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याद आते हैं वो दिन

अन्नू अस्थाना
भोपाल (मध्य प्रदेश)
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याद आते हैं वो दिन
जब पड़ोस में भाभी से
एक कटोरी शक्कर मांगना,
और बातों ही बातों में कहना
भाभी तनक सा दूध भी दे दीजो
जे आपिस (ऑफिस) से आने वाले हैं
चाह (चाय) बनानी थी भाभी
फिर भाभी का स्नेह से कहना,
अरि जा मैं चाय बना लाती हूं
तू चीनी लेती जा बहन।
“याद आते हैं वो दिन”

याद आते हैं अड़ोस-पड़ोस में
बतियाने वाले दिन।
अड़ोस-पड़ोस कुछ नहीं होता था,
बस भैया-भाभी चाचा-चाची
जैसे रिश्तो का नाता था
बस यूं ही पूछ लिया करते थे
और भौजी कैसी हो, सब ठीक है
चाचा-चाची आप कैसे हो।
“याद आते हैं वो पूछ
परख करने वाले दिन”

हमारी सुबह की शुरुवात
भाई साहब के अखबार
से हुआ करती थी,
एक नमस्कार
सौ चमत्कार किया करते थे,
रुपए, दो रुपए का अखबार
हम भी खरीद सकते थे,
पर पड़ोस वाले भाई साहब से
स्नेह कुछ ऐसा ही था
हम पूछ लिया करते थे
देश दुनिया का हाल
अखबार तो एक बहाना था,
बस स्नेह प्यार का सहारा था
अखबार के दो पन्ने
रिश्तो को जोड़े रखते थे
सुबह की चाय की चुस्कियां
कभी हम पड़ोस के
भाई साहब के यहां
पूरी कर लिया करते थे,
या कभी भाई
साहब हमारे घर।
याद आते हैं वो पड़ोस से
अखबार मांगने वाले दिन,
याद आते हैं वो पड़ोस में जाकर
चाय कि चुस्कियां पीने वाले दिन।

टाइम पता करने हम
पड़ोस के रमेश भाई साहब
के यहां चले जाते थे
भाई साहब टाइम क्या हुआ
जरा बताना हमें ऑफिस है जाना।
“याद आते हैं वे टाइम
पूछने वाले दिन”

अब कहां ये सुनाई देता है,
भौजी आज क्या बना
रही हो भैया के लिए
बहुत अच्छी खुशबू
आ रही है खाने कि
फिर भौजी की आवाज आती
बस यूं ही थोड़ा सा बना रही हूं
तू भी आ जाना बहन
बस बन जाने दे।
“ना जाने कहां खो गई वो
पड़ोस वाली बातें,
वो प्यार वाले दिन।

मोहल्ले, पड़ोस में ब्याह
शादी हो या कोई मंगल कार्य
हाथ से हाथ जूट जाते थे
चाहे कोई भी हो दुश्वारियां।
“याद आते हैं वो
शादी ब्याह वाले दिन”

अफसोस अब नहीं लौटेंगे
एक आंगन वाले दिन,
अब नहीं लौटेंगे एक कटोरी
शक्कर के प्यार वाले दिन
अब नहीं लौटेंगे वो प्यार से
अखबार मांगने वाले दिन
अब नहीं लौटेंगे प्यारी सी
तकरार वाले दिन
चाचा-चाची, काका-काकी के
हाल जानने वाले दिन
बस याद आते हैं वो दिन,
बस याद आते हैं वो दिन

लेखक परिचय :-  अन्नू अस्थाना
निवासी :- भोपाल, मध्य प्रदेश
कविता लिखने कि प्रेरणा :- कवि संगोष्ठीयों में भाग लेते थे एवं कवियों से प्रेरणा स्वरूप हिन्दी भाषा से स्नेह होता चला गया तथा हिन्दी में कविता लिखने का ज्ञान होता चला गया।
वर्तमान कार्य:- हिन्दी टाइपिंग कार्य एवं छायप्रति (फोटो -काॅपी) कार्य
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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