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मैं हूँ ना …

शिवदत्त डोंगरे
पुनासा जिला खंडवा (मध्य प्रदेश)
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जब ज़िंदगी
उलझने देती है
और सारे दरवाज़े
बंद लगते हैं
तब दिल सबसे पहले
जिस नाम को पुकारता है
वो है- ‘पिता’
हर मुश्किल का
टोल फ्री नंबर।

ना नेटवर्क चाहिए
ना कोई बैलेंस
ना ही कोई समय
तय करना होता है
बस एक कॉल
दिल से जाता है
और उस तरफ
से आता है
“बोल बेटा, क्या हुआ?”

जब जेब खाली हो और
सपने भारी
जब दुनिया मुंह फेर ले
और दोस्त भी न साथ दें
तब वो कहते हैं
“मैं हूँ ना… तू बस चल”

न टाइमटेबल
न ही शिकायत की फुर्सत
लेकिन फिर भी
वो हमेशा अवेलेबल
रहते हैं,
हर दर्द, हर
चिंता के लिए।

उनकी आवाज़ में
वो जादू है,
जो आँसुओं को
रोक देता है
और उनके कंधे
मानो पूरी दुनिया
से मज़बूत हैं।

“पिता” वो टोल फ्री नंबर है
जो कभी व्यस्त नहीं होता
जो हर बार जवाब देता है
चुपचाप, लेकिन पूरे दिल से।

परिचय :- शिवदत्त डोंगरे (भूतपूर्व सैनिक)
पिता : देवदत डोंगरे
जन्म : २० फरवरी
निवासी : पुनासा जिला खंडवा (मध्य प्रदेश)
सम्मान : राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर द्वारा “समाजसेवी अंतर्राष्ट्रीय सम्मान २०२४” से सम्मानित
घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है।


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