भक्ति गीत
रशीद अहमद शेख 'रशीद'
इंदौर म.प्र.
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आदि-अंत से परे निरन्तर,
गुण में अपरम्पार हो।
कहलाते जगदीश तुम्हीं हो,
तुम ही पालनहार हो।
जड़-चेतन के हो निर्माता,
ॠणी सकल संसार है।
धन्य नहीं है कौन सृष्टि में,
कहाँ नहीं आभार है।
दीन दयाल न तुम-सा कोई,
करुणा-पारावार हो।
कहलाते जगदीश तुम्हीं हो,
तुम ही पालन हार हो।
वेद-पुराण भागवत गीता,
ग्रंथ और क़ुरआन में।
पावन पद या कथन व्यस्त्त हैं,
तेरे ही गुणगान में।
कुछ कहते हैं निराकार हो,
कुछ कहते साकार हो।
कहलाते जगदीश तुम्हीं हो,
तुम ही पालन हार हो।
तुम हो एक सभी के स्वामी,
लेकिन नाम अनेक हैं।
होना एक तुम्हारा फिर भी,
जग में धाम अनेक हैं।
कहीं भक्त हैं कहीं नास्तिक ,
सबके तारनहार हो।
कहलाते जगदीश तुम्हीं हो,
तुम ही पालन हार हो।
परिचय - रशीद अहमद शेख 'रशीद'
साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’
जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१
जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•...