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दोहा

जितना ऊंचा चढ़ रहा
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जितना ऊंचा चढ़ रहा

धीरेन्द्र कुमार जोशी कोदरिया, महू जिला इंदौर म.प्र. ******************** जितना ऊंचा चढ़ रहा, तकनीकी का ज्ञान। उतना ही नीचे गिरा, कलयुग का इंसान। दोहरे चाल चरित्र हैं, मानव हुआ विचित्र। आस्तीन के साँप हैं, कहलाते हैं मित्र। जाति धर्म का भेद क्यों, करता है इंसान। एक मिट्टी से हैं घड़े, हरिया औऱ रहमान। मर्यादा भंगुर हुई, विकृत हुआ समाज। कैसे हो उपचार अब, पड़ी कोढ़ में खाज। भाई इतना न रखो, सीधा सरल सुभाय, सीधा रहे दरख़्त जो, पहले काटा जाय। गांवों की तस्वीर अब, बदल चुकी है खूब। शहरों के अनुसरण में, गांव रहे हैं डूब। युवा ढूंढते नौकरी, खेती लगती बोझ। शहर बढ़ रहे बाढ़ से, गांव घट रहे रोज। बेटा बूढ़े बाप को, दो रोटी न खिलाय। हुई बाप की तेरवी, सारा गांव जिमाय। बेटी हीरा देश का, मोहक सुमन सुवास। है बेटी के रूप में, श्री लक्ष्मी का वास। बेटे नालायक बने, भुगत रहे माँ-बाप। माँ ने जन्मा पूत...
नारी
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नारी

केदार प्रसाद चौहान (के.पी. चौहान) गुरान (सांवेर) इंदौर ****************** नारी को जो समझे बेचारी। वह नर हे बड़ा अत्याचारी।। नारी को भी अब निडर होना चाहिए। अपनी रक्षा के लिए स्वयं लीडर होना चाहिए।। छोड़कर मान मर्यादा अब माता सीता वाली। बन जाओ रणचंडी नवदुर्गा और काली।। देखकर माथे का सिंदूर। समझे ना कोई मजबूर।। नारी तेरे हाथों से अब कमाल होना चाहिए। एक खंजर के वार से दरिंदों का चेहरा लाल होना चाहिए।। कैसे समझाएंगे इनको यह आदमखोर दरिंदे हैं। डूब मरो कानून के रखवालों जब तक जुल्मी जिंदे हैं।। नजर उठा कर देख ना सके इनकी आंखें फोड़ देना चाहिए। काट कर दोनों हाथ पैर तोड़ देना चाहिए।। बीच चौराहे सूली पर टांग कर सजा देना चाहिए। केरोसिन डालकर इन दरिंदो को भी आग लगा देना चाहिए।। . लेखक परिचय :-  "आशु कवि" केदार प्रसाद चौहान के.पी. चौहान "समीर सागर"  निवासी - गुरान (सांवेर) इंदौर ...
दोहे
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प्रो. आर.एन. सिंह ‘साहिल’ जौनपुर (उ.प्र.) ******************** कबहुँ भरम मत पालिए भ्रम देता भरमाय। होत सामना सत्य का अक़ल जात चकराय ईश्वर कर ऐसी कृपा शत्रु न कोमा जाय। हरण करे हर क्लेश का हर पल रहे सहाय अहंकार एक रोग है बच के रह इंसान। चक्रव्यूह में गर फँसा बचे न शायद जान मन में ईर्ष्या द्वेष अगर है, है दुनिया से बैर जलेगी तिल तिल ज़िंदगी ख़्वाब रहेगा ख़ैर अतिशय प्रेम या क्रोध में वचन न दीजे कोय अपयश आता भाग्य में कष्ट असीमित होय छल प्रपंच से दूर हमेशा इंसा रहना सीख होत हिक़ारत हर जगह माँगे मिले न भीख हर मज़हब का मानिए मक़सद केवल एक सबका ‘साहिल’ एक है माना मार्ग अनेक . लेखक परिचय :- प्रोफ़ेसर आर.एन. सिंह ‘साहिल’ निवासी : जौनपुर उत्तर प्रदेश सम्प्रति : मनोविज्ञान विभाग काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी, उत्तर प्रदेश रुचि : पुस्तक लेखन, सम्पादन, कविता, ग़ज़ल, १०० शोध पत्...
रक्षाबंधन पर दोहे
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रक्षाबंधन पर दोहे

=========================== रचयिता : रशीद अहमद शेख श्रावण मे फिर आ गया, राखी का त्यौहार। मन में भगिनी के जगा, निज भ्राता का प्यार। सावन की बौछार में, आया पावन पर्व। करासीन राखी सुखद, शोभित हुई सगर्व। तन्वंगी कृशकायिनी, है राखी की डोर। पर इसकी संसार में, चर्चा है चहुँ ओर। रक्षाबंधन से जुड़ा, भ्राता-भगिनी स्नेह। इस बंधन में आत्मा, इस बंधन में देह। भाई राह निहारता, बहना मिले तुरंत। स्नेह-सूत्र कर पर सजे, उपजे हर्ष अनंत। लेखक परिचय :-  नाम ~ रशीद अहमद शेख साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत शिक्षा ~ एम• ए• (हिन्दी और अंग्रेज़ी साहित्य), बी• एससी•, बी• एड•, एलएल•बी•, साहित्य रत्न, कोविद कार्यक्षेत्र ~ सेवानिवृत प्राचार्य सामाजिक गतिविधि ~ मार्गदर्शन और प्रेरणा लेखन विधा ~ कविता,गीत, ग़ज़ल, मुक...
भारत माता
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भारत माता

========================== रचयिता : भारत भूषण पाठक जय जय जय है भारत माता। शौर्य, बल, बुद्धि ,यश प्रदाता।। जय जय जय है भाग्य विधाता। अखण्ड ब्रह्मांड की अधिष्ठाता।। जय जय जय है पतितपावनी। सुख, समृद्धि ,ऊर्जा प्रदायिनी।। जय जय जय है महातपस्विनी। अध्यात्म, योग, विज्ञान प्रवाहिनी। जय जय हे आयुर्वेद प्रदायिनी। सकल जगत की संताप हरिणी।। लेखक परिचय :-  नाम - भारत भूषण पाठक लेखनी नाम - तुच्छ कवि 'भारत ' निवासी - ग्राम पो०-धौनी (शुम्भेश्वर नाथ) जिला दुमका(झारखंड) कार्यक्षेत्र :- आई.एस.डी., सरैयाहाट में कार्यरत शिक्षक योग्यता - बीकाॅम (प्रतिष्ठा) साथ ही डी.एल.एड.सम्पूर्ण होने वाला है। काव्यक्षेत्र में तुच्छ प्रयास :- साहित्यपीडिया पर मेरी एक रचना माँ तू ममता की विशाल व्योम को स्थान मिल चुकी है काव्य प्रतियोगिता में। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशि...