इंसान और प्रकृति
मुकुल सांखला
पाली (राजस्थान)
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तेरा जैसा इस दुनिया में,
कोई नहीं, रे इंसान!
अपने स्वार्थ के खातिर तू
हर लेता जीवों के प्राण।
जितना तू लालच करेगा,
अपने पाप का घडा भरेगा।
कवि मुकुल तुझसे है कहता,
कहे बिना अब ये नहीं रहता।
प्रकृति से तू
क्यों कर रहा खिलवाड?
इसी का परिणाम है,
कभी भूकंप, कभी बाढ।
बार-बार संकेत देकर
प्रकृति ने तुझे समझाया।
आंखो पर बंधी लालच की पट्टी
तू इसे समझ नही पाया।
आधुनिकता की होड में
तू हो जायेगा बरबाद।
बिना प्रकृति और जीवो के
कैसे रहेगा तू आबाद?
कुछ पैसे के खातिर तू
लेता जीवों की जान
तेरे जैसा इस दुनिया में
कोई नहीं, रे इंसान!
परिचय :- मुकुल सांखला
सम्प्रति : अध्यापक राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय, खिनावडी, जिला पाली
निवासी : जैतारण, जिला पाली राजस्थान
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