आशीष मिला तो….
संजय जैन
मुंबई
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तेरा आशीष पा कर,
सब कुछ पा लिया हैं।
तेरे चरणों में हमने,
सर को झुका दिया हैं।
तेरा आशीष पा कर .....।
आवागमन गालियां
न हत रुला रहे हैं।
जीवन मरण का झूला
हमको झूला रहे हैं।
आज्ञानता निंद्रा
हमको सुला रही हैं।
नजरे पड़ी जो तेरी,
मानो पापा धूल गए है।
तेरा आशीष पा कर.....।।
तेरे आशीष वाले बादल
जिस दिन से छाए रहे हैं।
निर्दोष निसंग के पर्वत
उस दिन से गिर रहे हैं।
रहमत मिली जो तेरी,
मेरे दिन बदल गये है।
तेरी रोशनी में विद्यागुरु,
सुख शांति पा रहे है।
तेरा आशीष पा कर ....।।
परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) सहित बहुत सारे अखबारों-पत्रि...























