विजय मार्ग
दिनेश कुमार किनकर
पांढुर्ना, छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)
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धर विजय मार्ग पर पग,
कर्मवीरों का यह जग!
रख धीर औ मन मे आस,
बस कर पुनः पुनः प्रयास
देख सदा स्वप्न चरम के,
औ रच अम्बर में नव मग,
धर विजय मार्ग पर पग!....
छू चलते हुए सितारों को,
ले आगोश में सब तारो को,
हो जोश तुझमे इतना कि
मचले बिजली तेरे हर रग!
धर विजय मार्ग पर पग! ....
प्रारब्ध ने तो इतना जाना,
बुन कर्मो का ताना बाना,
अर्जुन सा तू कर संधान
रखकर मीन के दृग पर दृग,
धर विजय मार्ग पर पग!.....
परिचय - दिनेश कुमार किनकर
निवासी : पांढुर्ना, जिला-छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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