
खुमान सिंह भाट
रमतरा, बालोद, (छत्तीसगढ़)
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आज सूर्योदय होने से पहले ही घर के आंगन में प्रातः काल की ताज़ा हवा का आनंद लेने के लिये मैं अपने दैनिक कार्य से एक दम फ्रि हो गया और जैसे ही घर से निकले के लिए कदम बढ़ाया तो आंगन मे देखा गमले में फूल खिल उठा था और उससे थोड़ी ही दूर में ऊपर से रस्सी से बंधा हुआ आज का अखबार दिखाई दिया मैं थोड़ा सा चिंता मे डुब गया। क्योंकि पेपर वाला रोज़ की तरह विलंब न करके समय से पहले ही अखबार पहुंचा दिया था। फिर क्या अखबार हाथ में आते ही मै खुद को पढ़ने से भला रोक पाता? तभी देखा कि गहरे काले काले मोटे अक्षरों से हेड लाइन को देख मैं तो शून्य सा हो गया लिखा यूं था कि-
‘अविचारी वाहन चालक’
हेड लाइन पढ़ते ही मैं आग बबूला हो गया। मन को थोड़ा शांत किया और मैंने सोचा कि आज सही समय आ गया है जवाब देने का, अक्सर सोसल मीडिया में चंद टी.आर.पी.पाने के चक्कर में एक सीधे सादे बेगुनाहो को भी गुनाहों में तब्दील करने में कोई कसर नहीं छोड़ते ये मीडिया वाले। पर कैसे समझाऊं उन संकुचित मानसिकता वाले लोगों को जिनके किरदार खुद के मरम्मत मांग रहे हैं। सच्चाई तो यह है कि असलियत में वाहन चालक से ज्यादा नेक ईमानदार व एक सच्चा जिम्मेदार नागरिक यहां कोई है और न ही कोई हो सकता है। क्या हम नहीं जानते, जितना मेहनत वाहन चालक करते है, उनके मात्र तीस प्रतिशत हम सुबह से श्याम तक करते है? हम समय को नजर अंदाज करते है, सबको उनके मंजिल मे समय पर पहुंच जाये, वाहन चालक समह हो जाने पर भी कार्य करते है, यह होते है, वाहन चालक, सच्चे मन से, सच्चे सद्भावना से, फिर लोग बदनाम सिर्फ वाहन चालक को ही करतें हैं।
अब आप सब तर्क लगाइए कि यह जो कुछ वाहन चालकों के साथ दुर्व्यवहार किया जाता है वह सही है क्या…?
सब को स्वतंत्र रूप से अपने जीवन जीने का अधिकार है। एक बात यह भी है कि कोई कार्य छोटा या बड़ा नही होता है। जिस काम से किसी के खुशहाली आती है तो आप ही बताइए क्या यह गलत है?
मैं उस मिडिल क्लास फैमिली में आता हूं जहां माता-पिता के अलावा परिवार में तीन, जीवकोपार्जन हेतु केवल मजदूरी ही एकमात्र सहारा था जिस उम्र बच्चे को अपने बचपन ज़ीने का अधिकार होता है उसी उम्र में घर की आवश्यकता उसे जिम्मेदार (बडा) बना देता है क्योंकि जो घर को चलाने वाला होता है वहीं लकवा जैसे गंभीर बीमारी का शिकार हो जाता है, अब तो घर चलाना और भी मील का पत्थर साबित हो गया घर कि जिम्मेदारी पुरी तरह मां के कंधे पर चला गया। एक महिला के जीवन में सबसे बड़ी चुनौती तो तब आ जाता है। जब उनका पति ही अस्वस्थ हो तो घर चलाना कितना तकलीफ़ होती है। यह केवल वही जान सकता है जिन्होंने उस विषम परिस्थितियों में भी खुद का साहस कभी कम नहीं होने दिया। जैसे-तैसे परिवार तो संभल गया था पर क्या करें किस्मत का मरा और विधि के विधान के समक्ष सब नतमस्तक है। उसी बीच मेरे सर से पिता का साया हमेशा-हमेशा के लिए छुट गया। उस समय हमारे पास कुछ भी नहीं था गांव वालों के आपसी सहयोग से पिता अंतिम संस्कार कर पाया।
अब संघर्ष की यात्रा का प्रारंभ तो यही से होता है पिता जी के जाने के बाद घर की जिम्मेदारी बड़े भाई पर आ गया। उस समय महज़ मैं दो-तीन साल का था मुझे तो यह तक नहीं पता था कि जीवन जीने के लिए रोटी-कपड़ा और मकान का जीवन में कितना महत्व होता है और इसे पाना भी उतना आसान नहीं है यहां तक कि अच्छे-अच्छे लोग भी फिका नज़र आने लगता है जिम्मेदारी का निर्वहन करने में और अपने मेहनत के बल बुते सम्राज्य स्थापित करने में।
उन चुनौतियों से लडने के लिए घर का बड़ा भाई ने बीड़ा अपने सर उठा लिया और घर के उन तमाम आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए वाहन चालक मार्ग अपनाया इसी के माध्यम से हमें आज सबको बेहतर शिक्षा, बेहतर जीवन प्रदान किया आज के इस कलयुग में ऐसा राम जैसा भाई मील पाना असम्भव है।
आज उस बीते दिनों की अचानक याद आ गया तो मैं खुद को रोक नहीं पाया। लोगों कि मानसिकताएं है वाहन चालकों के प्रति मैं इस सदन के माध्यम से निवेदन करता हूं अपने सोच को सकारात्मक रखे हर इंसान में कुछ न कुछ कला जरूर रहता है अगर वह अपनी कला के बलबूते पैसे कमा रहा है तो यह कोई बुरी बात नहीं है, मैं उनके सख्त खिलाफ हूं जो अपने आस-पास में ही आवारा निठल्ले, नशे में चकनाचूर होकर बर्बादी की ओर जा रहे हैं ऐसे लोगो को सम्मान कि दृष्टि कोण से देखा जाता है। जो युवा एक सजग ईमानदार नेक इंसान बनकर अपना जिम्मेदारी निभा रहे हैं उन्हें ग़ैर ज़िम्मेदार, लापरवाह कहा जाता हैं।
क्या यही हमारी बेहतर शिक्षा है…?
कहा जाता है “शिक्षा से हैं संस्कृति का नाता और वाहन चालको के प्रति जो मानसिकता आपने बनाया है उन्हें जड़ से खत्म कीजिए..!
आशा करता हूं यह लेख पढ़कर आप सभी की मानसिकता में परिवर्तन की ओर अग्रसर हो… परिवर्तन ही प्रकृति का नियम है इसे अपने जीवन में अमल कर अपने जीवन को कृतार्थ करें.. धन्यवाद !
परिचय :- खुमान सिंह भाट
पिता : श्री पुनित राम भाट
निवासी : ग्राम- रमतरा, जिला- बालोद, (छत्तीसगढ़)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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