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कविता

आज पुनः
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आज पुनः

ओमप्रकाश सिंह चंपारण (बिहार) ******************** आज पुनः फैल रही है कोरोना वायरस की महामारी। चीत्कार फिर मच रही मानवता पर संकट भारी। समसान में धधक रही है चिताओ की ज्वाला भारी। अर्थव्यवस्था जो पटरी पर थी छीन भिन्न हो रहा है सारी। पूरे विश्व मे कोहराम मची है फिर फयल रही है महामारी नित नवीन वैक्सीन बनी फिर फिर भी मानवता पर यह संकट भारी सूरदास, रैयदश आदि संतो ने, देख लिया था दिव्य दृष्टि से मानवता की यह दुर्दिन सारि योग क्षेम प्रणायाम से ही मिट सकेगी यख दूर दिन सारि मानव ही है इसके जड में मानवता पर संकट भारी वुहान लैब में दुसट चीन ने रच डाली यह कुचक्र सारि हाहाकार सर्वत्र मची है यह संकट अति विस्मय करि। परिचय :- ओमप्रकाश सिंह (शिक्षक मध्य विद्यालय रूपहारा) ग्राम - गंगापीपर जिला - पूर्वी चंपारण (बिहार) सम्मान - राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० र...
गुलाब
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गुलाब

प्रीति जैन इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** रंग गुलाबी, महका मंद समीर, कांटों में गुलाब सजता है महकते गुलाब की अदावरी, मधुबन में खुशबू बिखेरता है गुलाब की मोहक अदा से जग दीवाना, अनमोल प्रीत का ख़ज़ाना अदायगी पर गुलाब की, चाहक भ्रमर और चंचल चितवन बहकता है कांटो में रहकर भी मुस्कुराए, मंत्रमुग्ध करें भीनी भीनी सुगंध खुद का मोल न जाने, हिरण की नाभि में जैसे कस्तूरी गंध दो पल की देकर खुशबू, मदमाता गुलाब ख्वाबों सा बिखरता है मोह लेता है हर मन, खिल उठता भगवन के चरण कमल मन मोहिनी कर श्रृंगार गुलाब का, सजाती केश मलमल ओस भीगी घनेरी जुल्फों में, सुरभित इत्र सा गुलाब महकता है प्रेमियों के प्रीत का प्रतीक, गुलाब की अदा पर कवि रचे कविता नि:शब्द हो बांटता है सुगंध, शख्सियत गुलाब की मधुमिता मालकौंस गाती गुलाब की पंखुड़ियों पर मनभावन भंवरा मंडराता है ना घमंड नजा़कत और नजा़रो...
हिंदी
कविता

हिंदी

कु. आरती सिरसाट बुरहानपुर (मध्यप्रदेश)) ******************** राष्ट्र का मान है सम्मान है हिंदी...! भारत की आन है पहचान है हिंदी...!! मीरा की कृष्ण के प्रति भक्ति है हिंदी...! सुरदास के सूर में शक्ति है हिंदी...!! निराशा में भी आशा की किरण है हिंदी...!! कभी शब्द तो कभी शब्दों का अर्थ है हिंदी...!! राधा कृष्ण के परिशुद्ध प्रेम की परिभाषा है हिंदी...! प्रकृति का मधुर स्वर है हिंदी..!! मानव की मानवता का अस्तित्व है हिंदी...! 'निराला' की कविता का रस है हिंदी...!! पवन की पुरवाई में समाई है हिंदी...! नभ की काली घटाओ में है हिंदी...!! माटी की खुशबू में महकती है हिंदी...! वीरों के लहू में धडकती है हिंदी...!! परिचय :- कु. आरती सुधाकर सिरसाट निवासी : ग्राम गुलई, बुरहानपुर (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अप...
काजल का टीका लगा दु
कविता

काजल का टीका लगा दु

अक्षय भंडारी राजगढ़ जिला धार(म.प्र.) ******************** भारत की सेहत पर खामोशी के नजारे है, किसके हौसलों ने बचा लिया पर हौसला न था किसके पास तो अखियो में जुदा होंने का गम पसार गया मेरे भारत को किसकी नज़र लग गई सोचता हूं कि कभी शनिवार-वार को मिर्ची से नज़र उतार दु फिर से मेरे भारत को उम्मीदो पर काजल का टीका लगा दु। परिचय :- अक्षय भंडारी निवासी : राजगढ़ जिला धार शिक्षा : बीजेएमसी सम्प्रति : पत्रकार व सामाजिक कार्यकर्ता घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmai...
सुकून की नींद
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सुकून की नींद

भूपेंद्र साहू रमतरा, बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** चिंताओं के जूतों को दहलीज पे उतार होठों में एक प्यारी सी मुस्कान लेके कर चौखट पार गुजरते हुए खुशियों के लम्हों को अपनी खिड़की से पुकार घर में रख एक ऐसा छोटा सा कोना जहां तू अपनी दिल की बाते दिमाग को सुना वक्त के पिटारे से खुद के लिए, कुछ लम्हें उधार ले ये जिदंगी तेरी है एक सुकून कि नींद ले। अपनों का पेट भरने के लिए अपना पेट काटता है औरों कि रातें चमकाने के लिए अपना दिन जलाता है लेकिन अब बस, चिंताओं को रख परे परेशानियों को दूर हटा बड़े इंतजार के बाद आयी है ये रात यूं ही ना टले ये जिंदगी तेरी है एक सुकून कि नींद ले एक दिन मौत कि गोद में सबको सुकून कि नींद आयेगी फिर तो वक्त भी तुम्हे ना जगा पाएगी इससे पहले कि जिंदगी मौत का खेल खेले ये जिंदगी तेरी है चल एक सुकून की नींद ले ले।। परिचय :- भूपेंद्र साहू पिता : श्री मोहन सिंह नि...
नवरात्री
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नवरात्री

मंजिरी "निधि" बडौदा (गुजरात) ******************** नवरात्र में माँ फिर आई है स्वागत में सृष्टि ने धरा सजाई है नौ दिवस नवरूप लिए नूतन वर्ष में खुशियाँ लेकर आई है चित्र शुक्ला प्रतिपदा तिथि गुणगान हिन्दु संवतसर है हमारा अभिमान दुःख मिटे सुख मिले सबको अपार आशाएँ है पूर्ण समृद्धि की बरसे बहार देखो मौसम भी कितना खुशगवार हर घर में सजे तोरणा और बंधनवार प्रकृति ने सुंदर परिधान सजाए नव पल्लव नव मुकुल वृन्द देखो इतराए बौर वृंदो से शै हैं दर्शनीय हर ग्राम ताल सप्त स्वर नवकार वसुधा गा रही हैं लावण्य गान पक्षी सारे फुदकते चहचहाते हर्ष से मानों नवगीत गाते आदि शक्ति को देख सारा जग सरसाया नई उमंगे नये पल नव विश्वास हैं जगाया आओ मिल माता का सजाएँ दरबार माँ दुर्गा शक्ति रुपी हरती कस्ट अपार हिन्दु नव वर्ष विक्रम संवत दो हजार अठ्ठत्तर मनाएँ शक्ति पर्व के रूप से सनातनी धर्म निभाएँ भावसागर को पार कर अपना जीवन ...
जन्म दिवस पर बधाई पत्र
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जन्म दिवस पर बधाई पत्र

शंकरराव मोरे गुना (मध्य प्रदेश) ******************** हे जननायक, भाग्य विधायक, अवध बिहारी राम। जन्मदिवस पर अमित बधाई, है धनु धारी नाम।। सोचा था, हम चलें अयोध्या, जाकर करें प्रणाम। त्रेता युग सा, समय आ गया, फैल गया कोहराम।। माता केकई फिर चिंतित हैं, प्रजा पाल हितकारी। गुप्त राक्षस प्रकट हुआ है फैल रही महामारी।। रहो अयोध्या में ही अब प्रभु, नहीं कोई लाचारी। मत जाना वनवास सहा केकई ने अपयश भारी।। अब तो तुम राजा हो जग, के राजनीति अपनाना। कृपा कोर से ही भक्तों की बिगड़ी बात बनाना।। जन्म दिवस पर विनय पत्रिका, लिखकर शब्द, बधाई। विनय स्तुति भूल गए हैं, क्षमा करें रघुराई।। भक्तों की है विनय जगतपति, योद्धा तो है भारी। भरत, शत्रुघ्न, हनुमत, लक्ष्मण, हैं जिनके आभारी।। नवयुग है, नव युवकों ने, इसका रहस्य पहचाना। भक्तों की रक्षा हित हे प्रभु, लव कुश क...
सावधानी ही बचाव है
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सावधानी ही बचाव है

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** स्वस्थ रहो मस्त रहो कोरोना से डरो नही वर्तमान की यह रीत है संयम मे रहो सादगी रहो अभी सबका यही मीत है स्वस्थ रहो ......... दो गज दूरी नियम में रहो यही बचाव का गीत है स्वस्थ रहो .......... जान है तो जहान में रहो इसी से सबका प्रीत है स्वस्थ रहो .......... घर पर रहो सुरक्षित रहो यही जिन्दगानी की जीत है स्वस्थ रहो .......... घरेलू नुस्खे अपनाते रहो डाॅ.की सलाह लेते रहो यही लाकडाउन की जीत है स्वस्थ रहो .......... स्वस्थ रहो मस्त रहो कोरोना से डरो नही वर्तमान की यह रीत है।। परिचय :- धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू निवासी : भानपुरी, वि.खं. - गुरूर ,पोस्ट- धनेली, जिला - बालोद छत्तीसगढ़ कार्यक्षेत्र : शिक्षक घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि र...
बाबुल का घर
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बाबुल का घर

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** निहारती रहती हूँ बाबुल का घर कितना प्यारा है मेरा बाबुल का घर आँगन, सखी, गलियों के सहारे बाबुल का घर लोरी, गीत, कहानियों से भरा बाबुल का घर। बज रही शहनाई रो रहा था बाबुल का घर रिश्तों के आंसू बता रहे ये था बाबुल का घर छूटा जा रहा था जेसे मुझसे बाबुल का घर लगने लगा जेसे मध्यांतर था बाबुल का घर। बाबुल से फरमाइशे करती थी बाबुल के घर हिचकी संकेत अब याद दिलाता बाबुल का घर सब घरों से कितना प्यारा मेरा बाबुल का घर एक दिन तो जाना ही है, छोड़ बाबुल का घर। परिचय :- संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता :- श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि :- २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा :- आय टी आय व्यवसाय :- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग) प्रकाशन :- देश - विदेश की विभिन्न पत्र - पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे...
गुलाब हो या दिल
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गुलाब हो या दिल

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** गुलाब हो या मेरा या उसका तुम हो दिल। तुम ही बतला दो अब ये खिलते गुलाब जी।। दिल में अंकुरित हो तुम। इसलिए दिल की डालियों, पर खिलाते हो तुम। गुलाब की पंखड़ियों कि, तरह खुलते हो तुम। कोई दूसरा छू न ले, इसलिए कांटो के बीच रहते हो तुम। पर प्यार का भंवरा कांटों, के बीच आकर छू जाता है। जिसके कारण तेरा रूप, और भी निखार आता है।। माना कि शुरू में कांटो से, तकलीफ होती हैं। जब भी छूने की कौशिश, करो तो चुभ जाते हो। और दर्द हमें दे जाते हो। पर तुम्हें पाने की, जिद को बड़ा देते हो। और अपने दिल के करीब, हमें ले आते हो।। देखकर गुलाब और, उसका खिला रूप। दिल में बेचैनियां बड़ा देता हैं और मुझे पास ले आता है। और रातके सपनो से निकालकर। सुबह सबसे पहले, अपने पास बुलाता है। और अपना हंसता खिल खिलाता रूप दिखता है।। मोहब्बत का एहसास, कराता है गुलाब। महफिलों की शान, ब...
शहीद की विधवा की करुण पुकार
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शहीद की विधवा की करुण पुकार

संजय सिंह मुरलीछापरा बलिया (उत्तर प्रदेश) ******************** https://www.youtube.com/watch?v=EwqM3U6fpiw परिचय :- संजय सिंह पिता : स्व. लाल साहब सिंह निवासी : ग्राम माधो सिंह नगर मुरलीछपरा जिला बलिया उत्तर प्रदेश सम्प्रति : प्रधानाध्यापक कम्पोजिट विद्यालय रामनगर घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। https://youtu.be/4NSBGzwFVpg आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻 आपको यह रचना अ...
नव बना रहे हिंदुस्तान
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नव बना रहे हिंदुस्तान

डॉ. निरुपमा नागर इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** संवत् विक्रम करते हैं तुमको नमन आनंद बन लाए नव चितवन है तुमसे नवागत गुड़ी पड़वा चैत्र नवरात्र का है जलवा बैसाखी करती मन पुरवा राजीव लोचन आए पलना झूलेलाल की झांकी महान् नवरोज की भी रखते शान आम्रफल से सज गया उद्यान देखो, नव पल्लव, नव धान वसुधैव कुटुंबकम् की तुम पहचान नव निधि साथ लिए नव बना रहे हिंदुस्तान https://youtu.be/0GKyIN1ETfA परिचय :- डॉ. निरुपमा नागर निवास : इंदौर (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gm...
कोरोना दूर भगाना है
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कोरोना दूर भगाना है

शिवेंद्र शर्मा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** जाग उठो, अब जाग उठो, हम सबकी जान बचाना है, इस कोरोना महामारी से, भारत को मुक्त कराना है। इटली, चीन सी दशा देश की, अब न देखी जाती है, कीड़े, मकोड़ों की नाई, ये मौत न देखी जाती है। देख के मंजर अति भयानक, फिर तुम्हे समझाना है, इस कोरोना महामारी से,.... घर में ही रहना है भाई, बाहर नहीं निकलना है साबुन लगा के बार बार, हाथों को धोते रहना है दूर ही रहना है सबसे, नहिं करीब अब आना है इस कोरोना महामारी से,.... बहुत जरूरी होने पर ही, तुमको बाहर जाना है निकलो मास्क पहन कर ही, फिर जल्दी घर में आना है। आई भीषण विपदा से, सबको हमे बचाना है। इस कोरोना महामारी से,... जरा सी लापरवाही भी, मँहगी बड़ी पड़ सकती है। खुद के साथ साथ मुसीबत, घर वालों की बड़ सकती है। जरा सी दिक्कत होने पर, डॉक्टर को दिखलाना है। इस कोरोना महामारी से, भारत को मुक्त कराना है...
पेपर आए, पेपर आए
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पेपर आए, पेपर आए

साहिल नवांकुर चरखी दादरी ******************** (अध्यापक बच्चो से) हरदम हंसने वाले बच्चे, पता नहीं कहा गुप हुए। शोर शराबा जिनकी आदत, पता नहीं क्यों चुप हुए? ये बात समझ मुझे जरा ना आई! क्यों बच्चे चिंतित दे रहे दिखाई? क्या बात हुई बच्चो बतलाओ? क्या दिक्कत है मुझको समझाओ डरे हुए, सहमें हुए, तुम अच्छे नहीं लगते हो। अचानक जैसे बड़े हुए, तुम बच्चे नहीं लगते हो। (बच्चे अध्यापक से) ये दिक्कत है बहुत पुरानी, सब बच्चो की यही कहानी। हर साल जो आती है, खुशी छीन ले जाती है। फिर से सबके मन में आए, पेपर आए, पेपर आए, जाने कैसे राहत पाए। अब एक ही अरमान है दिखता, बच्चो को भगवान है दिखता। अब सब उस प्रभु को याद करेंगे। हाथ जोड़ फ़रियाद करेंगे। अब प्रभु जी ही हमें बचाएं, पेपर आए, पेपर आए, जाने कैसे राहत पाए। परिचय :- साहिल नवांकुर निवासी : चरखी दादरी घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिक...
युगपुरुष
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युगपुरुष

रीमा ठाकुर झाबुआ (मध्यप्रदेश) ******************** युग पुरुष किसे हम माने, जो कर्म पथ पर डटा रहा। जो टूटा नही, सलाखों मे, रणभेदी, डंका बजा रहा।। नभ पर खुशियाँ छायी, बाल के घर मे लाल हुआ। जब पैर पालने मे खोले, युगपुरुष का जन्म हुआ।। जब युवा अवस्था मे पहुँचे, तब जन्मभूमि चीत्कार उठी। तब कूद, पडे अंदोलन मे, मन मे स्वाधीनता जाग उठी।। काॅलेज मे अव्वल आये पत्रकारिता से जयघोष किया। जन-जन मे पैदल भटके स्वाधीनता का सम्मान दिया।। अपने पथ से विचलित न हुऐ न उन्हे सलाखें, डिगा सकी। बनकर जन जन के कर्णधार, स्वाधीनता, अधिकार दिला दिया।। वो जीवट थे, 'लौहपुरुष, भारत माँ, के बेटे थे। दुश्मन के दाँत किऐ खट्टे, है,नमन उन्हे, वो सच्चे थे।। परिचय :- रीमा महेंद्र सिंह ठाकुर निवासी : झाबुआ (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। ...
अजनबी पर दोस्त
कविता

अजनबी पर दोस्त

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** ज़रा सी दोस्ती कर ले.., ज़रा सा साथ निभाये। थोडा तो साथ दे मेरा ..., फिर चाहे अजनबी बन जा। मिलें किसी मोड़ पर यदि, तो उस वक्त पहचान लेना। और दोस्ती को उस वक्त, तुम दिल से निभा देना।। वो वक़्त वो लम्हे, कुछ अजीब होंगे। दुनिया में हम शायद, खुश नसीब होंगे। जो दूर से भी आपको, दिल से याद करते है। क्या होता जब आप, हमारे करीब होते।। कुछ बातें हमसे सुना करो, कुच बातें हमसे किया करो..। मुझे दिल की बात बता डालो, तुम होंठ ना अपने सिया करो। जो बात लबों तक ना आऐ, वो आँखों से कह दिया करो। कुछ बातें कहना मुश्किल हैं, तो चहरे से पढ़ लिया करो।। जब तनहा तनहा होते हो तुम। तब मुझे आवाज दे देना। मैं तेरी तन्हाई दूरकर दूंगा। बस दिल से याद हमे करना।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई मे...
तेरा आज यूॅ मुस्कराना
कविता

तेरा आज यूॅ मुस्कराना

मनमोहन पालीवाल कांकरोली, (राजस्थान) ******************** तेरा आज यूॅ मुस्कराना हमें मिला है यूॅ खज़ाना बहारो का भी खीलना दो दिलो का यूॅ मिलना हजार महफिल हो सजी ओर तुम्हारा यूॅ संवरना तेरे दीदार का होना ही हमारे दिल का यूॅ हंसना तुम हो दिल का खजाना कहता हे सब, ये जमाना तुम्हारा यूॅ खिले रहना ओर मेरा यूॅ गुन गुनाना तस्वीर सजाई हे "मोहन" मानो दिल का यूॅ सपना परिचय :- मनमोहन पालीवाल पिता : नारायण लालजी जन्म : २७ मई १९६५ निवासी : कांकरोली, तह.- राजसमंद राजस्थान सम्प्रति : प्राध्यापक घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने ...
धरती की संतान
कविता

धरती की संतान

सुधीर श्रीवास्तव बड़गाँव, जिला-गोण्डा, (उ.प्र.) ******************** हम सब धरती की संतान हैं अच्छा है, समझ है हममें, हम है समझदार भाइयों-बहनों हमारा क्या कहना इसलिए तो भगवान ने हमें बनाया साहित्यकार धरती की भलाई करने को हम सदा है तैयार। हमें अब बहुत कुछ करने की ज़रूरत है आखिर जब धरती माँ ने अपना विशाल आँचल फैला रखा है हमें कष्ट न हो इसीलिए एक विशाल परिवार बना रखा है। हमारे खाने पीने जीने के लिए लाखों लाख जतन कर रही है। लायक बच्चों पर धरती माँ अब नाज़ कर रही है। नदी, झील, झरने, नदियां जलस्रोतों को हम बचाने का कर रहे उत्तम प्रयास इसलिए तो रचनाकार है धरती माँ के बालक खास। पेड़-पौधों से भरी रहे धरा हर तरफ हो वृक्ष हो हरा-हरा। प्राकृतिक संपदाओं का हो संरक्षण खुशहाल बने सभी का जीवन पशु-पक्षी, पेड़ पौधे, जीव जंतु सदा के लिए हो सुरक्षित। हमें अपनी धरती माँ की शान बढ़ानी है सचमुच तभी तो हम ज्ञ...
भूख
कविता

भूख

मईनुदीन कोहरी बीकानेर (राजस्थान) ******************** भूख नहीं होती तो प्रगति भी नहीं होती पाषाण युग से लेकर अंतरिक्ष तक की यात्रा भी नहीं होती। तन-मन-धन की भूख सुख-चैन छीन लेती है राज की भूख पागल बना देती है भूख अदना से आला आला से अदना बना देती है। भूख आदमी की कमजोरी है भूख आदमी की आशा है भूख से पाप, अनाचार व भृष्टाचार बढ़ता है भूख धर्मात्मा को पापी बना देती है। भूख तो भूख ही है भूख सुख-सुख का संसार है भूख ऋषि मुनियों का ईमान डगमगा देती है। भूख से इंसान घर से बेघर दर-दर की ठोकरें खाए भूख इंसान को शैतान बनाए भूख इंसान को भगवान से मिलने की राह ले जाए। भूख न होती तो ये जीव-जगत ये सृष्टि भी न होती भूख इंसान की फितरत में है भूख से भीख-भोजन-भोग का रिश्ता है। मान-सम्मान-यश की भूख इंसान को याचक बनाती है जन्म से मृत्यु तक भूख भूख अंधी होती है भूख इंसान को भी अंधा बना देती है भूख तो भूख है। परिचय...
रिश्ते…
कविता

रिश्ते…

प्रभा लोढ़ा मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** आज हुई ज़िन्दगी से मुलाक़ात, हंस कर पूछा मैंने क्यों है इतनी नाराज़ कभी गुदगुदा कर हंसा देती है तो कभी रुला देती है, क्या तेरी यही चाहत है? सोच समझ कर दिया जबाब उसने हँसती गाती आती हूँ तुम्हें सिखा जाती हूँ रिश्तों को हमेशा रखना ज़िन्दा, ये ही है तुम्हारी ख़ुशी का अनमोल ख़ज़ाना ।। माँ पत्नी बहना, ये है जीवन के मोती दादा पिता चाचा ये है रंगीन धागे दादी नानी बुआ है जीवन की ख़ुशबू बेटी बेटा बहू व जवाई है सब अपने ।। रिश्तों की महत्ता को मत भूलो प्रेम से रखो सबको अपना बनाकर, गलती होने पर मुस्कुरादो रिश्तों की यही खूबी माफ़ी माँगने से रिश्ते और होते मज़बूत ।। मित्र सखा, ये तो है प्रेम के प्याले, मीठे रस से तृप्त होती है मन की बगिया, आँधी तुफान भी नहीं उजाड़ सकते झुक जाते हैं जो पेड़ रिश्तों की भी यही है अपूर्व महिमा सँभाल कर रखना हर रिश्त...
जीवन उत्थान मार्ग
कविता

जीवन उत्थान मार्ग

खुमान सिंह भाट रमतरा, बालोद, (छत्तीसगढ़) ******************** योग, जीवन उत्थान मार्ग है योग, षष्टांग-अष्टांग मिलन है योग, साधन संयम ध्यान समाधि प्राकृती परिभाषा है योग, मंत्र योग, लययोग, राजयोग और हठयोग का ज्ञान है योग, मनका रंजन एवं उसका विस्तार है योग, आत्मा से परमात्मा का मिलन है योग, चेतन केंद्रित का साधन है योग,जगत कल्याण के लिए अर्पित है योग, आत्मा साक्षात्कार अनुभव है योग, परब्रह्म-जीवात्मा अविरल संबंध है योग, मन एवं प्राण का आधार है योग, प्रकृतिधर चेतन पथ प्राप्ति है योग, अणु परमाणु संबंध है योग, मनुष्य से आध्यात्मिकता का बोध है योग, पंच तत्व दर्शन है योग, ज्ञान अनंत है जानो यह सब कोय, योग, करें सोय जीवन मंगलमय होए परिचय :-  खुमान सिंह भाट पिता : श्री पुनित राम भाट निवासी : ग्राम- रमतरा, जिला- बालोद, (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित म...
यूँ  ना ऐसे दिन आए
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यूँ ना ऐसे दिन आए

अक्षय भंडारी राजगढ़ जिला धार(म.प्र.) ******************** यूँ ना ऐसे दिन आए जो दूरियां बढ़ाए दुनिया को कौंन सी ये हवाए लग गई हर बात में दूरियां बढ़ गई वरना यू दिन आए क्यो परेशान है वो दुनिया वीरान है वो गलियां चलते हुए इंसान में आज ये मजबूरियां केसे दिन ढल रहे अपनो के जाने के बाद कैसे दिन कट रहे जाने ये दिन कब गुजरे फिर से दुनिया का पहिया चलता जाए यूँ ना ऐसे दिन आए जो दूरियां बढ़ाए। परिचय :- अक्षय भंडारी निवासी : राजगढ़ जिला धार शिक्षा : बीजेएमसी सम्प्रति : पत्रकार व सामाजिक कार्यकर्ता घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपन...
मेरी दोस्त गोरैया
कविता

मेरी दोस्त गोरैया

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** दस्तक मेरे दरवाजे पर चहकने की तुम देती गौरैया चाय,बिस्किट लेता मैं तुम्हारे लिए रखता दाना-पानी यही है मेरी पूजा मन को मिलता सुकून लोग सुकून के लिए क्या कुछ नहीं करते ढूंढते स्थान। गोरैया का घोंसला मकान के अंदर क्योकि वो संग रहती इंसानों के साथ हम खाये और वो घर में रहे भूखी ऐसा कैसे संभव दान और सुकून इन्हें देने से स्वतः आपको मिलेगा हो सकता है हम अगले जन्म में बने गोरैया और वो बने इंसान दोस्ती-सहयोग कर्म के रूप में साथ रहेंगे। परिचय :- संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता :- श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि :- २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा :- आय टी आय व्यवसाय :- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग) प्रकाशन :- देश - विदेश की विभिन्न पत्र - पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक", खट्टे मीठे...
हार-जीत भूलकर
कविता

हार-जीत भूलकर

होशियार सिंह यादव महेंद्रगढ़ हरियाणा ******************** जीवन में मिले हार जीत, बस दोनों से कर ले प्रीत, जिंदगी का कहते हैं गीत, दुख का बना अपना मीत। गीता में बस कहते कृष्ण, हार जीत को सम समझ, मेहनत से बस कर काम, होगा एक दिन तेरा नाम। हार का गले हार पहनो, जीत का कर लेना ध्यान, हार में कभी रोना नहीं हैं, कहाता है गीता का ज्ञान। हार-जीत सदा भूलकर, बस दे जगत को पैगाम, प्रीत रीत सबसे बड़ी है, बिगड़े बनाती सारे काम। हार देखकर जो रोता है, मिलता उसे नहीं किनारा, जीत देखकर सम रहता, प्रभु को लगता वो प्यारा। हार जीत को भूलकर जो, रखता है जो लक्ष्य ध्यान, वहीं मंजिल को पा जाता, कहलाता है वो जग महान। हार से मिलती एक सबक, जीत पर क्यों जन इतराये, हार में जो जन मुस्कुराता, वहीं एक दिन जग हँसाये। हारे नहीं जो जन हारकर, जीते ना जो जन जीतकर, काम से काम रखता है जो, बस उस नर से प्रीत कर। हार जीत को...
मां का आंचल
कविता

मां का आंचल

साधना मिश्रा विंध्य लखनऊ (उत्तर प्रदेश) ******************** आंचल में आकर छुपी जब भी मानी हार। दे दुलार उत्साह को भरदे मां का प्यार।। रोती आंखों में सजे जुगनू सा प्रकाश। जब मां आंचल प्यार का मुख पर देती डाल।। आंचल मां का जब छिना सुना सब संसार। रिश्ते खारे लग रहे जैसे हो अंगार।। मां के आंचल की समता कर ना सके संसार। जीती हारी बाजी का मां न करे व्यापार।। मां का आंचल मौन से समझे मौन की बात। कभी दृश्य कभी अदृश्य रहे सदा ही साथ।। परिचय :- साधना मिश्रा विंध्य निवासी : लखनऊ (उत्तर प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानिया...