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खुद से धोखा मत करना (ताटंक)

विजय गुप्ता “मुन्ना”
दुर्ग (छत्तीसगढ़)
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लक्ष्य भेदना दुष्कर समझें, सब्र साधना ही धरना।
लक्ष्यों के जानो रूप हजार, मनचाहा पहले रखना।
पथ भ्रष्ट जन की अनदेखी, करके तुम आगे बढ़ना।
जब राह चुनी अंतर्मन से, खुद से धोखा मत करना।

सत्य राह में बाधा देने, समक्ष परोक्ष चले आते।
वो कभी आपको भटकाते, सहज रूप में बहकाते।
दिल दिमाग का गोबर होता, शंकाओं में घिर जाते।
लक्ष्य दाल संग भात बैठे, मुसरचंद दूर फेंकना।
पथ भ्रष्ट जन की अनदेखी, करके तुम आगे बढ़ना।
जब राह चुनी अंतर्मन से, खुद से धोखा मत करना।

लक्ष्य साधने की कला याद, छत पे थी घूमती मछली।
नीचे बहते जल में मछली, बिंब आंख में हां कर ली।
देश_देश के वीरों को सब, देख रहे आई मतली।
साध्य साधन साधक कहते, सीख सदा अर्जुन रखना।
पथ भ्रष्ट जन की अनदेखी, करके तुम आगे बढ़ना।
जब राह चुनी अंतर्मन से, खुद से धोखा मत करना।

द्वेष दुश्मनी लक्ष्य जब रखो, बंद ही होता संवाद।
मगर गुट जुट जुगलबंदी का, कब उत्तम है प्रतिसाद।
सेवा सहयोग भाषा अर्थ, भावना का क्या अनुवाद।
सौ सुनार और एक लुहार, लोकोक्ति मर्म समझना।
पथ भ्रष्ट जन की अनदेखी, करके तुम आगे बढ़ना।
जब राह चुनी अंतर्मन से, खुद से धोखा मत करना।

नित्य कर्म की उचित चाल से, बेगाने ही विचलित हों।
फल वशीभूत न कोई रहे, मिलते ही अंकित भी हों।
यश सम्मान देख दूसरों का, हीन भाव ग्रसित भी हों।
बिगाड़ कुछ ना कर पाते, दुर्भाव से तिल तिल मरना।
पथ भ्रष्ट जन की अनदेखी, करके तुम आगे बढ़ना।
जब राह चुनी अंतर्मन से, खुद से धोखा मत करना।

हास_उपहास में चूक नहीं, चुगली से जब चोट करे।
कला कौशल जब केंद्र नहीं, जबरन ही जो खोट धरे।
मिले हौसला किसी रूप में, हरे राम जय राम हरे।
आवागमन तनहा जब मुन्ना, कर्म क्षेत्र से क्या डरना।
पथ भ्रष्ट जन की अनदेखी, करके तुम आगे बढ़ना।
जब राह चुनी अंतर्मन से, खुद से धोखा मत करना।

लक्ष्य भेदना दुष्कर समझें, सब्र साधना ही धरना।
लक्ष्यों के जानो रूप हजार, मनचाहा पहले रखना।
पथ भ्रष्ट जन की अनदेखी, करके तुम आगे बढ़ना।
जब राह चुनी अंतर्मन से, खुद से धोखा मत करना।

परिचय :- विजय कुमार गुप्ता “मुन्ना”
जन्म : १२ मई १९५६
निवासी : दुर्ग छत्तीसगढ़

उद्योगपति : १९७८ से विजय इंडस्ट्रीज दुर्ग
साहित्य रुचि : १९९७ से काव्य लेखन, तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल जी द्वारा प्रशंसा पत्र
काव्य संग्रह प्रकाशन : १ करवट लेता समय २०१६ में, २ वक़्त दरकता है २०१८
राष्ट्रीय प्रशिक्षक : (व्यक्तित्व विकास) अंतराष्ट्रीय जेसीस १९९६ से
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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