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लाचार हैं

रचयिता : शिवम यादव ”आशा”

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लाचार हैं

खूब हैं लपटे जलाती 
हम साधारण लोगों को 
रिश्वत की अंधेरी रात में, 
 
कब बीत जाती हैं 
सारी उम्रे समझ ही 
   नहीं पाते …
बस खुद्दारी की तलाश में,
 
दिल तो तब रो उठता है 
जब घर में बेटी पूछती है 
      पापा से …
कब तक जिएँगें जिंदा 
लाश बनकर इस दुनियाँ में 
न आने वाले अच्छे दिन 
     की तलाश में …
लेखक परिचय : नाम शिवम यादव रामप्रसाद सिहं ”आशा” है इनका जन्म ७ जुलाई सन् १९९८ को उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात ग्राम अन्तापुर में हुआ था पढ़ाई के शुरूआत से ही लेखन प्रिय है, आप कवि, लेखक, ग़ज़लकार व गीतकार हैं
रुचि :- अपनी लेखनी में दमखम रखता हूँ !! अपनी व माँ सरस्वती को नमन करता हूँ !!
काव्य संग्रह :- ”राहों हवाओं में मन “

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