रिति गागर
मालती खलतकर
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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मन की रीति गागर में
आ गया समंदर का घेरा
इन अलको में इन पलकों में
भटक गया चंचल मन मेरा।
कंपीत लहरों सी अलके है।
्दृगके प्याले भरे भरे।
तिरछी चितवन ने देखो
कर दिए दिल के कतरे कतरे,।
द्वार खुल गए मन के मेरे
मनभावन ने खोल दिए
बैठे किनारे द्वारे चौखट
दृग पथमे है बिछा दिए
परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ीआप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों के साथ शिरकत करती रही आकाशवाणी इंदौर से भी रचनाएं प्रसारित होती रहती हैं व वर्तमान में इंदौर लेखिका संघ से जुड़ी हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्...