दिखाओ तो सही
महेश चंद जैन 'ज्योति'
महोली रोड़, मथुरा
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क्या किया है आपने मुझको बताओ तो सही।
कर्म की अपनी कहानी कुछ सुनाओ तो सही।।१
आह से अपनी तिजोरी भर रखी हैं क्यों भला।
खोल करके कोष अपना तुम दिखाओ तो सही।।२
लूट कर खुशियाँ गरीबों की खड़े मुसका रहे।
मुस्कुराहट तुम उन्हें उनकी दिलाओ तो सही।।३
हाथ आता है नहीं बादल घिरा आकाश में।
घूँट जल की नेह से आकर पिलाओ तो सही।।४
झाँकता है चंद्रमा खिड़की तुम्हारी बंद है ।
खोल खिड़की चाँद को अंदर बुलाओ तो सही।।५
जोड़ कर के या घटा कर देख लो क्या है मिला।
क्या गलत है क्या सही कुछ आजमाओ तो सही।।६
बाँट कर खुशियाँ कभी तो मुस्कुरा कर देख लो।
खिल खिलाकर के कभी तुम मुस्कुराओ तो सही।।७
परिचय :-महेश चंद जैन 'ज्योति'
निवासी : महोली रोड़, मथुरा
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
आप भी अ...
























