ये दूरियां-ये ख्वाब!!
सिमरन कुमारी
मुजफ्फरपुर (बिहार)
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ये दूरी हैं महज ज़मीन की,
दिल की नहीं!!
दूरी हैं मज़बूरी थोड़े ही,
कमी हैं ना मिलने की,
कमज़ोरी थोड़े ही!!
निभाने का इरादा जरूरी हैं,
विश्वास चाहिए वायदा नहीं!!
राधा- कृष्ण की दूरी,
सच्चे आस की निशानी हैं,
तभी तो हर जुबां पर उनके मिलन की कहानी हैं!!
मिलेंगे एक दिन वो खास होगा,
मैं तेरे करीब तू मेरे पास होगा!!
जब ये खिलता ख्वाब,
और आँखों में शवाब होगा!!
रब्त इश्क़ की दरियां,
टूटती ये दूरीयां !!
तब मिलना सबसे नायाब होगा,
तब हमारा मिलना इत्तेफाक होगा!!
ज़मीन की दूरी महज ये दूरी,
ख्वाब बुनता दिल,
जब मिलेंगे तब ख़ुद को,
संभालना होगा मुश्किल!!
परिचय :-सिमरन कुमारी
निवासी : मुजफ्फरपुर (बिहार)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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