विवेकानंद
रामसाय श्रीवास "राम"
किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़)
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धर्म ध्वजा फहराए जग में,
युवा एक संन्यासी है।
नाम विवेकानंद है उसका,
वह तो भारत वासी हैं।।
बचपन में थे मातु पिता ने,
नाम नरेंद्र दिया प्यारा।
बालक पन में ही पाया है,
उसने ज्ञान बहुत सारा।।
जो आनंद विवेक पूर्ण हो,
माया उसकी दासी है
नाम विवेकानंद है उसका,
वह तो भारत वासी है
रामकृष्ण को गुरु बनाकर,
उनसे ही शिक्षा पाई।
जली ज्ञान की ज्योति हृदय में,
मिटी अंधेरी परछाई।।
तेज पुंज था मुख पर जैसे,
चंदा पूरण मासी है
नाम विवेकानंद है उसका,
वह तो भारत वासी हैं
हिन्दू सभ्यता संस्कारों का,
उनने ही उत्थान किया।
जाकर सागर पार धर्म का,
सुंदर वह व्याख्यान दिया।।
धर्म और अध्यात्म जहाॅं में,
अमर यही अविनाशी है
नाम विवेकानंद है उसका,
वह तो भारत वासी है
बाद युगों के इस धरती पर,
एक कोई मानव आता।
सुप्त...

























