आईना अब संभल के देख लिया
नवीन माथुर पंचोली
अमझेरा धार म.प्र.
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आईना अब संभल के देख लिया।
हमने चेहरा बदल के देख लिया।
अपनी हालत पे जब यकीं न हुआ,
हमनें थोड़ा मचल के देख लिया।
रास्ता जो यहाँ नया पाया,
दूर थोड़ा टहल के देख लिया ।
ये ज़बानों को खेल था इसमें,
हमनें थोड़ा फ़िसल के देख लिया।
यूँ दीवारों से दोस्ती रखकर,
घर से बाहर निकल के देख लिया।
परिचय :- नवीन माथुर पंचोली
निवास - अमझेरा धार म.प्र.
सम्प्रति - शिक्षक
प्रकाशन - देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन, तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित।
सम्मान - साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान
घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है।
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