मां सरस्वती के चरणों में वंदना
मंजू लोढ़ा
परेल मुंबई (महाराष्ट्र)
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देखो वसंत पंचमी का
शुभ दिन आया,
मां सरस्वती के अवतरण
का मंगल दिन आया,
सफेद वस्त्रों में सुसज्जित
मुख पर असीम शांति,
होठों पर मीठी मुस्कान,
आंखों से छलक रहा
स्नेह का निर्झर,
कितनी सुंदर मेरी मां
है भारती-वागेश्वरी।
हाथों में है तेरे वीणा,
सुरों की तु सुरीली देवी,
तुझसे ही है सारा संगीत,
राग-रागनियाँ और
मधुर लहरियाँ,
कितनी मीठी शहद
सी तेरी वाणी,
मेरी मां है वीणापाणी।
हंस पर तु विराजित,
मोतियों सी तु दमकती,
तेरे चेहरे पर छलकता नूर
कर देता मन का
सारा संताप दूर,
हर लो हमारा अज्ञान,
दे दो हमें ज्ञान
मेरी मां है हंसवाहिनी।
तु बह्मा पुत्री-वेदों
की अधिकारी,
शब्द-शब्द में तु समायी,
मां से शुरू हुआ संसार,
तुझसे ही पाया अक्षर
अंक का ज्ञान,
दे दो हमें वरदान,
बना लो अपना
अधिकारी -वारिस
मेरी मां हे शारदे...