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राम पैयां चलो मैं निहारूँ तुम्हे
भजन

राम पैयां चलो मैं निहारूँ तुम्हे

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** राम पैयां चलो मैं निहारूँ तुम्हे, छुपके लीला करो मैं पुकारूँ तुम्हे। राम पैयां चलो... तेरा सौदर्य नयनों को पावन करे, तेरी किलकारी कानों में मधुरस भरे। खेलते खेलते तुम गिरो तन सने, पोंछ आँचल से तन को सवारूँ तुम्हें। राम पैयां चलो... तीन भाई तेरे, तीन माएँ तेरी, सब न्यौछावर हो तुमपे ये विनती मेरी। तुम सलोने हो जग को लुभाते रहो पर कुटिल दृष्टि से मैं बचा लूं तुम्हें। राम पैयां चलो... तीनों माँओं की आंखों के तारे हो तुम, राजा दसरथ को प्राणों से पयारे हो तुम। तेरे दर्शन में इतना मगन मैं रहूं, जग से जाने के पहले ही पा लूँ तुम्हे। राम पैयां चलो ... https://youtu.be/5Suck6lrEnU राम पैयां चलो मैं निहारूँ तुम्हे भजन को स्वर दिया है सुप्रसिद्ध गायिका रोली प्रकाश ने परिचय :- प्रेम नारायण मेहरोत्रा निवास : जानकीपुरम (लखनऊ) घोषणा पत्र ...
नव बना रहे हिंदुस्तान
कविता

नव बना रहे हिंदुस्तान

डॉ. निरुपमा नागर इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** संवत् विक्रम करते हैं तुमको नमन आनंद बन लाए नव चितवन है तुमसे नवागत गुड़ी पड़वा चैत्र नवरात्र का है जलवा बैसाखी करती मन पुरवा राजीव लोचन आए पलना झूलेलाल की झांकी महान् नवरोज की भी रखते शान आम्रफल से सज गया उद्यान देखो, नव पल्लव, नव धान वसुधैव कुटुंबकम् की तुम पहचान नव निधि साथ लिए नव बना रहे हिंदुस्तान https://youtu.be/0GKyIN1ETfA परिचय :- डॉ. निरुपमा नागर निवास : इंदौर (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gm...
हे मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम
भजन

हे मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम

रश्मि श्रीवास्तव “सुकून” पदमनाभपुर दुर्ग (छत्तीसगढ़) ******************** हे मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम हे रघुकुल के दीपक श्री राम तुम्हें फिर आना होगा सतयुग वापस लाना होगा हे कौशल्या नंदन श्री राम इस धरती पर लोगों को अकाल मृत्यु से बचाना होगा तुम्हें फिर आना होगा हे जानकी वल्लभ श्री राम चल रही विनाश लीला में विराम लगाना होगा तुम्हें फिर आना होगा हे रघुनंदन हे श्री राम जीवन मृत्यु के इस खेल में जीवन को जीत दिलाना होगा तुम्हें फिर आना होगा हे भरताग्रज हे श्री राम डरे और सहमे लोगों में साहस भरना होगा इस डर को भगाना होगा तुम्हें फिर आना होगा हे मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम इस जीवन के अँधियारे में आशा के दीप जलाना होगा तुम्हें फिर आना होगा सतयुग वापस लाना होगा परिचय : रश्मि श्रीवास्तव “सुकून” निवासी : मुक्तनगर, पदमनाभपुर दुर्ग (छत्तीसगढ़) घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करती हूँ कि उपरोक्त रचना...
बड़ा भिखारी
लघुकथा

बड़ा भिखारी

ममता रथ रायपुर (छत्तीसगढ़) ********************   नवरात्रि का समय था, सभी देवी मंदिरों में काफी भीड़ लगी हुई थी। आज मंदिर में सभी वर्गों के लोग देवी को प्रसन्न करने में लगे थे।एक सेठ भी अपने परिवार सहित दर्शन करने आए थे। सेठजी पूजा करके अपनी कार की तरफ जाने लगे, तभी एक भिखारी उनसे टकरा गया। सेठजी गुस्सा होकर चिल्लाने लगे, इस पवित्र जगह पर इन मैले-कुचले कपड़ों में घूमते भिखारियों का क्या काम है, पता नहीं ये लोग यहां कहां से आ जाते हैं। "भिखारी बहुत दुखी हुआ। पास में ही भिखारी का अपाहिज बेटा बैठा था, उसने हाथ जोड़कर सेठ से कहा-" सेठजी ये देवी का मंदिर है यहां छोटा बड़ा कोई नहीं होता, फिर भी आप ऐसा सोचते है तो आप ही बताइए कि यहां आप जैसे लखपति लोग देवी के सामने करोड़पति होने की भीख मांगते हैं, वे बड़े भिखारी हुए या हम जैसे अपाहिज, जो सिर्फ दो वक्त की रोटी ही यहां मांगने आते हैं वे बड़े भिखा...
कोरोना दूर भगाना है
कविता

कोरोना दूर भगाना है

शिवेंद्र शर्मा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** जाग उठो, अब जाग उठो, हम सबकी जान बचाना है, इस कोरोना महामारी से, भारत को मुक्त कराना है। इटली, चीन सी दशा देश की, अब न देखी जाती है, कीड़े, मकोड़ों की नाई, ये मौत न देखी जाती है। देख के मंजर अति भयानक, फिर तुम्हे समझाना है, इस कोरोना महामारी से,.... घर में ही रहना है भाई, बाहर नहीं निकलना है साबुन लगा के बार बार, हाथों को धोते रहना है दूर ही रहना है सबसे, नहिं करीब अब आना है इस कोरोना महामारी से,.... बहुत जरूरी होने पर ही, तुमको बाहर जाना है निकलो मास्क पहन कर ही, फिर जल्दी घर में आना है। आई भीषण विपदा से, सबको हमे बचाना है। इस कोरोना महामारी से,... जरा सी लापरवाही भी, मँहगी बड़ी पड़ सकती है। खुद के साथ साथ मुसीबत, घर वालों की बड़ सकती है। जरा सी दिक्कत होने पर, डॉक्टर को दिखलाना है। इस कोरोना महामारी से, भारत को मुक्त कराना है...
भारत की आबादी
हास्य

भारत की आबादी

अर्चना "अनुपम क्रान्ति" जबलपुर (मध्यप्रदेश) ******************** पेट में ना हो दाना फिर भी है ईमान जियादी (विकासवादी) हम नेक काम करते हैं करके बाली उमर में शादी। बढ़ियां लगती सुकुमार सी बाला छः-छः बच्चे लादी, भैया दुनिया में सबसे अच्छी भारत की आबादी।। हम दो और दो से चार भले फिर चार से हो गए चौदह। कुछ प्यारे बच्चे पढ़ गए अपने कुछ रह जाते बोदा, हम फैल रहे हैं ऐंसे जैंसे 'कोविड' और मियादी। भैया दुनिया में सबसे अच्छी भारत की आबादी।। हम रख कानून को ताक पे अब नियमों को सारे तोड़ चले बस पाँच और दस सालों के भीतर चीन को पीछे छोड़ चले, चाहे ना पूजे रेडीमेड ना! गांधी जी की खादी, भैया दुनिया में सबसे अच्छी भारत की आबादी ।। हम भले रहे भूखे-नंगे पर पक्की बात हमारी। चाहे कितनी ही बेटी हों वो लगें न हमको प्यारी, दो बेटे होना बहुत जरूरी बोलें सबकी दादी। भैया दुनिया में सबसे अच्छी भारत की आबादी।। ...
पेपर आए, पेपर आए
कविता

पेपर आए, पेपर आए

साहिल नवांकुर चरखी दादरी ******************** (अध्यापक बच्चो से) हरदम हंसने वाले बच्चे, पता नहीं कहा गुप हुए। शोर शराबा जिनकी आदत, पता नहीं क्यों चुप हुए? ये बात समझ मुझे जरा ना आई! क्यों बच्चे चिंतित दे रहे दिखाई? क्या बात हुई बच्चो बतलाओ? क्या दिक्कत है मुझको समझाओ डरे हुए, सहमें हुए, तुम अच्छे नहीं लगते हो। अचानक जैसे बड़े हुए, तुम बच्चे नहीं लगते हो। (बच्चे अध्यापक से) ये दिक्कत है बहुत पुरानी, सब बच्चो की यही कहानी। हर साल जो आती है, खुशी छीन ले जाती है। फिर से सबके मन में आए, पेपर आए, पेपर आए, जाने कैसे राहत पाए। अब एक ही अरमान है दिखता, बच्चो को भगवान है दिखता। अब सब उस प्रभु को याद करेंगे। हाथ जोड़ फ़रियाद करेंगे। अब प्रभु जी ही हमें बचाएं, पेपर आए, पेपर आए, जाने कैसे राहत पाए। परिचय :- साहिल नवांकुर निवासी : चरखी दादरी घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिक...
नल दमयंती चालीसा
दोहा

नल दमयंती चालीसा

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* युधिष्ठिर के दुख देख के, वृहदश मुनि समझाय। नल दमयंती कथा कहि, सुन पांडव हरषाय।। वीर सेन थे निषद नरेशा। सुंदर पूत भये नल एका।।१ वीर उदार पराक्रम भारी। एक बुराई कभी जुआरी।।२ एक दिना की सुनो कहानी। उपवन में नल घूमन आनी।।३ सुंदर जोड़ा हंसन देखा। चितवन चंचल रूप विशेषा।।४ दमयंती की करी बड़ाई। सुनके नल मन में हरषाई।।५ भीम नाम कुंडनपुर भूपा। जिनकी कन्या सुंदर रूपा।।६ दमयंती बेटी है नामी। सुघर सलोनी जगत बखानी।।७ सुता स्वयंवर भीम रचाये। राजा मानव देव बुलाये।।८ वरुण इन्द्र अग्नि यम आये। चारों ने नल रूप बनाये।।९ जब कन्या ने नल नहिं जाना। देवों से की विनती नाना।।१० प्रसन्न हो दो दो वर दीना। फिर कन्या ने नल वर लीना।।११ इंद्रसेन सुत सुता कहाये। रानी दम ने गर्भन जाये।।१२ खुशी खुशी कछु समय बिताई। नर नारी सब भये सुखाई।।१३ काल समय ने पलटा ...
युगपुरुष
कविता

युगपुरुष

रीमा ठाकुर झाबुआ (मध्यप्रदेश) ******************** युग पुरुष किसे हम माने, जो कर्म पथ पर डटा रहा। जो टूटा नही, सलाखों मे, रणभेदी, डंका बजा रहा।। नभ पर खुशियाँ छायी, बाल के घर मे लाल हुआ। जब पैर पालने मे खोले, युगपुरुष का जन्म हुआ।। जब युवा अवस्था मे पहुँचे, तब जन्मभूमि चीत्कार उठी। तब कूद, पडे अंदोलन मे, मन मे स्वाधीनता जाग उठी।। काॅलेज मे अव्वल आये पत्रकारिता से जयघोष किया। जन-जन मे पैदल भटके स्वाधीनता का सम्मान दिया।। अपने पथ से विचलित न हुऐ न उन्हे सलाखें, डिगा सकी। बनकर जन जन के कर्णधार, स्वाधीनता, अधिकार दिला दिया।। वो जीवट थे, 'लौहपुरुष, भारत माँ, के बेटे थे। दुश्मन के दाँत किऐ खट्टे, है,नमन उन्हे, वो सच्चे थे।। परिचय :- रीमा महेंद्र सिंह ठाकुर निवासी : झाबुआ (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। ...
अजनबी पर दोस्त
कविता

अजनबी पर दोस्त

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** ज़रा सी दोस्ती कर ले.., ज़रा सा साथ निभाये। थोडा तो साथ दे मेरा ..., फिर चाहे अजनबी बन जा। मिलें किसी मोड़ पर यदि, तो उस वक्त पहचान लेना। और दोस्ती को उस वक्त, तुम दिल से निभा देना।। वो वक़्त वो लम्हे, कुछ अजीब होंगे। दुनिया में हम शायद, खुश नसीब होंगे। जो दूर से भी आपको, दिल से याद करते है। क्या होता जब आप, हमारे करीब होते।। कुछ बातें हमसे सुना करो, कुच बातें हमसे किया करो..। मुझे दिल की बात बता डालो, तुम होंठ ना अपने सिया करो। जो बात लबों तक ना आऐ, वो आँखों से कह दिया करो। कुछ बातें कहना मुश्किल हैं, तो चहरे से पढ़ लिया करो।। जब तनहा तनहा होते हो तुम। तब मुझे आवाज दे देना। मैं तेरी तन्हाई दूरकर दूंगा। बस दिल से याद हमे करना।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई मे...
तेरा आज यूॅ मुस्कराना
कविता

तेरा आज यूॅ मुस्कराना

मनमोहन पालीवाल कांकरोली, (राजस्थान) ******************** तेरा आज यूॅ मुस्कराना हमें मिला है यूॅ खज़ाना बहारो का भी खीलना दो दिलो का यूॅ मिलना हजार महफिल हो सजी ओर तुम्हारा यूॅ संवरना तेरे दीदार का होना ही हमारे दिल का यूॅ हंसना तुम हो दिल का खजाना कहता हे सब, ये जमाना तुम्हारा यूॅ खिले रहना ओर मेरा यूॅ गुन गुनाना तस्वीर सजाई हे "मोहन" मानो दिल का यूॅ सपना परिचय :- मनमोहन पालीवाल पिता : नारायण लालजी जन्म : २७ मई १९६५ निवासी : कांकरोली, तह.- राजसमंद राजस्थान सम्प्रति : प्राध्यापक घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने ...
धरती की संतान
कविता

धरती की संतान

सुधीर श्रीवास्तव बड़गाँव, जिला-गोण्डा, (उ.प्र.) ******************** हम सब धरती की संतान हैं अच्छा है, समझ है हममें, हम है समझदार भाइयों-बहनों हमारा क्या कहना इसलिए तो भगवान ने हमें बनाया साहित्यकार धरती की भलाई करने को हम सदा है तैयार। हमें अब बहुत कुछ करने की ज़रूरत है आखिर जब धरती माँ ने अपना विशाल आँचल फैला रखा है हमें कष्ट न हो इसीलिए एक विशाल परिवार बना रखा है। हमारे खाने पीने जीने के लिए लाखों लाख जतन कर रही है। लायक बच्चों पर धरती माँ अब नाज़ कर रही है। नदी, झील, झरने, नदियां जलस्रोतों को हम बचाने का कर रहे उत्तम प्रयास इसलिए तो रचनाकार है धरती माँ के बालक खास। पेड़-पौधों से भरी रहे धरा हर तरफ हो वृक्ष हो हरा-हरा। प्राकृतिक संपदाओं का हो संरक्षण खुशहाल बने सभी का जीवन पशु-पक्षी, पेड़ पौधे, जीव जंतु सदा के लिए हो सुरक्षित। हमें अपनी धरती माँ की शान बढ़ानी है सचमुच तभी तो हम ज्ञ...
पागल
लघुकथा

पागल

शुचि 'भवि' भिलाई नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़) ******************** कैसी हो? फोन पर प्रश्न पूछते ही मानो भूकंप आया हो। सरिता स्तब्ध हो गयी थी कि अचानक रेणुका को ये हो क्या गया है। कितना अनाप-शनाप बोल रही थी वो और उसका ये रूप तो उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था। इससे पहले कि सरिता कुछ बोल पाती, रेणुका ने फोन काट दिया था। सुदूर विदेश से सरिता चाह कर भी आ भी तो नहीं सकती थी अपनी बचपन की सहेली से मिलने। उसने कई बार दोबारा फोन लगाने की कोशिश की मगर नाकाम रही। सरिता ने रेणुका के भाई को फोन लगाया और रेणुका के संबंध में पूछा कि वो कैसी है। सरिता की चीख़ निकल गयी ये सुन कर कि एक सप्ताह पहले जो खिलखिलाती रेणुका थी वो आँसुओं के सैलाब में इस क़दर डूबी कि अपना अस्तित्व ही भूल गयी है। पति, देवर और पुत्र तीनों कोरोना की भेंट चढ़ गए थे। १५ दिन पहले ही घर में जश्न था, देवर की सगाई का। सरिता ने समझाया भी था कि...
भूख
कविता

भूख

मईनुदीन कोहरी बीकानेर (राजस्थान) ******************** भूख नहीं होती तो प्रगति भी नहीं होती पाषाण युग से लेकर अंतरिक्ष तक की यात्रा भी नहीं होती। तन-मन-धन की भूख सुख-चैन छीन लेती है राज की भूख पागल बना देती है भूख अदना से आला आला से अदना बना देती है। भूख आदमी की कमजोरी है भूख आदमी की आशा है भूख से पाप, अनाचार व भृष्टाचार बढ़ता है भूख धर्मात्मा को पापी बना देती है। भूख तो भूख ही है भूख सुख-सुख का संसार है भूख ऋषि मुनियों का ईमान डगमगा देती है। भूख से इंसान घर से बेघर दर-दर की ठोकरें खाए भूख इंसान को शैतान बनाए भूख इंसान को भगवान से मिलने की राह ले जाए। भूख न होती तो ये जीव-जगत ये सृष्टि भी न होती भूख इंसान की फितरत में है भूख से भीख-भोजन-भोग का रिश्ता है। मान-सम्मान-यश की भूख इंसान को याचक बनाती है जन्म से मृत्यु तक भूख भूख अंधी होती है भूख इंसान को भी अंधा बना देती है भूख तो भूख है। परिचय...
गहन निराशा और अंधकार से तारती – मां तारा
आलेख, धर्म, धर्म-आस्था, धार्मिक

गहन निराशा और अंधकार से तारती – मां तारा

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** तारा जयंती विशेष जयंती चैत्र माह की नवमी तिथि तथा शुक्ल पक्ष में मनाई जाती है। इस वर्ष महातारा जयंती २१ अप्रैल २०२१, के दिन मनाई जाएगी। चैत्र माह की नवमी तिथि तथा शुक्ल पक्ष के दिन माँ तारा की उपासना तंत्र साधकों और उनके भक्तों के लिए सर्वसिद्धिकारक मानी जाती है। दस महाविद्याओं में से एक हैं-भगवती तारा। महाकाली के बाद मां तारा का स्थान आता है। जब इस दुनिया में कुछ भी नहीं था तब अंधकार रूपी ब्रह्मांड में सिर्फ देवी काली थीं। इस अंधकार से एक प्रकाश की किरण उत्पन्न हुई जो माता तारा कहलाईं। मां तारा को नील तारा भी कहा जाता है। जब चारों ओर निराशा ही व्याप्त हो तथा विपत्ति में कोई राह न दिखे तब मां भगवती तारा के रूप में उपस्थित होती हैं तथा भक्त को विपत्ति से मुक्त करती हैं। देवी तारा को सूर्य प्रलय की अघिष्ठात्री देवी का उग्र रुप मान...
रिश्ते…
कविता

रिश्ते…

प्रभा लोढ़ा मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** आज हुई ज़िन्दगी से मुलाक़ात, हंस कर पूछा मैंने क्यों है इतनी नाराज़ कभी गुदगुदा कर हंसा देती है तो कभी रुला देती है, क्या तेरी यही चाहत है? सोच समझ कर दिया जबाब उसने हँसती गाती आती हूँ तुम्हें सिखा जाती हूँ रिश्तों को हमेशा रखना ज़िन्दा, ये ही है तुम्हारी ख़ुशी का अनमोल ख़ज़ाना ।। माँ पत्नी बहना, ये है जीवन के मोती दादा पिता चाचा ये है रंगीन धागे दादी नानी बुआ है जीवन की ख़ुशबू बेटी बेटा बहू व जवाई है सब अपने ।। रिश्तों की महत्ता को मत भूलो प्रेम से रखो सबको अपना बनाकर, गलती होने पर मुस्कुरादो रिश्तों की यही खूबी माफ़ी माँगने से रिश्ते और होते मज़बूत ।। मित्र सखा, ये तो है प्रेम के प्याले, मीठे रस से तृप्त होती है मन की बगिया, आँधी तुफान भी नहीं उजाड़ सकते झुक जाते हैं जो पेड़ रिश्तों की भी यही है अपूर्व महिमा सँभाल कर रखना हर रिश्त...
सनातन के प्रणाम
छंद

सनातन के प्रणाम

गोपाल पांडेय "आजाद" औरैया (उत्तर प्रदेश) ******************** ।।सनातन के प्रणाम।। शीश गंग धार और कण्ठ में भुजंग माल भूत प्रेत धारी के सुधाम को प्रणाम है। असुरों का किया वध पावन किया अवध सूर्यवंश अंश श्री राम को प्रणाम है। द्रुपद सुता की चीरबृद्धि से हरी थी पीर ऐसे बलराम भ्रात श्याम को प्रणाम है। पित्र का चुकाया ऋण पुत्र का निभाया धर्म रौद्ध के स्वरूप परशुराम को प्रणाम है। ।। हमारे प्रतीक।। सनातनी संस्कृति, सभ्यता समाज सब संस्कार शौर्य स्वाभिमान के प्रतीक है। वीरगाथा काल वाले, शब्दभेदी वाण वाले पूर्वज हमारे अभिमान के प्रतीक है। झुकने न दिया भाल वैरी हेतु बने काल महाकाल के पुजारी शान के प्रतीक है। भारती की आरती में शीश जो चढ़ाते नित भारत के वीर बलिदान के प्रतीक है। परिचय :- गोपाल पांडेय "आजाद" निवासी : औरैया (उत्तर प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार...
जीवन उत्थान मार्ग
कविता

जीवन उत्थान मार्ग

खुमान सिंह भाट रमतरा, बालोद, (छत्तीसगढ़) ******************** योग, जीवन उत्थान मार्ग है योग, षष्टांग-अष्टांग मिलन है योग, साधन संयम ध्यान समाधि प्राकृती परिभाषा है योग, मंत्र योग, लययोग, राजयोग और हठयोग का ज्ञान है योग, मनका रंजन एवं उसका विस्तार है योग, आत्मा से परमात्मा का मिलन है योग, चेतन केंद्रित का साधन है योग,जगत कल्याण के लिए अर्पित है योग, आत्मा साक्षात्कार अनुभव है योग, परब्रह्म-जीवात्मा अविरल संबंध है योग, मन एवं प्राण का आधार है योग, प्रकृतिधर चेतन पथ प्राप्ति है योग, अणु परमाणु संबंध है योग, मनुष्य से आध्यात्मिकता का बोध है योग, पंच तत्व दर्शन है योग, ज्ञान अनंत है जानो यह सब कोय, योग, करें सोय जीवन मंगलमय होए परिचय :-  खुमान सिंह भाट पिता : श्री पुनित राम भाट निवासी : ग्राम- रमतरा, जिला- बालोद, (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित म...
यूँ  ना ऐसे दिन आए
कविता

यूँ ना ऐसे दिन आए

अक्षय भंडारी राजगढ़ जिला धार(म.प्र.) ******************** यूँ ना ऐसे दिन आए जो दूरियां बढ़ाए दुनिया को कौंन सी ये हवाए लग गई हर बात में दूरियां बढ़ गई वरना यू दिन आए क्यो परेशान है वो दुनिया वीरान है वो गलियां चलते हुए इंसान में आज ये मजबूरियां केसे दिन ढल रहे अपनो के जाने के बाद कैसे दिन कट रहे जाने ये दिन कब गुजरे फिर से दुनिया का पहिया चलता जाए यूँ ना ऐसे दिन आए जो दूरियां बढ़ाए। परिचय :- अक्षय भंडारी निवासी : राजगढ़ जिला धार शिक्षा : बीजेएमसी सम्प्रति : पत्रकार व सामाजिक कार्यकर्ता घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपन...
मेरी दोस्त गोरैया
कविता

मेरी दोस्त गोरैया

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** दस्तक मेरे दरवाजे पर चहकने की तुम देती गौरैया चाय,बिस्किट लेता मैं तुम्हारे लिए रखता दाना-पानी यही है मेरी पूजा मन को मिलता सुकून लोग सुकून के लिए क्या कुछ नहीं करते ढूंढते स्थान। गोरैया का घोंसला मकान के अंदर क्योकि वो संग रहती इंसानों के साथ हम खाये और वो घर में रहे भूखी ऐसा कैसे संभव दान और सुकून इन्हें देने से स्वतः आपको मिलेगा हो सकता है हम अगले जन्म में बने गोरैया और वो बने इंसान दोस्ती-सहयोग कर्म के रूप में साथ रहेंगे। परिचय :- संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता :- श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि :- २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा :- आय टी आय व्यवसाय :- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग) प्रकाशन :- देश - विदेश की विभिन्न पत्र - पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक", खट्टे मीठे...
ओरा और कोरा
आलेख

ओरा और कोरा

शंकरराव मोरे गुना (मध्य प्रदेश) ******************** ओरा के विषय में बहुत लोग जानते हैं। ओरा मनुष्य के विचार और कर्मों का शूक्ष्म प्रकाश होता है जो शरीर के बाहर प्रकट होता रहता है। इसे तेज भी कहा जा सकता है। जब हम किसी संत या महात्मा या चिंतक के करीब पहुंचते हैं तो उनके ओरा क्षेत्र में हमारे विचार बदल जाते हैं क्योंकि यह एक सूक्ष्म प्रकाश है और प्रकाश किसी को दिखाई नहीं देता बल्कि उससे वस्तुएं दिखाई देती हैं। भले ही वह वायु में तैरती धूल या अन्य वस्तुएं हों। इसी प्रकार ओरा किसी को दिखाई नहीं देता अच्छे विचारों के प्रभाव से हमारी बुद्धि अच्छा महसूस करने लगती है और यह भी होता है कि हमारी अपनी समस्याएं उस क्षेत्र में आकर अपने आप सुलझने लगती हैं। यही ओरा का प्रकाश होता है। यह प्रकाश दूसरे व्यक्ति को पकड़ भी लेता है या दिया भी जा सकता है। यह गंध जैसा घ्राण इंद्रिय द्वारा भी प्राप्त क...
हार-जीत भूलकर
कविता

हार-जीत भूलकर

होशियार सिंह यादव महेंद्रगढ़ हरियाणा ******************** जीवन में मिले हार जीत, बस दोनों से कर ले प्रीत, जिंदगी का कहते हैं गीत, दुख का बना अपना मीत। गीता में बस कहते कृष्ण, हार जीत को सम समझ, मेहनत से बस कर काम, होगा एक दिन तेरा नाम। हार का गले हार पहनो, जीत का कर लेना ध्यान, हार में कभी रोना नहीं हैं, कहाता है गीता का ज्ञान। हार-जीत सदा भूलकर, बस दे जगत को पैगाम, प्रीत रीत सबसे बड़ी है, बिगड़े बनाती सारे काम। हार देखकर जो रोता है, मिलता उसे नहीं किनारा, जीत देखकर सम रहता, प्रभु को लगता वो प्यारा। हार जीत को भूलकर जो, रखता है जो लक्ष्य ध्यान, वहीं मंजिल को पा जाता, कहलाता है वो जग महान। हार से मिलती एक सबक, जीत पर क्यों जन इतराये, हार में जो जन मुस्कुराता, वहीं एक दिन जग हँसाये। हारे नहीं जो जन हारकर, जीते ना जो जन जीतकर, काम से काम रखता है जो, बस उस नर से प्रीत कर। हार जीत को...
मां का आंचल
कविता

मां का आंचल

साधना मिश्रा विंध्य लखनऊ (उत्तर प्रदेश) ******************** आंचल में आकर छुपी जब भी मानी हार। दे दुलार उत्साह को भरदे मां का प्यार।। रोती आंखों में सजे जुगनू सा प्रकाश। जब मां आंचल प्यार का मुख पर देती डाल।। आंचल मां का जब छिना सुना सब संसार। रिश्ते खारे लग रहे जैसे हो अंगार।। मां के आंचल की समता कर ना सके संसार। जीती हारी बाजी का मां न करे व्यापार।। मां का आंचल मौन से समझे मौन की बात। कभी दृश्य कभी अदृश्य रहे सदा ही साथ।। परिचय :- साधना मिश्रा विंध्य निवासी : लखनऊ (उत्तर प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानिया...
वह गाड़ी वाली लड़की
कहानी

वह गाड़ी वाली लड़की

राकेश कुमार तगाला पानीपत (हरियाणा) ******************** नीना जी, आज आप बहुत उदास लग रही है। क्या कोई खास कारण है? आपका हँसता हुआ चेहरा, आज मुरझाया हुआ क्यों लग रहा है? मैंने आपको इससे पहले कभी इतना उदास नहीं देखा। क्या आप मुझें अपनी परेशानी बता सकती हैं? अरे, सुरेश जी आप तो यूँ ही इतने परेशान हो रहे हैं। मेरे चेहरे पर लंबे सफर की थकान है। इससे ज्यादा कुछ भी नहीं है। थोड़ा आराम कर लूँगी। फिर सब ठीक हो जाएगा। क्या हम शाम को मिल सकते हैं, सुरेश जी? जी जरूर, आपकी हर फरमाइश सिर-आंखों पर। अच्छा मैं चलता हूँ, फिर मिलेंगे। वह सुरेश को जाते हुए देखती रही, जब तक वह आंखों से ओझल नहीं हो गया। सुरेश वर्षों से मेरे साथ हैं। यह साथ करीब-करीब बीस साल पुराना है। जब हम कॉलेज में पढ़ते थे। सुरेश हमेशा से ही मस्ती में रहता हैं। उसे तो सिर्फ मजाक करने का बहाना चाहिए। मुझें नहीं लगता वह कभी गंभीर भी होता हैं। म...
मुझे अफसौस रहेगा
कविता

मुझे अफसौस रहेगा

गगन खरे क्षितिज कोदरिया मंहू (मध्य प्रदेश) ******************** वक़्त कभी रूकता नहीं, समय के चक्र को खुद आदमी ने अवरूद्ध कर दिया साथ ही मौत का जिम्मेदार हैं, मौत के सौदागर बन गये हवाओं में ज़हर नहीं घुला, पत्थरों के जंगल आज की समस्या है, वन उपवन, जल-थल उजाड़कर अब आंसू बहा रहा है। फिर उसने आकर कहा मौत हूं मैं पहचाना हमदम हूं तेरी, तेरी जिज्ञासा को जानकर आई हूं करीब तेरे आदमी आदमी का दुश्मन है, ज़िन्दगी का उसके लिए कोई मायने नहीं वहां ईश्वर को झुठलाने लगा है, उसकी बनाई सृष्टि को अणु परमाणु हथियारों से तबाही मचाने वाला है। अगर समय रहते नहीं जागा तो महाप्रलय आयेगा सब नष्ट हो जायेगा। मौत हमेशा समय के चक्र साथ होगी परन्तु जिन्दगी नहीं फिर कई युगों तक मुझे जिंदगी के आने का इंतजार रहेगा मुझे कभी दोष न देना मुझे दुःख है पत्थर दिल नहीं गगन इंसानौं की तबाही याद रहेगी हम दर्द साथी में आंसू बहाती रह...