औरत
पूनम धीरज
राजसमंद, (राजस्थान)
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एक औरत की कोख से
जन्मी है एक औरत।
एक औरत जननी बनी,
लाडो है एक औरत।।
एक औरत संस्कार भर रही,
नखराली-इठलाती एक औरत।
एक औरत ममता की प्याली,
भोली सी मतवाली एक औरत।।
एक औरत है बनी सुहागन,
खुशी से छलक उठी एक औरत।
एक औरत पिया के घर चली,
घर में अकेली रही एक औरत।।
एक औरत ने सजाए स्वप्न नए,
पूरे कर्तव्य करें एक औरत।
एक औरत चली लक्ष्मी बन,
चिड़िया को विदा करें एक औरत।।
एक औरत गृह प्रवेश करें,
आरती का थाल लिए एक औरत।
एक औरत नई नवेली सी,
घर की बुनियाद बनी एक औरत।।
एक औरत की मुंह दिखाई पर,
वारी जाए एक औरत।
एक औरत वंश बढ़ाने वाली,
दायित्वों से विश्राम पाए एक औरत।।
एक औरत सीमा की रक्षक,
ज्ञान प्रदान करे एक औरत।
एक औरत ने थामी कमान,
कमाने वाली भी एक औरत।।
एक औरत पर्वत को लांघ रही,
सागर पार करे एक औरत।
एक औरत रंगोली सजा रही,
देश भी सजा रही एक औरत।।
एक और...