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ये कैसी आजादी है

छत्र छाजेड़ “फक्कड़”
आनंद विहार (दिल्ली)
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ये कैसी आजादी है
भूखा पेट, नंगा बदन
मन-घाव सारे मवादी है
ये कैसी आजादी है

गांधी ने कब सोचा था
देश जलेगा पेट की आग में
जात-धर्म नाम पर लड़ेंगे
क्या यही लिखा था भाग में
रहे भूखा या फिर नंगे बदन
करने काम जेहादी है
ये कैसी आजादी है

कलमकार लिखते सच्चाई
पर उस से क्या पेट भरेगा
जिनके सपनों में सत्ता हो
जनता हेतु वो क्या करेगा
मुफलिसी से जुझते जन को
हालात बनाते फसादी है
ये कैसी आजादी है

बहुत काम हुआ अमृत काल में
सब छिपा कागदों मे, दिखे कहाँ
जनता पाती है दस बीस पैसा
बाकी जाने जाता है कहाँ
बँदर बाँट हो जाती है ऊपर
जनता तो फरयादी है
ये कैसी आजादी है

उद्योग लगे, पुल-बाँध बने
फैला सीमेंट कंक्रीट का जंगल
अमीर,अमीर और गरीब,गरीब
ठेकेदारों का हुआ बस मंगल
जड़ें गहराई बस भ्रष्टाचार की
बजट की बस बर्बादी है
ये कैसी आजादी है

सड़ता लाखों टन अनाज
इंसान रहे भूखा, गजब तंत्र
कोई मरे तो मरे, हमारी
सत्ता रहे सलामत, मूल मंत्र
इक जायेगा तो दूजा आयेगा
रूके कैसे बढती आबादी है
ये कैसी आजादी है

कहाँ अभाव देश में अन्न का
मगर पिछड़ा भूखा सोता है
उजले वस्त्र, लंबी गाड़ी, कहीं
छेदों से यौवन झलकता है
गिरगिट सा रंग पलटते नेता
अभावों संग शागिर्दी है
ये कैसी आजादी है
भूखा पेट, नंगा बदन
मन-घाव सारे मवादी है
ये कैसी आजादी है

परिचय :- छत्र छाजेड़ “फक्कड़”
निवासी : आनंद विहार, दिल्ली
विशेष रूचि : व्यंग्य लेखन, हिन्दी व राजस्थानी में पद्य व गद्य दोनों विधा में लेखन, अब तक पंद्रह पुस्तकों का प्रकाशन, पांच अनुवाद हिंदी से राजस्थानी में प्रकाशित, राजस्थान साहित्य अकादमी (राजस्थान सरकार) द्वारा, पत्र पत्रिकाओं व समाचार पत्रों में नियमित प्रकाशन, राजस्थानी लोक गीतों के लिए प्रसिद्ध कंपनी “वीणा कैसेटस” के दो एलबमों में सात गीत संगीतबद्ध हुये हैं।
सम्मान : “राजस्थानी आगीवान” सम्मान से सम्मानित
श्री गंगानगर के सृजन साहित्य संस्थान का सृजन साहित्य सम्मान व
सरदारशहर गौरव (साहित्य) सम्मान व अनेक अन्य सम्मानरा
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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