आज चिट्ठी आई है
संजय वर्मा "दॄष्टि"
मनावर (धार)
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प्रेम की पाती लेकर
आता था डाकिया
पुकारता जब नाम मेरा
हिरणी सी चपलता लिए
कर जाती थी चौखट को पार
लगा लेती दिल से
प्रेम की पाती ।
आज चिठ्ठी आई है
चिट्ठी को छुपकर पढ़ती
ढाई अक्षर प्रेम को
जोड़ लेती ख्वाबो से रिश्ते
होसला ,ज़माने से डर नहीं का
भर लेती मन में ।
वो सामने आते तो
होंठ थरथराने लगते
मानों शब्द को कर्फ्यू लगा हो
बस आँखे ही कर जाती थी
प्रेम का इजहार ।
सुबह नींद खुली तो लगा
जैसे एक ख्वाब देखा था प्रेम का
अब डाकिया भी नहीं लाता
प्रेम की चिट्ठी
मैने भी चिट्ठी लिखी ही नहीं
क्योंकि हो जाती है
मोबाइल पर प्रेम की बातें ।
परिचय :- संजय वर्मा "दॄष्टि"
पिता :- श्री शांतीलालजी वर्मा
जन्म तिथि :- २ मई १९६२ (उज्जैन)
शिक्षा :- आय टी आय
व्यवसाय :- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग)
प्रकाशन :- देश-विदेश की विभिन्न पत...