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पद्य

क्या लिखूँ
कविता

क्या लिखूँ

देवप्रसाद पात्रे मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** काली कजरारी तेरी आंखों को लिखूँ। या फना होता तुम पे अपनी हालातों को लिखूँ। क्या लिखूँ? लटकती कानों में बाली को लिखूँ। या रसभरी होंठों की लाली को लिखूँ। क्या लिखूँ? मेहंदी से सजे खूबसूरत हाथों को लिखूँ। या कोयल सी मीठी बातों को लिखूँ। क्या लिखूँ? पहाड़ियों में बसा तुम्हारा गांव लिखूँ। या तेरी घनी बिखरी बालों का छांव लिखूँ। क्या लिखूँ? छन-छन करती तेरी पायल की झनकार लिखूँ। या तीर नजरों से घायल सीने के आर-पार लिखूँ। क्या लिखूँ? चाहता हूँ दिल की अपनी हर बात लिखूँ। सपनों के सागर में डूबा अपना जज्बात लिखूँ।। और क्या लिखूँ? दे दो हाथों में हाथ फिर एक नया आगाज लिखता हूँ। मिला दो सुर में सुर फिर एक नई आवाज लिखता हूँ।। परिचय :  देवप्रसाद पात्रे निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह...
जीवन सफल बना दो माँ
भजन, स्तुति

जीवन सफल बना दो माँ

रामेश्वर दास भांन करनाल (हरियाणा) ******************** जीवन के अंधेरों को दूर भगा दो माँ, नैया मेरी पार लगा दो माँ, ये जीवन जो तुमने दिया, जीवन की राह आसान बना दो माँ, आते हैं तेरे दर पर, बन कर सब सवाली, मुझ पर भी कृपा कर, मेरा भविष्य उज्जवल बना दो मांँ, दुःख दर्द सब दुर कर, मेरा जीवन सफल बना दो माँ, लक्ष्य जीवन का मेरे, उसको साकार बना दो माँ, मांँ होकर सब जानती हो, दीन दुखियों का दर्द पहचानती हो, मुझ पर भी दया दृष्टि बनाकर, सब काम मेरे आसान बना दो माँ, परिचय :-  रामेश्वर दास भांन निवासी : करनाल (हरियाणा) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्द...
दुनिया में सभी सुखी रहें
कविता

दुनिया में सभी सुखी रहें

किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया (महाराष्ट्र) ******************** दुनिया में सभी सुखी रहें जीवन भर सभी के मन शांत रहें दूसरों की परेशानी में मदद करें यह भाव हर मानवीय जीव में रहे कभी किसी को दुख का भागी ना बनना पड़े यह कामना हर मानवीय जीवन में रहे जीवन में किसी जीव को परेशान बुराई ना करने का मंत्र ज्ञान मस्तिष्क में रहे सभी जीवन में सुखी रहें दुनिया में कोई दुखी ना रहे सभी जीवन भर रोग मुक्त रहे मंगलमय के हर पल के सभी साक्षी रहे सभी श्लोकों को पढ़कर जीवन में आनंद करें महापुरुषों के ग्रंथों को पढ़कर सही रास्ते पर चलकर सभी में यह सोच भरें किसी की बुराई और परेशान ना करें भारतीय संस्कारों को जीवन में अपनाते रहें सभी जीवो का कल्याण का कार्य करते रहें किसी के दुखों का भागी कारण न बने सभी की भलाई निस्वार्थ करते रहें परिचय :- किशन सनमुखदास भावनानी (अभिवक्ता) ...
गांधी के तीन बंदर
दोहा

गांधी के तीन बंदर

विजय गुप्ता दुर्ग (छत्तीसगढ़) ******************** बंदर गुण पर नजर थी, जो गिनती में तीन। गांधी अनुयायी सही, लाख बजा लो बीन।। साथ रखे वो घूमते, व्यापक था प्रभाव। एक सदी से दिख रहा, बहुत विचित्र स्वभाव।। गलत देख कर गुम हुए, पाए जो संस्कार। पट्टी आंख पर है चढ़ी, हो रहा व्यभिचार।। व्यर्थ वानर अब खड़ा, पनप रहे कुविचार। अभिभावक के सामने, बिगड़ रहा परिवार।। छठी इंद्रिय तेज है, असमंजस कपिराज। गांधी तेरे देश में, अखर रहे हैं काज।। हम कानों से क्या सुनें, सुनती जब दीवार। कर्ण कपि खुद नाच रहा, अनर्थ मय तकरार।। सुनना भी पसंद नहीं, सुंदर भी जब बोल। वानर थाम रहे तुला, कैसे खोलें पोल।। बड़बोला मानव हुआ, एक रहे नित काम। मुख पट्टी भी कपीश की, कचरा गई तमाम।। गांधी के बंदर पले, बहुत बरस की भोर। जीवनकाल खत्म हुआ, चलन दूर का शोर।। परिचय :- विजय कुमार गुप्ता जन्म : १२ मई १...
महागौरी वन्दन
भजन, स्तुति

महागौरी वन्दन

आचार्य नित्यानन्द वाजपेयी “उपमन्यु” फर्रूखाबाद (उत्तर प्रदेश) ******************** महामाता महागौरी जगत कल्याणकारी हैं। तुम्हारी आस हमनें नाव दरिया में उतारी है।। शिवानी शैलजा अम्बा त्र्यम्बक तोषिणी गौरी। चतुर्भुज रूप है अनुपम, धरे हैं चंद्रमा मौरी।। लिए त्रयशूल दाएँ कर, बजातीं वामकर डमरू। वृषभ आरूढ़ हैं माता, चलें हैं संग में भैरू।। जिन्होनें भक्त के कल्याण हित लीला प्रसारी है।।१! सुता हिमवान की हो तुम, चुना पति शंभु शंकर को। कठिन तप से पड़ी काली, रिझाया तब शुभंकर को।। पिया सितकंठ आये तब, दिया वर गौर वर्णा हो। बनी शंकर प्रिया शुभ्रा, शिवानी हो अपर्णा हो।। तभी से गौरवर्णा हो, वदन कर्पूर क्यारी है।!२! तुम्हीं दुर्गा तुम्हीं काली, तुम्हीं तो अन्नपूर्णा हो। तुम्हीं शाकाम्भरी देवी, महिष की दम्भ चूर्णा हो।। सुनैना दुर्गभीमा दुर्गभामा दुर्गतारिणि हो। भवानी दुर्गभा अम्बा, श...
सात गुण सात रोग
कविता

सात गुण सात रोग

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** सात गुण सात रोग शक्ति स्वरूपा देवियों से प्राप्त गुणों से भगाएँ रोग। स्नेह प्यार की शीतल बयार ह्रदय रोगों से बचाती संसार क्यों न प्यार दें और प्यार ले शान्ति का चहुँ ओर हो प्रसार श्वास अस्थमा नहीं आए द्वार तभी कहते शान्ति से सांस लो संतोष व सुख का करो संचार पेट रोग अपच सब मानेंगे हार सुना है, सुख से दो जून खाओ फैलाओ सदा ज्ञान का प्रकाश मानसिक रोगों का होता नाश चिंता नहीं, चिंतन में लीन रहो शरीर के दर्दों से पाओ निज़ात जाग्रत अष्ट शक्तियाँ है निदान अन्तर्निहित ऊर्जाएं न गवाओ कर्मेन्द्रियां अपना ले पवित्रता प्रतिरोधक दिलाए रोगमुक्तता सोचो-सब अच्छे, सब अच्छा संतोषी सदाचारी निर्विकारी बने परम् आंनद के अधिकारी दुआ दो, भला करो, मगन रहो परिचय : सरला मेहता निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : ...
पुतले का दहन
कुण्डलियाँ, छंद

पुतले का दहन

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** कुंडलियां - छंद करके पुतले का दहन, हर्षित है इंसान। रावण अब मारा गया, कहता है नादान।। कहता है नादान, इसी भ्रम में वह जीता। पुतले को निज हाथ, जलाते सदियों बीता।। कहे राम कवि राय, जोश हिय में वह भरके। मना रहा है पर्व, दहन पुतले का करके।। मरना रावण का नहीं, है इतना आसान। जब तक के अपने हृदय, भरा हुआ अभिमान।। भरा हुआ ‌अभिमान, यही रावण कहलाता। फिर पुतले पर क्रोध, व्यर्थ में क्यों दिखलाता।। कहे राम अभिमान, हमें है निज का हरना। तब होगा आसान, दुष्ट रावण का मरना।। परिचय :- रामसाय श्रीवास "राम" निवासी : किरारी बाराद्वार, त.- सक्ती, जिला- जांजगीर चाम्पा (छत्तीसगढ़) रूचि : गीत, कविता इत्यादि लेखन घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कव...
जड़ों का अस्तित्व
कविता

जड़ों का अस्तित्व

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** जमीन में दबी हुई जड़ों के जंजाल को जीवित रखने के लिए। वृक्षों की विभिन्न शाखाएं देखिए कैसे अवनी अंबर में समझौता करने के लिए अडिग है। उच्च श्रृंग शिखरवृक्ष का संदेश सुनाता अंबर को कहता अवनी आश्वस्त है तप्त रवि जब किरणें फैलाता। फैले वृक्ष छाया करते अवनी पर गोलाई, चौड़ाई, चतुर्भुज, लंबाई गणित बैठाती है शाखाएं। पर्णों का स्वर संगीत सुनाती तपती दोपहरी में ठंडी पवन आड़ी तिरछी शाखाएं वृक्षों की आलिंगन करती अवनी का। मानोकहो रही हो वृक्षशाखाएं हे अवनी हम तुम्हें संभाल लेंगे क्योंकि नीचे की जड़ों का तुम ही तो आधार हो। वृक्षों के कई आकार छोटे लंबे गोलाकार देते सदैव अंबर को अवनी का अस्तित्व आभास। परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी ...
भगत सिंह को दिल करे प्रणाम
कविता

भगत सिंह को दिल करे प्रणाम

प्रतिभा दुबे ग्वालियर (मध्य प्रदेश) ******************** कोटि-कोटि नमन है शहीद तुझे, मन पर हस्ताक्षर ले मातृभूमि का, करते रहे सदा देश की सेवा तुम मिट गए पर झुके नहीं गैरों के आगे करते हुए इस समाज का कल्याण ।। अपने से विचारों से ला दी थी तुमने, युवाओं में क्रांति आजादी के नाम की हर घर एक भगत हो रहा था तैयार सत्य सभी को दिखलाया देश हित में, ऐसे भगत को हैं कोटि-कोटि प्रणाम ।। ना भूलेंगे हम तुम्हारी शहादत कभी कैसे किया तुमने मातृभूमि का सम्मान, ऊंच-नीच का भेद नहीं था तुमको कभी, सिखलाया हंसकर जीना सबको गले लगाकर किया सभी से सदैव भगत ने प्रेम अपार ।। गुलामी की जंजीरों से करना थे बस तुमको स्वतंत्र इस देश में सभी के विचार इसीलिए हर मार्ग चुना सावधानी से स्वतंत्रता की खातिर करते गए तुम साथ लेकर सबको ही अपना काम ।। तुम्हारे बलिदान को व्यर्थ नहीं समझा हम...
श्रम
कविता

श्रम

दिति सिंह कुशवाहा मैहर जिला सतना (मध्य प्रदेश) ******************** श्रम पूजा श्रम ईश्वर श्रम ईश्वर का रूप कर्म विधान श्रमिक तु ईश्वर का प्रतिरूप।। पत्थर फोड़े नहरें खोदी खोद रहा खदान गगन चुंबी इमारतों में चढ़ करता विश्व से आह्वान।। जलते पग जलती भू जल रहा आकाश पानी की एक एक बूंद को ढूंढ रहा हताश।। जलता ज़मीर जलता ख़्वाब पिस रहा लाचार भाग्य के हम भाग्य विधाता श्रम करता प्रतिगान।। जलते अंगारों में सुसज्जित निर्धन का गलियार जर्रे जर्रे मर मर कर श्रम करता फरियाद।। श्रम जीवन का मार्ग प्रशस्त करता काया कल्प शोषक शासक नाम मात्र का करता राजतंत्र।। शोषित शोषण के अंधकार में जलता निमग्न काम ऐश्वर्य के पूर्ण अर्थ से देश बना विपन्न।। लोकतंत्र के शासन में नीति दलों का द्वंद देश की अर्थ व्यवस्था दाव में जलमग्न।। परिचय : दिति सिंह कुशवाहा जन्मतिथि : ०१/०७/१९८७...
माँ तुम ही मेरा आधार
कविता

माँ तुम ही मेरा आधार

सोनल सिंह "सोनू" कोलिहापुरी दुर्ग (छतीसगढ़) ******************** माँ जगदम्बे के चरणों में, शीश झुकाये ये जग सारा। आदिशक्ति माता भवानी, भक्त लगाये जय जयकारा। तुम हो बड़ी कृपालु माता, याचक की सुनती हो पुकार। झोली सबकी तुम भर देती, आता है जो तुम्हरे द्वार। तेरा रूप है जग से निराला, नयनों को लगता है प्यारा। तुम मेरा एकमात्र सहारा, तुम बिन मेरा कौन आधारा। संकट से माँ तू ही उबारे, जीवन नैया तेरे हवाले। शरणागत हम आये माता, हे! जगजननी भाग्य विधाता। परिचय - सोनल सिंह "सोनू" निवासी : कोलिहापुरी दुर्ग (छतीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच प...
काश ये सपना पूरा हो जाएं
कविता

काश ये सपना पूरा हो जाएं

आकाश प्रजापति मोडासा, अरवल्ली (गुजरात) ******************** एक सपना है मेरा जो पूरा हो जाए मैं तेरा बन जाऊं, तू मेरी बन जाए तू नाराज हो मुझसे, तो मैं तुझे मनाऊं और कभी मैं नाराज हो जाऊं तो तू मुझे मनाए काश ये सपना पूरा हो जाए... हमारी खट्टी-मीठी थोड़ी नोकजोख हो जाए कभी परेशान करके मैं तुझे सताऊं कभी ऐसे नखरे भी बताए थोड़े झगड़े करके फिर प्रेम जताए काश मेरा ये सपना पूरा हो जाए... रज़ा के दिन मैं तेरा हाथ बटाऊं तू दाल बनाएं तो मैं रोटी बनाऊं कभी हम बारिश में भीगकर आए अपनी साड़ी से तू मेरे बाल सुखाए काश मेरा ये सपना पूरा हो जाए... कभी हम ऐसे सफर पर जाए तू थक जाएं तो मैं तुझे गोद में उढाऊं तू ख्याल मेरा बने और मैं "आकाश" तेरा शायर, प्रेमी बन जाए यहीं बस सपना है मेरा काश ये पूरा हो जाए इसे पूरा सिर्फ तू कर सकती है तो तू जल्द से जल्द इसे पूरा बनाएं काश ये मेरा...
शहीद भगत सिंह
कविता

शहीद भगत सिंह

देवप्रसाद पात्रे मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** होंठो पर मुस्कान, हथेली में लेकर जान। वीरों के वीर शहीद भगत सिंह महान। निकल पड़े थे अकेले दुश्मनों को हराने। बचपन से ही सिर्फ आजादी के दीवाने।। रग-रग में भरी थी साहस चलते सीना तान के। मौत से कभी न डरा, जीते थे जो शान से।। जीवट, जुनूनी व एकाकी भावना। देश पर फ़ना होने को ठाना दीवाना। वीर भगत सिंह की मूँछो पर ताव। गोरे दुश्मन को करते रहे थे घाव।। बाँध चले थे जो सिर पर कफन। जोश-ए-जुनून से लबरेज क्रांतिकारी। वीर भगत सिंह, राजगुरु, सुकदेव। तीनों वीर अंग्रेजी हुकूमत पर भारी।। असेम्बली में बम फेंका, सलाखों को सीने से लगाया। खुद को देश पर कुर्बान किया, हर सीने में देशप्रेम जगाया।। खून में था देशभक्ति का जज्बा, नारा था साम्राज्यवाद मुर्दाबाद।। वतन कि फिजां में आज भी गूँज रही है। भगत सिंह जिन्दाबाद, इंकलाब जिंद...
स्वावलंबन
कविता

स्वावलंबन

डॉ. किरन अवस्थी मिनियापोलिसम (अमेरिका) ******************** इतना भी इन्सान स्वावलम्बी न हो जाए कि दीन दुनिया को जीवन के मूल्यों को भूल जाए कि परवरिश परिवार की, घरबार को भूल जाए मित्रों का आना, पड़ोसी का मुस्कुराना स्नेह का बंधन ही टूट जाए कामना की पूर्ति में इतना न मग्न हो जाए कि घर की सुरक्षा,nआँगन की देहरी संवेदना की झोली, मित्रों की टोली रिश्तों की डोरी को भूल जाए केवल स्वयम् में इतना न डूब जाए कि नैतिकता का दामन, अनुशासन की सीमा बुज़ुर्गों की चाहत, अपनों की आहट, नन्हों की झप्पी, बच्चों का बचपन वो भूल जाए नदियों की कलकल, वर्षा की रिमझिम मुस्कान कलियों की, भौंरों का गुंजन भोली सी सूरत, मेहनत की सीरत कुनबे के माली की हैसियत न भूल जाए चिडियों की चहक, फूलों की महक झरनों की कलकल, लताओं की झिलमिल मेघों का गर्जन, दामिनी की तड़पन जाड़ों की गुनगुनी न धूप भूल ...
नौं दिन माता रानी के
भजन, स्तुति

नौं दिन माता रानी के

संजय कुमार नेमा भोपाल (मध्य प्रदेश) ******************** नवरात्र का त्योहार मां की शक्ति और भक्ति का आया। सब मिल करें नौं दिन माता रानी के, विविध स्वरूपों की आराधना एवं साधना। प्रथम दिवस होती पर्वतराज शैलपुत्री की आराधना। द्वितीय दिवस आती, देवी ब्रह्मचारिणी अपने स्वरूप का दर्शन देने।। जप की माला एवं कमंडल लेकर। तीसरा दिवस आता देवी चंद्रघंटा स्वरूप का, वाहन है इनका शेर। असुरों के सहार के लिए।। हाथों में सजते सभी अस्त्र-शस्त्र। चौथा दिवस करते पूजा माता के कुष्मांडा स्वरूप के। इनके स्वरूप में समाया पूरा ब्रह्मांड का तेज, अपने स्वरूप में ही पायी तेजस्वी जगत आभा की। पांचवा दिवस आता आराधना का देवी के स्कंदमाता स्वरूप का।। माता दर्शन देती ममत्त्व का,‌ बैठी गोद में लेकर बालक रूप भगवान स्कंद का। छठवां दिन आराधना का आया माता दर्शन देती कात्यायनी रुप में।...
गर धरा ना होती तो
कविता

गर धरा ना होती तो

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** गर धरा ना होती तो तो रिश्ते ना होते भू लोक का नाम ना होता प्राण वायु कहा से पाते जीवन का आधार ही खत्म हो जाते ना दिन ना राते होती न तारों को गिन पाते जन्म जन्म का साथ हम कहाँ से पाते गर धरा ना होती तो सभी जीवों को हम कहा देख पाते। परिचय :- संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता :- श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि :- २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा :- आय टी आय व्यवसाय :- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग) प्रकाशन :- देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक", खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के ६५ रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान - २०१५, अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित संस्थाओं से सम्बद्ध...
माँ भगवती
भजन, स्तुति

माँ भगवती

मीना भट्ट "सिद्धार्थ" जबलपुर (मध्य प्रदेश) ******************** मातु अम्बे शुभे चण्डिका, भगवती हैं पुकारो रमा। दिव्य रूपा धरा रक्षिका, प्रार्थना है पधारो रमा।। दैत्य रिपु घातिनी मालिनी, शक्तिशाली जगत तारिणी। मातु करुणामयी शालिनी, मातु शुभदा शुभे कारिणी।। सृष्टि पालन भवानी करें, मातु है दैत्य संहारिणी। आदि रूपा अलौकिक बड़ी, जोड़ते कर कमल धारिणी।। मातु महिमा सभी गा रहे, भाग्य सबके निखारो रमा। शाम्भवी धर्म संस्थापिका, ज्योत्सना ज्ञान की कामना। माँ सुधा प्रीत की दे पिला, धर्म अरु त्याग की भावना।। कर कृपा नंदिनी माँ सदा, हे विनय आज वरदायिनी। माँ नमन है वचन नित्य दे, पावनी मातु सुख दायिनी।। दूर कर कष्ट सुख दे जरा, भक्त टेरे सँवारों रमा। पापहंता शिवा भामिनी, शस्त्र धारण करे कालिका। सर्वभूतेषु ममतामयी, स्कंद माता जगत पालिका।। स्वर्ण आभा बिखेरे सदा, ...
बिटिया
कविता

बिटिया

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** बिटिया तू है, अपने। परिवार की राजकुमारी। तू परिवार की राजदुलारी। तू आज बगिया की सुंदर। कली सम कल तू तरूणी। आज तू कली सम देवकन्या। रूप धर धरा पर आई। तू है परमपिता परमात्मा। प्रदत्त अद्भुत रचना। बिटिया तेरे रूप अनेक। बिटिया इस धरा पर जब भी। कोई तुझे कुत्सित भाव। संवाद करें या कुदृष्टि डाले। तो तू ऐसे दुष्कर्म करने वाले। दुष्टो का संहार करने के लिए। तत्काल तू काली अरू रक्तदंतिका बन जाना। बिटिया तू ईश्वर की रचना हैं । तू कोमलांगी हैं परंतु जब। विषम परिस्थिति में लज्जा। संकट में हो तब दुष्टों का सर्वनाश कर देना। कुकर्म करने वाले दुष्टों को। निसंकोच अस्त्र-शस्त्र से काट। देना तनिक संकोच मत करना। तू आज की अबला नारी नहीं। आज की सबला नारी है। बिटिया तू ही दुर्गा, तू ही काली। तू ही जगद...
तेरा चमक रहा दरबार
भजन, स्तुति

तेरा चमक रहा दरबार

हरिदास बड़ोदे "हरिप्रेम" गंजबासौदा, विदिशा (मध्य प्रदेश) ******************** "मैया तेरे दरबार की, धूल का मैं एक टुकड़ा, हरि नाम दास हूं बड़ा, सुनले मेरा दुखड़ा" तेरा चमक रहा दरबार ओ मैया, लग रहा भक्तो का डेरा...।। गड़ ऊंचे मंदिर मैया विराजी, नवरूपों में सजी महारानी। सज रहे गांव गली चौराहे, नवरूपों में झांकी विराजी। देखो चल रहा जागरण ओ मैया, लग रहा भक्तो का डेरा। तेरा चमक रहा दरबार ओ मैया, लग रहा भक्तो का डेरा...।। "सुन ले मेरा दुखड़ा मैया, थोड़ा ना कर इंतजार, बेचारा नही मैं लाल हूं, मुझपर कर उपकार" तेरा चमक रहा दरबार ओ मैया, लग रहा भक्तो का डेरा...।। नंगे-नंगे पांव मैं चलकर आया, ऊंची-ऊंची सीढ़ियां मैं चढ़कर आया। धूपबाती की ज्योत जलायी, लाल रोली का तिलक लगाया। देखो भक्त करे जयकारा ओ मैया, लग रहा भक्तो का डेरा।। तेरा चमक रहा दरबार ओ मैया, लग रहा भ...
मेङ पर बैठा संगिनी साथ
कविता

मेङ पर बैठा संगिनी साथ

इंद्रजीत सिहाग गोरखाना नोहर (राजस्थान) ******************** देखा भी तो क्या देखा अगर देखा नहीं गोरखाना। देखता हुं दृश्य अब जब मैं मेङ पर खेत की बैठा संगिनी साथ। यह हरा ठिगना मौठ बांधे मुरैठा रंगिन शीश पर, फूलों से सजकर खङा हैं। देखा भी तो क्या देखा, अगर देखा नहीं गोरखाना। बीच में बाजरी हठिली देह पतली, कमर लचीली बांध शीश पर चांदी मुकुट लहर-लहर लहराव है देखा भी तो क्या देखा अगर देखा नहीं गोरखाना। और ग्वार की न पूछो, सबसे अलग अकङ दिखावै। हरे पत्तों से लदा फंदा हैं हरे पन्ने सी फली चमकावै है। प्रकृति अनुराग रस बरसावै है। देखा भी तो क्या देखा अगर देखा नहीं गोरखाना।। परिचय :-  इंद्रजीत सिहाग गोरखाना निवासी : नोहर (राजस्थान) सम्प्रति : शिक्षक घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। ...
मृतात्मा
कविता

मृतात्मा

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** जन्म लिया था मानव बन कर इस पावन भू-भाग। कब दानव बना पता नहीं चला उगलने लगा आग।। मोह में फंसा था जीवन भर, लिया ना प्रभु का नाम। अपने लिए, अपनों के लिए करता रहा ताउम्र काम।। गरीबों से लेता था धन, अमीरों का किया काम मुफ्त। कहता सभी से बताना नहीं किसी को, रखना गुप्त।। देखकर पहनावा उनका निर्धनों को बिठाता जमीन। जब आता कोई धनवान, उठ खड़ा होता आसीन।। भिक्षु को कभी ना दान दिया ना किया समाज सेवा। भक्ति की ना धर्म के मार्ग पर चला, खुद खाता मेवा।। ईश्वर समान माता-पिता को भेज दिया वृद्धा आश्रम। माया और मांस-मदिरा में लिप्त पाल बैठा था भ्रम।। भटक रहा हूं स्वर्ग और नर्क में रूप लिए श्वेत छाया। निर्मल, पुण्य वाले मिट्टी में दफन है मेरी हाड़ काया।। जला था आजीवन दूसरों से, गुरुर अग्नि की लपटों में। धवल धुआं उड़ गया ग...
तुमको गाँव बुलाता
कविता

तुमको गाँव बुलाता

अंजनी कुमार चतुर्वेदी निवाड़ी (मध्य प्रदेश) ******************** जाकर जो बस गये शहर में, उन्हें शहर ही भाता। याद सताती जिन्हें गाँव की, उनको गाँव बुलाता। बावन बीघे का घर छोड़ा, छोड़ा अँगना प्यारा। जाकर बसे शहर में निर्मम, बना बसेरा न्यारा। आँगन के अमरुद छोड़कर, और छोड़ गलियारे। शीतल छाँव छोड़ अमुआँ की, शहर बसे हुरयारे। कच्चा चूल्हा धर आँगन में, अम्मा खीर बनाती। जब जब तू रूठा करता था, तुझको खूब मनाती। कल कल करती नदी गाँव की, तुझे याद ना आती। बचपन के यारों की यादें, तुझको नहीं सताती। गाँवों की गलियाँ सूनी हैं, पनघट भी सुने हैं। सपने लेकर शहर जा बसे, गए आसमां छूने। दौलत सँग रसूख पाने को, गाँवों को विसराया। कंक्रीट के अंदर रहते, जहाँ प्रदूषण छाया। कोयल मोर पपीहा मिलकर, बागों में थे गाते। घर के बाहर बड़े ताल में, छोटी नाव चलाते। भाभी ननद और बह...
वर्ण पिरामिड
कविता

वर्ण पिरामिड

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** वर्ण पिरामिड महादेव १... ॐ शिव ओंकार निराकार परमेश्वर त्रयम्बकेश्वर करो विश्व उद्धार २... हे शंभू त्रिचक्षु संकटी भू कल्याण कुरु बजा दो डमरू करो तांडव शुरू ३... ओ रुद्र शंकर विश्वेशर ओंकारेश्वर महाकालेश्वर आओ परमेश्वर परिचय : सरला मेहता निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु ड...
प्यारी बेटी
कविता

प्यारी बेटी

किरण पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** मां के मन का भाव है बेटी, पिता के दिल का अहसास है बेटी। आत्मा की आवाज है बेटी, चित ज्ञान और विवेक हे बेटी। घर की रौनक हे बेटी, आंगन में बहार है बेटी। मां की जिगरी दोस्त है बेटी, पिता का मनोबल है बेटी। दुख का साथ बेटी, सुख का मार्ग है बेटी। निस्वार्थ भाव है बेटी, घर का मान है बेटी। घर का सम्मान है बेटी, घर की आन बान और शान है बेटी। पिता का सम्मान है बेटी, घर मौहल्ला और समाज देश की नाक हे बेटी। "इसे हम क्यों मारे गर्भ मैं" फिर सीता राधा अनुसूया, लक्ष्मी इंदिरा सुषमा अहिल्या। ललिता प्रतिभा द्रोपदी, और किरण विजय के होंठो की, "मुस्कान" कहां से लाएगे हम। बेटी को बचाए हम, "बेटी है तो कल है, बेटी है तो सकल है" परिचय : किरण पोरवाल पति : विजय पोरवाल निवासी : सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ...
अमृत कलश/पुष्पमाला छंद
छंद

अमृत कलश/पुष्पमाला छंद

मीना भट्ट "सिद्धार्थ" जबलपुर (मध्य प्रदेश) ******************** अमृत कलश/पुष्पमाला छंद विधान : वार्णिक छंद १३ वर्ण गण संयोजन : नगण नगण रगण रगण गुरु मापनी : १११ १११ २१२ २१२ २ चार चरण : दो-दो चरण समतुकांत ९,४ पर यति अतुलित सुख दें कृपा, श्याम पाउँ। गिरधर उर में बसे, नित्य ध्याऊँ।। सहज सरल श्रेष्ठ हो, नाथ आओ। अमिय कलश मोहना, आज लाओ।। विकल हृदय हैं मिलें, भी किनारे। नटवर प्रभु थाम लो, हो सहारे।। उलझन सब दूर हों, है अँधेरा। सुमन सरिस दो खिला, हो सबेरा।। परिचय :- मीना भट्ट "सिद्धार्थ" निवासी : जबलपुर (मध्य प्रदेश) पति : पुरुषोत्तम भट्ट माता : स्व. सुमित्रा पाठक पिता : स्व. हरि मोहन पाठक पुत्र : सौरभ भट्ट पुत्र वधू : डॉ. प्रीति भट्ट पौत्री : निहिरा, नैनिका सम्प्रति : सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश (मध्य प्रदेश), लोकायुक्त संभागीय सतर्कता समिति जबलपुर की भूत...