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अपना कहो ना कहो गम नहीं

प्रमेशदीप मानिकपुरी
भोथीडीह, धमतरी (छतीसगढ़)
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अपना कहो ना कहो गम नहीं

तुम अपना कहो ना कहो गम नहीं
तुम मेरे रहो ना रहो कोई गम नहीं
हम तेरे हैं तेरे ही रहेंगे सदा के लिए
तुम अपना कहो ना कहो गम नहीं

अकेले चलोगी राह मुश्किल होगी
सफर साथ चलोगी आसनी होगी
तुम साथ चलो ना चलो गम नहीं
तुम अपना कहो ना कहो गम नहीं

साथ तेरा मिले मंजिल मिल जायेगी
उजड़े बागो में भी फूल खिल जायेगी
बाद मिले ना मिले हम कोई गम नहीं
तुम अपना कहो ना कहो गम नहीं

संग तेरे ये जीवन अब सुहाना लगे
मन तो सुखो का अब खजाना लगे
हम रहे ना रहें, फिर उसका गम नहीं
तुम अपना कहो ना कहो गम नहीं

मन समंदर में मौज अब उठने लगे
अरमान के दिये जलने-बुझने लगे
इसको बुझाये, ये हवा में दम नहीं
तुम अपना कहो ना कहो गम नहीं

परिचय :- प्रमेशदीप मानिकपुरी
पिता : श्री लीलूदास मानिकपुरी
जन्म : २५/११/१९७८
निवासी : आमाचानी पोस्ट- भोथीडीह जिला- धमतरी (छतीसगढ़)
संप्रति : शिक्षक
शिक्षा : बी.एस.सी.(बायो),एम ए अंग्रेजी, डी.एल.एड. कम्प्यूटर में पी.जी.डिप्लोमा
रूचि : काव्य लेखन, आलेख लेखन, विभिन्न कार्यक्रम में मंच संचालन, अध्ययन अध्यापन
कार्य स्थल : शासकीय माध्यमिक शाला सांकरा
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

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