एक स्वर्णिम संध्या
गगन खरे क्षितिज
कोदरिया मंहू इन्दौर (मध्य प्रदेश)
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खूबसूरत संध्या स्वर्णिम आभा का
संदेश देकर गुज़र गई।
निशा भी खूबसूरत ख्वाबौं को
देकर चली गई।
प्रभात की किरणें शबनम के मोती
की तरह प्यार भरा माहौल
सनम तुम्हारे बिना दे गई।
अब इंतजार कर, इंतजार कर
हर आहट कहने लगी
अपने आप से जिन्दगी,
मधुर मधुशाला के लिए तड़फने लगी।
कभी जो मय पिलाई थी,
अपने मुस्कराते नयनौं से,
कशमकश माहौल को
पाने के लिए तड़प उठी थी
गगन एक मोहब्बत की रोशनी के लिए
जिन्दगी बेबस लाचार सी लगने लगी
और खूबसूरत संध्या
स्वर्णिम आभा का
संदेश देकर गुज़र गई।
परिचय :- गगन खरे क्षितिज
निवासी : कोदरिया मंहू इन्दौर मध्य प्रदेश
उम्र : ६६वर्ष
शिक्षा : हायर सेकंडरी मध्य प्रदेश आर्ट से
सम्प्रति : नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण भोपाल मध्यप्रदेश सेवानिवृत्त २०१४
साहित्य में कदम : २०१४ से भारतीय साहित्य परिषद मंहू, मध्य ...