भोर का पंछी
रशीद अहमद शेख 'रशीद'
इंदौर म.प्र.
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जागरण संदेश लाता भोर का पंछी गगन में।
वन्दना के गीत गाता भोर का पंछी गगन में!
मधुर वाणी गूंजती है,
व्योम से लेकर धरा तक।
गान-पारावार में सब,
डूब जाते हैं अचानक।
मन सभी का है लुभाता भोर का पंछी गगन में।
वन्दना के गीत गाता भोर का पंछी गगन में।
मनोहर लय ताल सुन्दर,
धुन अनोखी गान की है।
प्राकृतिक अद्भुत प्रथा यह,
जागरण अभियान की है।
स्वरों की गंगा बहाता भोर का पंछी गगन में।
वन्दना के गीत गाता भोर का पंछी गगन में।
कुशल है संगीत में वह,
जानता आरोह भी है।
तान है उसकी सुरीली,
समय पर अवरोह भी है।
कंठ से सरगम सुनाता भोर का पंछी गगन में।
वन्दना के गीत गाता भोर का पंछी गगन में।
परिचय - रशीद अहमद शेख 'रशीद'
साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’
जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१
जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत
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