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देश गान

कुंदन पांडेय
रीवा (मध्य प्रदेश)

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ओजस्व नहीं मेरे अंदर,
तू स्वयं ओज गुण दाता है।
संपूर्ण कलाधर हे जननी,
तू हीं इस जग की त्राता है।

हर क्षण-क्षण, हर पल पूजा हो,
बस यही आश मन धरती हूं।
तेरे कारण मेरा वजूद,
मैं तुम्हें नमन नित करती हूं।
है लिया जन्म जिस धरती पर,
न उसको नित निश प्राण करो।
तुम जग के कुल उद्धारक हो,
इस वसुधा का सम्मान करो।
जो त्याग अरति इतिहास रचे,
नव युग उसके गुण गाता है ।
संपूर्ण कलाधर हे जननी,तू हीं
इस जग की त्राता है।

उठ जाओ शुखमय आश्रय से,
तुम नित त्रासों का वरण करो
जग-मग कर डालो वशुधा को,
कुल दीपों का तुम तरण करो।
हो कर अब निश्चल अविरल तुम,
भारत माता का ध्यान करो।
गर राष्ट्र प्रेम तुम करते हो,
हर प्राणी का सम्मान करो।
जो कण-कण तज दे धरणीं पर,
हर शब्द उसे हीं ध्याता है।
संपूर्ण कलाधर हे जननी,
तू हीं इस जग की त्राता है।

परिचय :-  कुंदन पांडेय
निवासी : रीवा (मध्य प्रदेश)
उद्घोषणा : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

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