भोला आतंकी
विजय गुप्ता
दुर्ग (छत्तीसगढ़)
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भोला दिखने वाला मानुष, दिल से सच्चा नहीं होता।
सीधेपन की आड़ में देखा, खुलासा तक नहीं होता।
वो दुनिया भर की नजरों में, गौ जैसा बन जाता है।
रहस्य भरे तार खुल जाए, आतंकी कहलाता है।
मासूमियत ओढ़े चेहरा, भीतर बहुत दरिंदा है
रखे हैं आतंकी संबंध, जांच काज पेचीदा है
तार जुड़े हुए विदेशों से, फड़कता भी परिंदा है
सत्ता सुरक्षा ढिलाई पाकर, सिद्धू जान गंवाता है
वो दुनिया भर की नजरों में, गौ जैसा बन जाता है
रहस्य भरे तार खुल जाए, आतंकी कहलाता है।
भोला दिखने वाला मानुष, दिल से सच्चा नहीं होता।
सीधेपन की आड़ में देखा, खुलासा तक नही होता।
छापों का भी डर नहीं तनिक, मनुज बनता है सत्कर्मी
राजनीति के दांवपेंच में, बनता धूर्त हठधर्मी
माफिया गैंग के राजदार, जो हत्यारे और कुकर्मी
शासन कानूनों की जकड़न, चोला बाहर आता है
वो दुन...