लोग राइटर)
कार्य स्थल : वर्ष २००८ से खाड़ी के देशों में हिंदी शिक्षण कार्य में संलग्न। वर्तमान में दोहा मॉडर्न इंडियन स्कूल में बतौर विभागाध्यक्ष हिंदी के रूप में कार्यरत।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है


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