चाँदनी रात
सरला मेहता
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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चाँदनी रात तो खिली होगी
आपसे बात भी तभी होगी
इक मुलाकात आज है तुमसे
शर्म से फ़िर पलक झुकी होगी
बन्द आँखें दिखा रही सपने
धड़कनें आपने सुनी होगी
भोर होते चली कहाँ तुम हो
धूप तो आज गुनगुनी होगी
ख़्वाब में खो गए भुला मुझको
राज की बात तो सुनी होगी
दरमियाँ दूरियाँ न हो साजन
पास बैठो ज़रा खुशी होगी
रूठना आपको नहीं भाता
यार मुझमें कहीं कमी होगी
बेटियाँ रोज क्यों छली जाती
खोट नियमों में ही रही होगी
परिचय : सरला मेहता
निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।
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