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कविता

नैतिक बल
कविता, नैतिक शिक्षा, संस्कार

नैतिक बल

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** शारिरिक बल, बुद्धिबल, से बलशाली नीति, नैतिक बल के सामने, टिकती नहीं अनिती। व्यक्ति जाति या राष्ट्र हो, होता उसका नाश, जो अनिती पथ पकड़ता, है साक्षी इतिहास। नैतिक बल से आत्म बल है संवद्ध घनिष्ठ, टका एक दो पृष्ठ है, किसे कहें मुख पृष्ठ। है यदि सच्ची नीति तो, वहीं धर्म आधार, ठहर न सकता धर्म है, जहां न नीति विचार। सब धर्मों को देख कर, गोर करें यदि आप, तो पायेंगे नीति का, सब मे अधिक मिलाप। अचल नियम है नीति के, अचल न चक्र विचार, मत विचार है बदलते, नीति धर्म आधार। निर्भर करता नियत पर, नीति अनिती कलाप, शुद्ध हर्द्रय सदभावना, मूल्यांकन का माप। . परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्...
पतंग
कविता

पतंग

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** आकाश में उड़ती रंगबिरंगी पतंगे करती न कभी किसी से भेद भाव जब उड़ नहीं पाती किसी की पतंगे देते मौन हवाओं को अकारण भरा दोष मायूस होकर बदल देते दूसरी पतंग भरोसा कहा रह गया पतंग क्या चीज बस हवा के भरोसे जिंदगी हो इंसान की आकाश और जमींन के अंतराल को पतंग से अभिमान भरी निगाहों से नापता इंसान और खेलता होड़ के दाव पेज धागों से कटती डोर दुखता मन पतंग किससे कहे उलझे हुए जिंदगी के धागे सुलझने में उम्र बीत जाती निगाहे कमजोर हो जाती कटी पतंग लेती फिर से इम्तहान जो कट के आ जाती पास होंसला देने हवा और तुम से ही मै रहती जीवित उडाओं मुझे ? मै पतंग हूँ उड़ना जानती तुम्हारे कापते हाथों से नई उमंग के साथ तुमने मुझे आशाओं की डोर से बाँध रखा दुनिया को उचाईयों का अंतर बताने उड़ रही हूँ खुले आकाश में क्योकि एक पतंग जो हूँ जो कभी भी कट सकती तुम्हारे हौसला ...
मरने के बाद
कविता

मरने के बाद

सुरेखा सुनील दत्त शर्मा बेगम बाग (मेरठ) ********************** लोग कहते हैं मरने के बाद, मुक्ति मिल जाती है, अपनों का एहसास नहीं होता, अपनों की याद नहीं आती, कोई हमसे तो पूछें, मुक्ति के बाद एक-एक पल हमने कैसे गुजारा, हमें जलने से डर लगा, पर चले हम, हमें दूर होने से डर लगा, पर दूर हुए हम, मरने के बाद क्यों रहते हैं हम, अपनों के आसपास ही, अपनों ने ही जलाया हमें, अपनों ने ही भुलाया हमें, हमें भी दर्द हुआ था जलने में, खाक ऐ सुपुर्द होने में, हम सब को देखते हैं, हमें कोई नहीं देखता, हम सबको याद करते हैं पर, हमें कोई याद नहीं करता, क्यों मर कर भी, तिल तिल मरते हैं हम, अपनों के लिए..... . परिचय :-  सुरेखा "सुनील "दत्त शर्मा जन्मतिथि : ३१ अगस्त जन्म स्थान : मथुरा निवासी : बेगम बाग मेरठ साहित्य लेखन विधाएं : स्वतंत्र लेखन, कहानी, कविता, शायरी, उपन्यास प्रकाशित साहित्य : जिनमें कहानी और रचनाएं...
जमाना जालिम है
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जमाना जालिम है

आशीष तिवारी "निर्मल" रीवा मध्यप्रदेश ******************** बचकर रहना यार, जमाना जालिम है हो जाओ होशियार, जमाना जालिम है। अपनापन, भाईचारा खत्म हो चुका है है रिश्तों में व्यापार, जमाना जालिम है। दिन प्रति दिन देखो क्या खूब बढ़े हैं लुच्चे, टुच्चे, झपटमार, जमाना जालिम है। नारी सुरक्षा के दावे भी खोखले साबित होती तेजाबी बौछार, जमाना जालिम है। रपट लिखाने कभी जो जाओ थाने रिश्वत मांगे थानेदार, जमाना जालिम है। न्याय, सत्य, निष्ठा, ईमान हुआ है बौना भ्रष्टाचार ही शिष्टाचार, जमाना जालिम है। हो जरूरत यदि कभी धर्म रक्षा के लिए लो हाथ में तलवार, जमाना जालिम है।   परिचय :- कवि आशीष तिवारी निर्मल का जन्म मध्य प्रदेश के रीवा जिले के लालगांव कस्बे में सितंबर १९९० में हुआ। बचपन से ही ठहाके लगवा देने की सरल शैली व हिंदी और लोकभाषा बघेली पर लेखन करने की प्रबल इच्छाशक्ति ने आपको अल्प समय में...
पंख बदलने से
कविता

पंख बदलने से

रामनारायण सोनी इंदौर म.प्र. ******************** पंख बदलने से आकाश नही बदलता सूरज भी तो वही है जहाज बदलने से सागर नहीं बदलता जल भी तो वही है सूरत बदलने से सीरत नही बदलती आदमी भी तो वही है शरीर बदलने से चोला बदलता है रूह तो वही है   परिचय :-  रामनारायण सोनी साहित्यिक उपनाम - सहज जन्मतिथि - ०८/११/१९४८ जन्म स्थान - ग्राम मकोड़ी, जिला शाजापुर (म•प्र•) भाषा ज्ञान - हिन्दी, अंग्रेज़ी, संस्कृत शिक्षा - बी. ई. इलेक्ट्रिकल कार्यक्षेत्र - सेवानिवृत यंत्री म.प्र.विद्युत मण्डल सामाजिक गतिविधि - समाजसेवा लेखन विधा - कविता, गीत, मुक्तक, आलेख आदि। प्रकाशन - दो गद्य और एक काव्य संग्रह तथा अब तक कई पत्र पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार - "तुलसी अलंकरण", "साहित्य मनीषि", "साहित्य साधना" व विभिन्न प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्थानों द्वारा कुछ सम्मान प्राप्त। विशेष उपलब्ध...
पूरबा बयार से
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पूरबा बयार से

ओमप्रकाश सिंह चंपारण (बिहार) ******************** ग्रामो मे मेरे पूरबा बयार से बसवारीयो की खूँटे टकराती है। चरमर-चरमर की आवाजे भैरवी की राग सुनाती है। कराहती है गरीबी बेदर्द बन झोपड़ियों में- जहां दिन में सूर्य की रोशनी रातें में चांदनी झांकती है जहां दीपक के नाम पर चंद देर तक का ही सही अचानक चांदनी टिमटिमाती है। अंधकार की नीरवता में पवित्र निश्चल हृदय पुचकारती है। पावस की फुहार, में जहां दूधिया चांदनी में मजबूरियों की हाहाकार में नई विवाहिता बालाए सिकुड़कर नहलाती है। गाती है उनकी माताए ग्रामीण वृद्धाए खुशी की गीत । घुंंघट के नीचे निःसंकोच शर्माती है। राजनीति से दूर, सुदूर पश्चिम मे पेड़ो की टहनियों पर बैठ कर चिड़िया चहकती है। महकती है बागे जब आम् मंजर खिलती है। गाँवो की पोखर मे कमल की फूल भ्रमर की गुनगुनाहट सुन अचानक सहम जाती है। . परिचय :-  ओमप्रकाश सिंह (शिक्षक मध्य विद्यालय ...
सच्चाई
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सच्चाई

वीणा वैष्णव कांकरोली ******************** मीठे बोल राह भटकाएंगे, मान यही सच्चाई है। बुजुर्गों ने समझाया, बात कहा समझ आई है।। शब्दों में कठोरता, राह नेक उसने दिखाई है। संग सदा वह खड़ा रहा, जैसे तेरी परछाई है ।। सच्चाई जग में, सबने सदा ऐसे ही बिसराई है। अपनी गलती को मनु, तूने नित ही दोहराई है।। नापाक मंशा मुकम्मल, कभी नहीं हो पाई है। झूठी राह अपना, हकीकत जिसने बिसराई है।। झूठ फरेब नकाब लगा, हकीकत छुपाई है। प्रभु पारखी नजर से, नहीं बचा कोई भाई है।। कह रही वीणा, यह दुनिया बहुत तमाशाई है। झूठ दौड़ रहा, सच्चाई की नहीं सुनवाई है।। सच्चाई पर अड़े रहे, हंसकर जान गवाई है। मर कर अमरता, कुछ बिरलो ने ही पाई है।। . परिचय : कांकरोली निवासी वीणा वैष्णव वर्तमान में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय फरारा में अध्यापिका के पद पर कार्यरत हैं। कवितायें लिखने में आपकी गहन रूचि है। आप भी अपनी कविताएं, क...
भ्रष्टाचारी नेता
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भ्रष्टाचारी नेता

अमित राजपूत उत्तर प्रदेश ******************** ठूस-ठूस  कर खाते हैं जनता का पैसा भाषण देते हैं भरपूर! जो ना करें जनता की सेवा दिल से ऐसे नेता से रहना दूर! भ्रष्टाचारी नेता जीतने से पहले जनता के आगे सर झुकाते हैं! चुनाव जीतने के बाद यह नेता फोन तक भी नहीं उठाते हैं! नाली खरंजा विधवा पेंशन राशन कार्ड का कोटा खा जाते हैं! भ्रष्टाचार से पेट फूल गया है इनका अकड़ उल्टा दिखाते हैं! गलती हमारी ही थी क्योंकि हमने इन्हें वोट देकर जिताया है! नहीं करते काम जनता का बिना लिए दिए यह परिणाम आया है! जनता ने अब ठाना है भ्रष्टाचारी नेता को चुनाव नहीं जिताना है! नेता होना चाहिए ऐसा की जनता हित में अच्छा काम करें! भ्रष्टाचारी मुक्त हो दामन उसका देश में अच्छा नाम करें .....! . लेखक परिचय :- अमित राजपूत उत्तर प्रदेश गाजियाबाद आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हि...
अफवाएं
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अफवाएं

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** हर साल दिसम्बर माह में धरती के ख़त्म होने अफवाह दूसरे देशो से उड़ाई जाती है। दिसंबर २०१२ पर तो फिल्म भी बन चुकी है। क्षुद्र ग्रह, पृथ्वी से टकराने की बाते ज्यादा उड़ाई जाती रही। ग्रह पृथ्वी की कक्षा आते ही जल जाते है। खगोलीय घटनाओं को पकड़ने वैज्ञानिक पहले से सतर्कता बरतते है। कुछ लोगो का काम ही अफवाएं फैलाना है। अफवाओं पर ध्यान न दे कर खगोलीय विधा रूचि लेवे तो ये ज्ञान -विज्ञानं में वृद्धि में करेगा ...।   अफवाएं भी उडती/उड़ाई जाती है जैसे जुगनुओं ने मिलकर जंगल मे आग लगाई तो कोई उठे कोहरे को उठी आग का धुंआ बता रहा तरुणा लिए शाखों पर उग रहे आमों के बोरों के बीच छुप कर बेठी कोयल जैसे पुकार कर कह रही हो बुझालों उडती अफवाओं की आग मेरी मिठास सी कुहू-कुहू पर ना जाओं ध्यान दो उडती अफवाओं पर सच तो ये है की अफवाओं से उम्मीदों के दीये नहीं...
प्रकृति
कविता

प्रकृति

श्रीमती श्वेता कानूनगो, जोशी इंदौर मध्य प्रदेश ******************** जब चाँद रात में तारों कि बारात में, धीमी थी रोशनी आधी रात में देखकर तारों को छूने का मन करता, उस चमक को महसूस कर बहकने का दिल करता। सवेरा होने पर सूर्य कि अरूणिमा, धीमी-धीमी सी लालिमा मन को भानेलगती। सूरज की तेज रोशनी में आँखों पर, तेज धूप से एक चेहरा सा छा जाता। दिन होने पर गर्मी मे चिड़ियों और, कोयल की आवाज मन को तड़पाने लगती है। शाम आते ही प्यारी सी धीमी सी हवा में, सूर्य का अस्त होना आकाश को लाल करके धीमी सी रोशनी बना देता है। चाँद रात में तारों कि बारात में, धीमी थी रोशनी आधी रात में .... . परिचय :-  श्रीमती श्वेता कानूनगो, जोशी निवासी - इंदौर मध्य प्रदेश जन्मतिथि - २० सितंबर १९९४ शिक्षा - बीएससी (इलेक्ट्रॉनिक मीडिया), एमएससी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, विशेषज्ञता - टेलिविजन प्रोडक्शन कार्यक्षेत्र - वर्तमान मैं रेनेसा...
पहला प्यार
कविता

पहला प्यार

राजेश कुमार शर्मा "पुरोहित" भवानीमंडी (राज.) ******************** खून के खत से शेर चार लिखा था। मैंने पहला-पहला प्यार लिखा था।। रात को जब सोया था जी भर कर। तेरे चेहरे पर मेरा इजहार लिखा था।। छत पर तेरा आना और मुस्कराना। दिल पर तेरा मैंने इंतज़ार लिखा था। भुला नहीं पाया मैं पहली मुलाकात। जब अजनबी पर एतबार लिखा था।। न जाने कौन सा शुभ वक़्त था दोस्त। राजेश का रब ने मुक्कदर लिखा था।। . लेखक परिचय :- राजेश कुमार शर्मा "पुरोहित" भवानीमंडी जिला झालावाड़ राजस्थान आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.comपर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७...
सच्चा दोस्त
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सच्चा दोस्त

सुरेखा सुनील दत्त शर्मा बेगम बाग (मेरठ) ********************** दोस्त बहुत मिल जाएंगे इस दुनिया में, मगर सच्चा दोस्त मिलना बहुत मुश्किल है, हाथ तो सभी बढ़ा देंगेआगे, मगर मुसीबत में हाथ थामने वाले बहुत कम है, वादा करने वाले तो बहुत मिल जाएंगे, मगर वादा निभाने वाले बहुत कम है, जज्बातों से खेलने वाले तो बहुत मिल जाएंगे, मगर जज्बातों को समझने वाले बहुत कम है, दोस्त बहुत मिल जाएंगे इस दुनिया में, मगर दोस्ती की कद्र करने वाले बहुत कम है, कदम आगे बढ़ाने वाले तो बहुत मिल जाएंगे, मगर ठोकर लगने पर संभालने वाले बहुत कम है, दोस्त और दोस्ती करने वाले तो बहुत मिल जाएंगे, मगर सही मायनों में, दोस्ती का अर्थ, समझने वाले बहुत कम है, दोस्त बहुत मिल जाएंगे इस दुनिया में, मगर सच्चा दोस्त मिलना बहुत मुश्किल है।। . परिचय :-  सुरेखा "सुनील "दत्त शर्मा जन्मतिथि : ३१ अगस्त जन्म स्थान : मथुरा निवासी : बेगम बाग म...
मैं आज हु और कल भी रहूंगा
कविता

मैं आज हु और कल भी रहूंगा

जयंत मेहरा उज्जैन (म.प्र) ******************** मैं कल था में आज हु और कल भी रहूंगा लहु हु में कलम से, किताब पर बहुंगा रात के अँधेरो में जो जागती है रातें उन रातों को अंधेरों के राज में कहुँगा उन लंबे रास्तों में जो, भटका रहीं है राहें उन रास्तों में पैरों कि आवाज़ में करूंगा गुनाह की जो जंजीरें, पैरों बस बंधी है उन जंजीरों के फैसलें हिसाब में करूंगा उन सड़कों पर, रातों में जो सो रही हैं सांसें उन धड़कनों कि बेबसी हालात में कहुँगा हवाओं का रूख आज, जिस तरफ हो चाहें उन कागजों कि नाव का भी रुख, में उस तरफ करूंगा एक शोर जो चारों तरफ़ बढ़ता ही जा रहा है उन बहरें कानों कि तरफ, आवाज़ में करूंगा मैं कल था में आज हु और कल भी रहूंगा लहु हूँ में कलम से, किताब पर बहुंगा . परिचय :- नाम : जयंत मेहरा जन्म : ०६.१२.१९९४ पिता : श्री दिलीप मेहरा माता : श्रीमती रुक्मणी मेहरा निवासी : उज्जैन (म.प्र) ...
मन मेरा
कविता

मन मेरा

शरद सिंह "शरद" लखनऊ ******************** आज झूम उठा मन मेरा है, वारिश की ठन्डी बूँदो मे, लहर लहर लहराया मन मेरा है आज झूम उठा मन मेरा है। काली बदरिया ने झाँका था मुझे, मदमस्त आँखो से निहारा था मुझे, बोली थी क्यो है इतराई सी, मै बोली कुछ लजाई सी शरमाई सी आज विहॅस उठा  मन मेरा है, वंशी ध्वनि से झूम उठा मन मेरा है, आज झूम उठा मन मेरा है। पपिहा ने लगाई टेर दूर कही झुरमुट में, आज फिर छुपा चाँद घूँघट मे, मेरा मन तड़पा है चन्दा की चाह मे, तू है अपने कान्हा की वाँह मे, आज तुझसे जलता मन मेरा है, आज झूम उठा मन मेरा है। विहँस उठी राधा सुन पपिहा की बातों को, कब से जगी हूँ मै ओ बाबरे रातो को, कान्हा के मिलन से आज, पुलकित मन मेरा है। आज झूम उठा मन मेरा है। आज झूम ...........।। . लेखक परिचय :- बरेली के साधारण परिवार मे जन्मी शरद सिंह के पिता पेशे से डाॅक्टर थे आपने व्यक्तिगत रूप से एम.ए.क...
बिछडे़ यारों का यूँ मिलना
कविता

बिछडे़ यारों का यूँ मिलना

नरपत परिहार 'विद्रोही' उसरवास (राजस्थान) ******************** आज मन बडा़ आनन्दित हुआ। बिछडे़ यारों का यूँ मिलना हुआ। हम मिले थे अनजानी दुनिया में। सहपाठी , संग रहे, संग खेले । सुप्त हृदय में प्रेम अंकुरित हुआ। एक-दुजे के हमदर्दी बने। न हमें जात-पात का ज्ञान था। न हमें देश-दुनिया का पता था। न हमें निज लक्ष्य ज्ञात था। बस हमें ज्ञात था। यारों संग वक्त बिताना। हँसी ठिठोले में मन बहलाना। मौज-मस्ती भरी दुनिया में जीना। वक्तांगडा़ई में हम बिछडे़ फिर चले निज लक्ष्य पथ पर कर क्षण लक्ष्यपूर्ति आ मिले फिर एक मंच पर । पुलकित अतिशय अंतरमन हुआ। आसमान में उड़ने का मन हुआ। बिछडे़ यारो का यूँ मिलना हुआ।।   परिचय :- नरपत परिहार 'विद्रोही' निवासी : उसरवास, तहसील खमनौर, राजसमन्द, राजस्थान आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं...
तुझे प्यार करती हूँ
कविता

तुझे प्यार करती हूँ

रागिनी सिंह परिहार रीवा म.प्र. ******************** नतमस्तक होकर प्रणाम करती हूँ, अब आ जाओ मनमोहन तुम्हे याद करती हूँ। बड़ी आस लगी है तुमसे, ये आरजू है मेरी, अब आ जाओ घनश्याम तुम्हे प्यार करती हूँ। दिल की जो बाते मेरी सुन लोगे कनाहिया, मैं बन जाऊँगी मीरा, तुम बन जाओ कबीरा। अब आ जाओ मेरे कबिरा गिरधर गोपाला, हरिदास जी आये थे, कीर्तन सुनाने, मैं "रागिनी" तुम्हारी, तुम मोहन हमारे। अब आ जाओ गिरधर, अब आ जाओ गोपाला। घनानंद की सुजान मैं, सूर का भ्रमर तुम, अब आ जाओ मीरा के गिरधर गोपाला। नतमस्तक होकर तुमको प्रणाम करती हूँ, अब आ जाओ मनमोहन, तुझे "रागिनी" पुकारे। राग नहीं पास मेरे अनुराग तम्हें बुलाये, अब आ जाओ मनमोहन हैं,आरजू तुमसे। नतमस्तक होकर तुमको प्रणाम करती हूँ। अब आ जाओ घनश्याम तुझे प्यार करती हूँ .... . परिचय :- रागिनी सिंह परिहार जन्मतिथि : १ जुलाई १९९१ पिता : रमाकंत सिंह माता : ऊषा सिं...
गम के आँसू पिये जा
कविता

गम के आँसू पिये जा

दामोदर विरमाल महू - इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** ज़िन्दगी बेकार है, गम के आँसू पिये जा ! ज़िन्दगी बेकार है, गम के आँसू पिये जा !! इतनी ज़ेहमत उठानी होगी ज़िन्दगी मे आकर, क्या मिला इन्सान को इतना पैसा कमाकर ! क्या हुआ खुदको शरीफ़ दिखाकर, क्या कर लिया दूसरो पर उंगलियां उठाकर !! अबतो मरने मारने को भी तैयार है बस तु पिये जा……………………!! कंजूसी मे एक ईट पर पर भी घर टिक जाता है, चंद पैसो के लिये आजकल इंसान बिक जाता है ! कोई खरीदना बेचना इन इन्सानो से सीखे, “राज” तो इन जैसो पर ग़ज़ल लिख जाता है !! मुफ़्त का खा पीकर सब लेते डकार है बस तु तो पिये जा……………………!! रूठी है ज़िन्दगी अब ज़ोर दो मनाने मे, पेहले लोग वक्त बिताते थे सबको हंसाने मे ! अबतो चाहे सारा जहाँ लुट जाये, कोई नही सुनने वाला… ग़रीब वहीं पीछे और अमीरो की वही रफ़्तार है- बस तु तो पिये जा………………….!! इंसानियत कहाँ चली गई कोई समझ ...
आशिकी की खातिर
कविता

आशिकी की खातिर

रीना सिंह गहरवार रीवा (म.प्र.) ******************** सहती हूँ सब सितम उसके, बस इक आशिकी की खातिर। चाहती हूँ दीदार उसका बस इक दिल्लगी की खातिर। करती हूँ बस इंतजार उसका उल्फत की इक नज़र की खातिर। देखती हूँ उसका ए इश्के हुनर जिसमें कशिश और ज़ुल्म दोनो समाया। चाहती हूँ उसकी हर अदा को इस कदर की, उसकी बेरुखी में भी मुहब्बत आती है नज़र तभी तो............ सहती हूँ सब सितम उसके बस इक आशिकी की खातिर। . परिचय :- नाम - रीना सिंह गहरवार पिता - अभयराज सिंह माता - निशा सिंह निवासी - नेहरू नगर रीवा शिक्षा - डी सी ए, कम्प्यूटर एप्लिकेशन, बि. ए., एम.ए.हिन्दी साहित्य, पी.एच डी हिन्दी साहित्य अध्ययनरत आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कह...
एक विश्वास
कविता

एक विश्वास

सुरेखा सुनील दत्त शर्मा बेगम बाग (मेरठ) ********************** दोस्ती वही है, जिसमें आस है, अपने आप से ज्यादा विश्वास है, दोस्त के, सुख दुख का, अपने जैसा, एहसास है, कड़वेपन की, जगह ना हो, दोस्ती में बस, प्यार दुलार, और, मिठास ही मिठास हो, दोस्ती वही है, जिसमें आस हैविश्वास है।। . परिचय :-  सुरेखा "सुनील "दत्त शर्मा जन्मतिथि : ३१ अगस्त जन्म स्थान : मथुरा निवासी : बेगम बाग मेरठ साहित्य लेखन विधाएं : स्वतंत्र लेखन, कहानी, कविता, शायरी, उपन्यास प्रकाशित साहित्य : जिनमें कहानी और रचनाएं प्रकाशित हुई है :- पर्यावरण प्रहरी मेरठ, हिमालिनी नेपाल, हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) इंदौर, कवि कुंभ देहरादून, सौरभ मेरठ, काव्य तरंगिणी मुंबई, दैनिक जागरण अखबार, अमर उजाला अखबार, सौराष्ट्र भारत न्यूज़ पेपर मुंबई,  कहानी संग्रह, काव्य संग्रह सम्मान : काव्य भूषण सम्मान मुंबई, वरिष्ठ समाजसेवी सम्मान मेरठ,...
कोई कैसे भूले बचपन
कविता

कोई कैसे भूले बचपन

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर म.प्र. ******************** कोई कैसे भूले बचपन! बालक से बनता किशोर फिर बढ़ता यौवन की ओर ! तत्पश्चात बुढ़ापा आता , कसती कमज़ोरी की डोर ! खुलते यादों के वातायन! वह माँ का ममतामय आँचल! पापा की उंगली का संबल! बहना की सुखदाई गोदी, भाई का संरक्षण प्रति पल! दादी-दादा का अपनापन! गली-मुहल्ले के सब मित्र! मधुर स्मृति पूर्ण चरित्र! मानस पट पर हैं अंकित, विविध अमिट आकर्षक चित्र! वह घर-आँगन, कानन-उपवन! कोई कैसे भूले बचपन! . परिचय - साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत शिक्षा ~ एम• ए• (हिन्दी और अंग्रेज़ी साहित्य), बी• एससी•, बी• एड•, एलएल•बी•, साहित्य रत्न, कोविद कार्यक्षेत्र ~ सेवानिवृत प्राचार्य सामाजिक गतिविधि ~ मार्गदर्शन और प्रेरणा लेखन विधा ~ कविता,गीत, ग़ज़ल, मुक्तक...
कदम
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कदम

वीणा वैष्णव कांकरोली ******************** कदम रखना फूंक-फूंक, अतीत सदा दोहराया जाएगा। जब जब आगे बढे़गा, अतीत बता पीछे धकेला जाएगा।। हर व्यक्ति मैं में सिमटा, वो राह गलत तुझे दिखाएगा। वाणी में वेदना भरी, वह खुशी फूल कैसे खिलाएगा।। सोच समझ कदम बढ़ा, रास्ता चहूँओर नजर आएगा। गहराई से कर चिंतन, स्वयं नया सृजन कर पाएगा।। सज्जन राह पूछ कदम बढ़ा, दुर्जन राह भटकाएगा। जैसी संगति बैठिए, कहावत यतार्थ वो कर जाएगा।। मत कोसना अपनों को, कर्मानुसार फल तू पाएगा। फस गया कभी दलदल तो, कमल फूल खिलाएगा।। रख इरादे मजबूत कदम बढ़ा, दृष्टिकोण बदल जाएगा। समस्या को नजरअंदाज कर, तू निश्चय मंजिल पाएगा।। सकारात्मक सोच रख नजरिया बदल, अपनापन पाएगा। करता रह श्रेष्ठ कार्य, दुर्जन तेरे कदमों में झुक जाएगा।। इतिहास पृष्ठों पर, तेरा नाम स्वर्णाक्षर लिखा जाएगा। मर कर भी तू हर जन हृदय में, बस अमरता पाएगा।। . परिचय : का...
सर्द हवाएँ
कविता

सर्द हवाएँ

शिवम यादव ''आशा'' (कानपुर) ******************** यही तो ओस की बूँदे, मुझे अवगत करातीं हैं नमीं कितनी है मौसम में सभी को ये बतातीं हैं कहीं की सर्द हवाएँ सदा मुझसे ही मिलतीं हैं कहें क्या हम उनसे अब वो दुआ रब से करतीं हैं कोई नफ़रत से जीता है कोई खुशियों में पलता है हिफ़ाजत मेरी करती है और मुझको ही डराती है . लेखक परिचय :-  आपका नाम शिवम यादव रामप्रसाद सिहं ''आशा'' है इनका जन्म ७ जुलाई सन् १९९८ को उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात ग्राम अन्तापुर में हुआ था पढ़ाई के शुरूआत से ही लेखन प्रिय है, आप कवि, लेखक, ग़ज़लकार व गीतकार हैं, अपनी लेखनी में दमखम रखता हूँ !! अपनी व माँ सरस्वती को नमन करता हूँ !! काव्य संग्रह :- ''राहों हवाओं में मन" आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते...
भारत भूमि
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भारत भूमि

ओमप्रकाश सिंह चंपारण (बिहार) ******************** भारत मां की पुण्य भूमि से- क्रांति के फिर ज्वाल उड़े। पूर्ण स्वाधीनता की अमर राग- जन जन फिर हुंकार उठे। भारत मां की पुण्य भूमि से- क्रांति के फिर ज्वाला उड़े। अफसरशाही तानाशाही- नौकरशाही फिर भाग सके। एक बार फिर हुंकारे। संपूर्ण क्रांति फिर जाग उठे। पूंजीवादी शोषणवादी- व्यक्तिवादी स्वार्थीवादी फिर भाग उठे। टंकार यहां हो कण कण में- अंगार क्रांति की जन-जन में- शान यहां कि जाग उठे। अब मान यहां कि जाग उठे। वीर सुभाष की सपनों की धरती- फिर एक बार हुंकार उठे। भारत की पुण्य भूमि से- क्रांति के फिर ज्वाल उड़े। . परिचय :-  नाम - ओमप्रकाश सिंह (शिक्षक मध्य विद्यालय रूपहारा) ग्राम - गंगापीपर जिला -पूर्वी चंपारण (बिहार) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्...
फटी जेब
कविता

फटी जेब

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** महंगाई से, फटी जेब में, क्या.......? समा पाता। जितना कोई, कमाता ..... उतना ही निकल जाता।। महंगाई से फटी जेब में, क्या..........!!! कीमतों में, दिन-ब-दिन, जो उतार-चढ़ाव आता। कोई, इस चीज से बचाता। और उधर खर्च आता।। कुल मिला के, हाथ का, रुपया भी चला जाता।। महंगाई से फटी जेब में, क्या समा पाता।। ऊपर से बदले नोट, जिनको दे दिये वोट। सरकारों से विश्वास भी, चल -चल के निकल जाता। किस जेब में, रखता आदमी ....पैसा। अर्थव्यवस्था की, जेब को ही, फटा पाता।।   परिचय :- प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में ...
मैं कवि नही
कविता

मैं कवि नही

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** मैं कवि नही कविता मेरे बस की नही मन के भावों को मुझे पिरोना आता नही मुझे कविता लिखना आता नही मैं पाखंडी लिंगहीन शिखंडी प्रेम करना आता नही हो कैसे सृजन पता नही मुझे कविता लिखना आता नही मैं घृणा फैलाने वाला मन का काजल से काला किसी को सुहाता नही मैं किसी को भाता नही मुझे कविता लिखना आता नही दम्भी हु अभिमानी हु मूढ़ हु अज्ञानी हु पीठ किसी की खुजलाता नही मुझे कविता लिखना आता नही मुझे कविता लिखना आता नही . परिचय :- नाम : धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के पद पर पीटीसी इंदौर में पदस्थ। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिं...