तू… मेरी जां है…!
हरिदास बड़ोदे "हरिप्रेम"
गंजबासौदा, विदिशा (मध्य प्रदेश)
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तू..., मेरी जां है,
जां है..., तू भूल गया...,
मेरा..., तू जहां था,
जहां था..., तू भूल गया...।
तू भूल गया...।।
तू..., मेरी जां है,
जां है..., तू भूल गया...,
मेरा..., तू जहां था,
जहां था..., तू भूल गया...।
तू भूल गया...।।
तू सांचा था क्यूं,
गैर हुआ,
अपना रिश्ता क्यूं,
गैर किया।
दर्द भरी यादें,
तू दे गया,
सुना जहां मेरा,
तू कर गया।।
"दुआ मैं करूं...,
तू खुश रहे सदा...,
मुझे प्यार में...,
धोखा मिल गया...,
बेवफा तू...,
क्यों हो गया..,
बेवफा तू...।"
तू भूल गया...,
तू भूल गया...।
तू..., मेरी जां है...।।
खुला आसमां है,
तू उड़ जा,
संग मेरी यादें,
सब भूल जा।
सपने संवर गए,
जो अब तेरे,
कैसे बिखर गए,
जो थे अपने।।
"जिंदगी तुझपर मेरी...,
कुर्बान हो जाए सदा...,
मुझे प्यार में...,
...





















