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याद तुम्हारी मैं बन पाता

रमाकान्त चौधरी
लखीमपुर खीरी (उत्तर प्रदेश)

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याद तुम्हारी मैं बन पाता।
तो जीवन जीवन होता।
मुझे बुलाती ख़्वाबों में तुम
अपना मधुर मिलन होता।

रोज मुझे तुम लिखती पाती
उसमें सब सपने लिखती।
जितने ख्वाब संजोए मैंने
उनको तुम अपने लिखती।

लिखती प्रियतम मुझको अपना
मुझपर सब अर्पण होता।
याद तुम्हारी मैं बन पाता
तो जीवन जीवन होता।

लोग नगर के सभी पूछते
तुमसे मेरा हाल पता।
अधर तुम्हारे चुप ही रहते
सबकुछ देते नयन बता।

दूर भले ही हम तुम रहते
जन्मों का बंधन होता।
याद तुम्हारी मैं बन पाता
तो जीवन जीवन होता।

तुम्हें चिढ़ाती सखियां सारी
नाम हमारा ले लेकर।
झुंझलाती चिल्लाती सबपर
खुश होती तुम छिप-छिप कर।

मेरी छवि तुमको दिखलाता
इक ऐसा दर्पण होता।
याद तुम्हारी मैं बन पाता
तो जीवन जीवन होता।

परिचय :-  रमाकान्त चौधरी
शिक्षा : परास्नातक
व्यवसाय : वकालत
निवासी : गोला गोकर्णनाथ, लखीमपुर खीरी (उत्तर प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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