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मेरा अटल मन

सुशी सक्सेना
इंदौर (मध्यप्रदेश)
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एक दिन अचानक जब घर से निकले थे
न मंजिलों का पता था, न रास्ता मालूम
न कोई साथी सहारा था, न कोई साधन
साथ था तो बस, मेरा अटल मन।

कदमों से उम्मीदें, खुद में आत्मविश्वास था
दूर दूर तक देखा मैंने, कोई भी न पास था।
हर तरफ छाया हुआ था, बस अंधेरा सघन
साथ था तो बस, मेरा अटल मन।

फिर, मुझे कागज़ कलम का सहारा मिल गया
शब्दों के पुल बांधने लगी और रास्ता मिल गया
मिल गई वो मंजिल, जिसकी थी मुझे लगन
साथ था तो बस, मेरा अटल मन।

परिचय :- सुशी सक्सेना
निवासी : इंदौर (मध्यप्रदेश)
इंदौर (मध्यप्रदेश) निवासी सुशी सक्सेना वर्तमान में, वेबसाइट द इंडियन आयरस और पोगोसो ऐप के लिए कंटेंट राइटर और ब्लॉग राइटर के रूप में काम करती हैं। आपकी कविताएं और लेख विभिन्न पत्रिकाओं और समाचार पत्रों में प्रकाशित हुए हैं। आपने कई संकलनों में भी योगदान दिया है एवं कई प्रशंसा पत्र और पुरस्कार प्राप्त किए हैं। विशेष रूप से, आपको अनुराग्यम द्वारा गोल्ड मेडल एवं वंदे मातरम पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। आपकी कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

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