माता सीता सी कोई नहीं
अमित प्रेमशंकर
एदला, सिमरिया, चतरा (झारखण्ड)
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राधा बनने को सब चाहे
माता सीता सी कोई नहीं!
सब कृष्ण के प्रेम में भटक रही
संग राम के वन में कोई नही!!
ये क्यों कहते हैं धोका खा गई
रो-रो वक़्त गुज़ार रही
सब ढुंढ़ती रही है राजभवन
सीता सा वन पथ कोई नहीं।।
फिर कहां मिलेगा सत्य प्रेम
जो कर्तव्यों से जूझी नहीं।
वो जनक सुता महलों की ज्योति
वन आकर भी बूझी नहीं।।
बीता दिया कांटों में जीवन
फिर भी लंका की हुई नहीं।।
राम हुए बस सीता के.....
वो और किसी की हुई नहीं।।
राधा बनने को सब चाहे
माता सीता सी कोई नहीं!
सब कृष्ण के प्रेम में भटक रही
संग राम के वन में कोई नही!!
परिचय :- अमित प्रेमशंकर
निवासी : एदला, सिमरिया, चतरा (झारखण्ड)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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