परदेशी साजन
मीना भट्ट "सिद्धार्थ"
जबलपुर (मध्य प्रदेश)
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आजा सजन बने परदेशी,
बरखा करे पुकार।
पावस ऋतु मनभावन आई,
रिमझिम बरसे प्यार।।
नभ में गरज रहे बादल अब,
वन में नाचे मोर।
रिमझिम बूंदे शोर मचातीं,
मनवा भाव विभोर।।
श्यामल मेघ में चपला चमके,
भ्रमर करेंं गुंजार।
पावस ऋतु मनभावन आई,
रिमझिम बरसे प्यार।।
ढ़ोल नगाड़े गगन बजाता,
बादल गाते गीत।
साज संगीत नहीं सुहाता,
भूले सजना प्रीत।।
कोयल कू -कू पीर बढ़ाती,
छूटा है शृंगार।
पावस ऋतु मनभावन आई,
रिमझिम बरसे प्यार।।
अंग -अंग पुलकित धरती का,
जागा है अनुराग।
ओढ़ हरी चुनरिया सजी है,
प्रियतम अब तो जाग।।
हँसी ठिठोली सखियों की अब,
चुभती है भरतार।
पावस ऋतु मनभावन आई,
रिमझिम बरसे प्यार।।
परिचय :- मीना भट्ट "सिद्धार्थ"
निवासी : जबलपुर (मध्य प्रदेश)
पति : पुरुषोत्तम भट्ट
माता : स्व. सुमित्...



















