अमर प्रेमचंद
डॉ. निरुपमा नागर
इंदौर (मध्यप्रदेश)
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हो चाहे नाटक,
या, हो कथा संसार
कलम के जादूगर ने
समृद्ध किया
हिंदी का संसार
उपन्यास का अनमोल
खजाना देकर
बने उपन्यास सम्राट्
कर्म पथ पर चलते-चलते
हर विधा से
किए दो-दो हाथ
सुधारवाद का
साहित्य रच-रच
यथार्थवाद का
परचम लहरा
दे दी कितनी ही
सीखों की सौगात
"सौत" से "कफ़न" तक
सफ़र किया
आदर्शों के संग संग
मुंशी थे वे, सिखा गये
जीवन जीने का हिसाब
दया, करुणा के धनपत
प्रेम संदेश दे कर
बने अमर प्रेमचंद
परिचय :- डॉ. निरुपमा नागर
निवास : इंदौर (मध्यप्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।
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