याद है
अर्चना अनुपम
जबलपुर मध्यप्रदेश
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सिहर उठता बदन
खिल उठती सांसे
कि उनका आगोश में आना
याद है।
सर्द हवाओं का धुंध सा पर्द मौसम
मानो छिपा रहा हो फिजा के रुखसार
छिपते सूरज सी तेरी;
मुस्कान याद है...
गुनगुनी धूप,
मद्दम पैरों के थाप सरीखे
दबे पाँव बिखेरने आती हो खुशरंग,
गुलों का मुड़कर उस ओर
तेरी तरह इतराना;
याद है।
होले से रेशमी दुपट्टे का;
नाजुक डालियों की तरह लहराना
पंखुडियों जैंसे गुलाब की
अधरों का खिल जाना
फिर कहीं छिप जाती रश्मि;
जाने कहाँ?
कलियों की धीमी ढ़िढ़ुरन जैसा;
तेरा वो शर्माना,
याद है।
परिचय :- अर्चना पाण्डेय गौतम
साहित्यिक उपनाम - अर्चना अनुपम
मूल निवासी - जिला कटनी, मध्य प्रदेश
वर्तमान निवास - जबलपुर मध्यप्रदेश
पद - स.उ.नि.(अ),
पदस्थ - पुलिस महानिरीक्षक कार्यालय जबलपुर जोन जबलपुर, मध्य प्रदेश
शिक्षा - समाजशास्त्र विषय से स्नात्कोत्तर
सम्मान - जे.एम.डी. प...