आंखें थकती नहीं
होशियार सिंह यादव
महेंद्रगढ़ हरियाणा
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सजग प्रहरी बन गई, सीमा पर टकटकी,
दुश्मनों को ढूंढती, देखे जो सोचती सही,
नींद भरे नयन है, पर मजाल क्या छिपते,
अनवरत देखती रहे, ये आंखें थकती नहीं।
पहाड़ों पर बर्फ जमी, दूर तक वर्षा कहीं,
फूलों की खुशबू में लगे, आंखें वहीं टिकी,
पेड़ों के आलिंगन में, चूम लेती नभ दूरियां,
ये आंखें थकती नहीं, माथे पर पड़े झूरियां।
आंखें थकती नहीं, देखती व्योम के नजारे,
अपना कोई मिल रहा, लग रहे सुंदर प्यारे,
टकटकी लगा देखती, नृत्य करते राजदुलारे,
दूर कोई अपना होता, ये आंखें उसे पुकारे।
सुबह होती भोर देखे, शाम के सुंदर नजारे,
वादियों में दूर तक, बिखरे पड़े कई नजारे,
प्रेमी युगल देखती, करती तब आंखें इशारे,
आंसुओं से भीगती, दर्द में जब दिल पुकारे।
जीवन से मृत्यु तक, नयन क्या क्या देखती,
अच्छी बातें याद रखती, बुरी को वो फेंक...

























