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रोम-रोम में प्रीत रमी जब

छत्र छाजेड़ “फक्कड़”
आनंद विहार (दिल्ली)
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रोम-रोम में प्रीत रमी जब
शब्दों में उतर छंद बन गई
बिखरी जो अँधेरों में हंसी तो
मोहक सा वो गीत बन गई

अलकों से छलकी जब बूँदे
बना मीठा मीसरा ग़ज़ल का
नेह धार बही मृगनयनन तो
आधार बन गई नज़्मों का

गुलज़ार हुये साँसों के स्पंदन
बिखर गये मुक्तक सपनों के
महका जो चंदन बदन दमकता
ढेर लग गया दहकते दोहों का

पायल की रूनझुन से निकली
बन कर झंकृत सी कुडंलियां
वाणी से बहे सरिता शब्दों की
खिली माँ शारदे की मनकलियां

मन मर्ज़ी से लहके बहके कलम
मदहोश चली हिरणी की चाल
गीत, कवित्त, छंद मधुर मीत के
मन करे फक्कड़ शर्म से लाल

परिचय :- छत्र छाजेड़ “फक्कड़”
निवासी : आनंद विहार, दिल्ली
विशेष रूचि : व्यंग्य लेखन, हिन्दी व राजस्थानी में पद्य व गद्य दोनों विधा में लेखन, अब तक पंद्रह पुस्तकों का प्रकाशन, पांच अनुवाद हिंदी से राजस्थानी में प्रकाशित, राजस्थान साहित्य अकादमी (राजस्थान सरकार) द्वारा, पत्र पत्रिकाओं व समाचार पत्रों में नियमित प्रकाशन, राजस्थानी लोक गीतों के लिए प्रसिद्ध कंपनी “वीणा कैसेटस” के दो एलबमों में सात गीत संगीतबद्ध हुये हैं।
सम्मान : “राजस्थानी आगीवान” सम्मान से सम्मानित
श्री गंगानगर के सृजन साहित्य संस्थान का सृजन साहित्य सम्मान व
सरदारशहर गौरव (साहित्य) सम्मान व अनेक अन्य सम्मानरा
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

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