हरि अनंत हरि कथा अनंता
अंजनी कुमार चतुर्वेदी
निवाड़ी (मध्य प्रदेश)
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हरि अनंत हरि कथा अनंता,
रामायण है गाती।
श्री हरि की महिमा का वर्णन,
रामचरित बतलाती।
हे अनंत हे कृपासिंधु प्रभु,
सब जन शरण तुम्हारी।
भव बंधन को दूर करो तुम,
रखना लाज हमारी।
भाद्र मास की चतुर्दशी को,
शुक्ल पक्ष जब आता।
सारा जनमानस नत होकर,
तुमको शीश झुकाता।
चतुर्दशी तिथि है अति पावन,
है अनंत का पूजन।
चौदह गाँठ लगा धागे में,
बाँह बाँधता जन-जन।
कथा सुनाते नारायण की,
अनंत चतुर्दशी प्यारी।
वेद पुराण सभी गाते हैं,
श्री हरि महिमा न्यारी।
जो ध्याता अनंत फल पाता,
भवसागर तर जाता।
जो हो जाता लीन आप में,
दुख कलेश हर जाता।
रहते शेषनाग सैया पर,
जग के पालन करता।
चरण शरण प्रभु रहूँ आपकी,
सब सुख मंगल करता।
शुभ आशीष आपका पानें,
पूजन सब करते हैं।
हैं अनंत, प्रभु सबकी झोली,
खुशियों से भरते हैं।
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