माटी मांगे संज्ञान
संदीप पाटीदार
कोदरिया महू (मध्य प्रदेश)
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जय माँ भारती
अटल, अखंण्ड,
अद्वितीय, अबोध
जय माँ भारती
बहुत हो गया
अब न सहूगी,
अब संभालनी
तुम्हे कमान है,
हर घर मे क्यों
माया रूपी दानव बैठा...
फिर क्यों कहते हैं
कि देश महान है...
देती आई मैं धन्य
धान्य सभी को...
और सहा
मैंने अपमान है...
क्यों जाति धर्म के
नाम पर मुझको...
क्यों किया लहूलुहान है...
क्यों हनन हो रहा
अब मानवता का...
क्या यही मेरी पहचान है...
क्या यही सब
धर्मों का ज्ञान है...
क्यों नहीं लेता कोई
इस पर अब संज्ञान है...
अब मिटे मेरे पद निशान हे...
जय मां भारती
परिचय :- संदीप पाटीदार
निवासी : कोदरिया महू जिला इन्दौर (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।
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